हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। इसी कड़ी में गृह मंत्री अमित शाह ने पंचकूला में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बड़ी बैठक को संबोधित किया। इस बैठक में शाह ने न केवल चुनावी रणनीति पर चर्चा की, बल्कि कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र भी दिया।
शाह का बड़ा ऐलान
अमित शाह ने बैठक में एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि भाजपा हरियाणा में किसी की बैसाखी पर नहीं चलेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व में अकेले चुनाव लड़ेगी और पूर्ण बहुमत हासिल करेगी। शाह ने यह भी संकेत दिया कि अगर भाजपा जीतती है, तो नायब सैनी फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे।
100 दिन का रोडमैप
बैठक में आगामी 100 दिनों का एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया गया। इसके तहत:
- हर बूथ पर पेड़ लगाने का अभियान चलाया जाएगा।
- प्रधानमंत्री की 'मन की बात' कार्यक्रम को हर जगह सुना जाएगा।
- सभी विधानसभा क्षेत्रों में धन्यवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
- पांच केंद्रीय मंत्री हरियाणा का दौरा करेंगे।
- पिछले चुनाव में हारी हुई विधानसभाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
नायब सैनी का आत्मविश्वास
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बैठक में कहा कि भाजपा हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। उन्होंने अपनी सरकार की 10 साल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि गरीबों के लिए कई काम किए गए हैं। सैनी ने कार्यकर्ताओं से कांग्रेस के झूठ का पर्दाफाश करने की अपील की।
चुनौतियों का सामना
हालांकि, भाजपा के सामने कुछ बड़ी चुनौतियां भी हैं:
1. सत्ता विरोधी लहर:
सत्ता विरोधी लहर एक ऐसी राजनीतिक परिघटना है जो अक्सर लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली सरकारों के खिलाफ देखी जाती है। हरियाणा में भाजपा पिछले 10 वर्षों से सत्ता में है, और यह एक लंबा समय है जिसमें लोगों की अपेक्षाएं और निराशाएं जमा हो सकती हैं।
इस लहर के कई कारण हो सकते हैं:
लोगों को लग सकता है कि सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए।
- कुछ नीतियों या फैसलों से आम जनता नाखुश हो सकती है।
- नए विचारों या नेतृत्व के लिए लोगों में बदलाव की इच्छा हो सकती है।
- सरकार के प्रदर्शन से संबंधित मुद्दे जैसे महंगाई, बेरोजगारी आदि।
2. जाटों और किसानों की नाराजगी:
हरियाणा में जाट समुदाय और किसान राज्य की राजनीति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जाटों की नाराजगी:
- आरक्षण की मांग का मुद्दा
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व में कमी की भावना
- सामाजिक-आर्थिक मुद्दे
किसानों की नाराजगी:
- कृषि कानूनों को लेकर विवाद
- फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का मुद्दा
- कृषि ऋण और आय से जुड़ी समस्याएं
भाजपा को इन समुदायों के साथ संवाद बढ़ाना होगा, उनकी चिंताओं को समझना होगा और उनके हित में ठोस कदम उठाने होंगे। यह चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
3. बेरोजगारी का मुद्दा:
बेरोजगारी हरियाणा में एक गंभीर मुद्दा बन गया है। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई है, जो युवाओं में असंतोष का कारण बन रही है।
इस मुद्दे के कई पहलू हैं:
- शिक्षित युवाओं के लिए उपयुक्त रोजगार की कमी
- कौशल विकास और रोजगार के बीच असंतुलन
- निजी क्षेत्र में नौकरियों की कमी
- सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया में देरी या विवाद
इन तीनों मुद्दों को संबोधित करना भाजपा के लिए महत्वपूर्ण होगा। पार्टी को अपनी उपलब्धियों को रेखांकित करने के साथ-साथ इन चुनौतियों के लिए ठोस समाधान प्रस्तुत करने होंगे। यह चुनावी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा और इससे मतदाताओं का विश्वास जीतने में मदद मिल सकती है।
आगे की राह
अमित शाह ने कार्यकर्ताओं से जमीनी स्तर पर काम करने और लोगों तक पहुंचने की अपील की। उन्होंने कहा कि भाजपा की जीत का श्रेय किसी व्यक्ति या परिवार को नहीं, बल्कि बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को जाता है। पार्टी अब अपने वोट प्रतिशत को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में कम हुआ था। पार्टी नायब सैनी के नेतृत्व में अकेले चुनाव लड़ेगी और हैट्रिक लगाने का दावा कर रही है। हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हैं जिनका सामना करना होगा। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा अपने लक्ष्य को कैसे हासिल करती है।
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