इंडियन नेशनल लोकदल ने सिरसा विधानसभा सीट पर हलोपा के गोपाल कांडा को अपना समर्थन दिया है। बता दें कि गोपाल कांडा, 14 साल पहले इनेलो में ही थे , आज 14 साल बाद अभय सिंह चौटाला व गोपाल कांड एक मंच पर नजर आए हैं, जिससे जिले के राजनीतिक समीकरण बदलते नज़र आ रहे हैं। हलोपा के मंच पर पहुंचकर अभय ने अपने समर्थकों से गोपाल कांडा को विजयी बनाने की अपील की। जिले में अपने आप को फिर से स्थापित करने के लिए इंडियन नेशनल लोकदल ने खेला कर दिया है।
इनेलो को कमज़ोर समझने वालों को दिया करारा जवाब
इस खेल ने जिले में राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह से बदल दिया है। इसकी शुरुआत इनेलो ने डबवाली में आदित्य देवीलाल चौटाला को पार्टी में शामिल करके की। इनेलो को कमजोर समझने की भूल करने वाले कद्दावर नेताओं को विधायक अभय सिंह चौटाला ने उस समय चौंका दिया, जब सभी गिले-शिकवे भुलाकर हलोपा और इनेलो एक साथ मंच पर आई। इससे हलोपा को जहां सिरसा सीट पर मजबूती मिलेगी, वहीं, हलोपा रानियां और ऐलनाबाद में इनेलो को मजबूती प्रदान करेगी।
रणजीत सिंह और कांडा बंधुओं के बीच 36 का आंकड़ा
उल्लेखनीय है कि रानियां से हलोपा ने धवल कांडा को उतारने की घोषणा की थी। अब अर्जुन चौटाला के मैदान में आने के बाद उन्होंने अपने प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा और न ही प्रचार प्रसार किया। धवल कांडा को उतारने के पीछे का मकसद रणजीत सिंह और कांडा बंधुओं के बीच 36 का आंकड़ा होना था। इस सीट से चौधरी रणजीत सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा है। इस दौरान जजपा नेता दिग्विजय चौटाला उनके साथ नजर आए।
गोविंद ने 60 हजार के करीब वोट लेकर अपनी ताकत दिखाई थी
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले भी अभय सिंह चौटाला हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा के आवास पर जाने के साथ शादी समारोह में भी नजर आए थे। दोनों के समर्थन को उस समय मजबूती मिली जब गोकुल सेतिया इनेलो छोड़कर कांग्रेस के टिकट के लिए जद्दोजहद करते हुए नजर आए। किसान आंदोलन के दौरान अभय सिंह चौटाला ने किसानों के समर्थन करते हुए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था।
इस्तीफे के बाद सरकार की ओर से उपचुनाव करवाया गया था। भाजपा ने गोबिंद कांडा को बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारा था। उस चुनाव में गोबिंद कांडा ने अभय सिंह चौटाला को कड़ी टक्कर दी थी। ऐलनाबाद में भाजपा की टिकट पर गोविंद ने 60 हजार के करीब वोट लेकर अपनी ताकत दिखाई थी।
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