हरियाणा की राजनीति में एक बार फिर तूफान आ गया है। हिसार से कांग्रेस सांसद जयप्रकाश (जेपी) ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुईं किरण चौधरी पर जमकर हमला बोला है। जींद के उचाना में आयोजित एक कार्यकर्ता सम्मेलन में जेपी ने न केवल किरण चौधरी की राजनीतिक विरासत पर सवाल उठाए, बल्कि महिलाओं की राजनीतिक विरासत पर भी विवादास्पद बयान दिया।
विरासत पर विवाद: जेपी का महिलाओं पर टिप्पणी
जयप्रकाश ने अपने संबोधन में कहा, "किरण चौधरी बंसीलाल की विरासत नहीं हैं। विरासत हमेशा पुरुष के माध्यम से चलती है, महिला के माध्यम से नहीं।" उन्होंने आगे कहा कि रणबीर महेंद्रा और अनिरुद्ध बंसीलाल के वारिस हैं, महिलाएं वारिस नहीं होतीं। यह बयान हरियाणा की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर सकता है, क्योंकि इससे महिला नेताओं की भूमिका और उनके योगदान पर सवाल उठ सकते हैं।
कांग्रेस छोड़ने वालों पर निशाना
जेपी ने किरण चौधरी सहित अन्य नेताओं पर भी निशाना साधा, जिन्होंने हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये नेता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा की मदद कर रहे थे। जेपी का मानना है कि अगर ये नेता पहले ही पार्टी छोड़ देते, तो कांग्रेस और अधिक सीटें जीत सकती थी। उन्होंने कहा, "कांग्रेस में रहते हुए कुछ नेताओं ने उन्हें हराने की कोशिश की।"
उचाना में टिकट की राजनीति
जयप्रकाश ने उचाना विधानसभा क्षेत्र के लिए टिकट बंटवारे पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि टिकट का फैसला सर्वे के आधार पर किया जाएगा। जेपी ने स्पष्ट किया, "जिसका नाम सर्वे में आएगा, वही टिकट का हकदार होगा।" यह बयान चौधरी बीरेंद्र सिंह और उनके बेटे बृजेंद्र सिंह के लिए एक संकेत माना जा सकता है, जो इस क्षेत्र से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
भाजपा पर भी साधा निशाना
हालांकि जेपी ने अपने भाषण में भाजपा को भी नहीं बख्शा। उन्होंने कहा, "नीट, नेट और ग्रुप डी में तो गड़बड़ है ही, भाजपा में भी गड़बड़ है।" यह टिप्पणी भाजपा सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है।
इस पूरे घटनाक्रम से हरियाणा की राजनीति में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। किरण चौधरी के भाजपा में शामिल होने और जेपी के बयान से कांग्रेस में आंतरिक कलह की झलक मिलती है। साथ ही, यह घटनाक्रम महिला नेताओं की राजनीतिक विरासत और भूमिका पर एक बड़ी बहस छेड़ सकता है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन बयानों का क्या असर होता है और किरण चौधरी जैसे नेताओं का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए कितना नुकसानदेह साबित होता है। हरियाणा की राजनीति में यह नया मोड़ निश्चित रूप से आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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