
हरियाणा में प्राकृतिक खेती को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने और किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने के लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने घोषणा करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती तथा जैविक खेती से उत्पादित गेहूं, धान, दालों आदि उत्पादों के लिए प्राकृतिक तथा जैविक मंडी की स्थापना गुरुग्राम में की जाएगी। साथ ही, प्राकृतिक तथा जैविक खेती से उत्पादित फल, सब्जियों के लिए हिसार में भी प्राकृतिक खेती तथा जैविक मंडी की स्थापना की जाएगी।
प्रयोगशालाएं किसानों की फसल की नि:शुल्क जांच करेंगी
इसके अलावा, प्राकृतिक तथा जैविक खेती के उपज के उचित मूल्य निर्धारण के लिए हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण के तहत एक समिति का गठन किया जाएगा। मुख्यमंत्री आज चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित प्राकृतिक खेती सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती से प्राप्त उत्पादों की ब्रांडिंग और पैकेजिंग के लिए प्रति किसान 20 हजार रुपये प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि प्राकृतिक और जैविक खेती की उपज की जांच हेतु प्रयोगशालाएं भी स्थापित की जाएंगी। ये प्रयोगशालाएं किसानों की फसल की नि:शुल्क जांच करेंगी।
पूंडरी में कृषि विभाग की 53 एकड़ भूमि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को पट्टे पर दी जाएगी
उन्होंने यह भी घोषणा की कि खंड पूंडरी, जिला कैथल में कृषि विभाग की 53 एकड़ भूमि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को नीलामी के आधार पर पट्टे पर दी जाएगी। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि प्रत्येक पंचायत में पंचायती भूमि में से 10 प्रतिशत भूमि या कम से कम एक एकड़ भूमि प्राकृतिक खेती के लिए आरक्षित की जाएगी। यह भूमि केवल भूमिहीन किसानों को नीलामी के माध्यम से दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकारी और पंचायती जमीन पर जो भी किसान प्राकृतिक खेती करेगा, उन किसानों को भी प्राकृतिक खेती योजना के तहत वित्तीय प्रोत्साहन के रूप में कच्चे माल के भंडारण और संस्करण के लिये चार ड्रम की खरीद के लिए 3 हजार रुपये प्रति किसान दिया जाएगा।
प्राकृतिक खेती इन सभी समस्याओं का समाधान
एक देसी गाय की खरीद पर 30 हजार रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। प्राकृतिक खेती न केवल हरियाणा की कृषि को नई नायब सिंह सैनी ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पूरी दुनिया के लोग वायु, जल व मिट्टी के संरक्षण का संकल्प ले रहे हैं और इन्हें हर प्रकार से प्रदूषण मुक्त करने के उपाय पर विचार कर रहे हैं। इस समय प्राकृतिक खेती इन सभी समस्याओं का समाधान है। प्राकृतिक खेती न केवल हरियाणा की कृषि को नई दिशा देगी, बल्कि पूरे देश के लिए यह प्रेरणा का एक स्रोत पर बनेगी।
प्रदेश में वर्ष 2022 में प्राकृतिक खेती योजना का शुभारंभ किया
उन्होंने कहा कि आज जब हम खाद्यानों के मामले में आत्मनिर्भर तो हैं, लेकिन इसके लिए हमें बहुत बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी है। रासायनिक खादों के उपयोग से भूमि, जल और वायु दूषित होते हैं। इसलिए हमारी आने वाली पीढ़ियां मजबूत, सशक्त हों, इसके लिए हमें प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2022 में प्राकृतिक खेती योजना का शुभारंभ किया गया और इसमें लगभग 97 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।
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