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गुरुग्राम में दिल दहला देने वाली घटना: 16 साल के लड़के ने 9 साल की बच्ची की ली जान

गुरुग्राम में दिल दहला देने वाली घटना: 16 साल के लड़के ने 9 साल की बच्ची की ली जान

चोरी करते पकड़े जाने के डर से किशोर ने पड़ोसी बच्ची की हत्या की, फिर सबूत मिटाने के लिए शव को जलाया; क्राइम शो से प्रेरित होने की आशंका

प्रतीकात्मक तस्वीर

गुरुग्राम के सेक्टर 107 में एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। एक 16 साल का लड़का अपनी 9 साल की पड़ोसी बच्ची की जान का कातिल बन गया। यह घटना न केवल दो परिवारों के लिए त्रासदी है, बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है। 

घटना का विवरण:

सोमवार सुबह करीब 10:45 बजे पुलिस को ग्लोबल सिग्नेचर सोसाइटी के एक फ्लैट से सूचना मिली। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो उन्होंने एक बेडरूम में 9 साल की बच्ची का अधजला शव पाया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि बच्ची की पहले गला घोंटकर हत्या की गई और फिर उसके शव को जलाने का प्रयास किया गया। 

हत्या के पीछे का कारण:

पुलिस की जांच से पता चला है कि 16 साल का आरोपी लड़का, जो मृतक बच्ची का पड़ोसी था, घर में गहने चुराने आया था। जब बच्ची ने उसे चोरी करते हुए देख लिया, तो डर के मारे उसने बच्ची का गला घोंट दिया। बाद में, अपने अपराध के सबूत मिटाने के लिए, उसने शव पर कपड़े डालकर आग लगा दी। 

परिवारों का दर्द:

दोनों परिवार लगभग एक दशक से पड़ोस में रह रहे थे और उनके बीच अच्छे संबंध थे। आरोपी लड़का अक्सर बच्ची की पढ़ाई में मदद करता था। घटना के समय बच्ची की मां आरोपी के घर पर थी और पिता काम पर गए हुए थे। जब मां वापस लौटी, तो उसने फ्लैट से धुआं निकलता देखा और आसपास के लोगों को बुलाया। 

पुलिस की कार्रवाई:

गुरुग्राम पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी को हिरासत में ले लिया। डीसीपी करण गोयल के अनुसार, आरोपी ने अपना अपराध कबूल कर लिया है। उन्होंने यह भी बताया कि लड़का क्राइम शो से प्रेरित प्रतीत होता है और अपने आवासीय समाज में कुख्यात था।

समाज पर प्रभाव:

यह घटना समाज में गहरी चिंता पैदा कर रही है। यह सवाल उठ रहा है कि कैसे एक किशोर इतना क्रूर कदम उठा सकता है। इससे मीडिया के प्रभाव और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता सामने आई है। 

यह दुखद घटना हमें याद दिलाती है कि समाज में नैतिक मूल्यों और युवाओं की मानसिक स्थिति पर ध्यान देने की आवश्यकता है। परिवारों, शिक्षकों और समाज के सभी वर्गों को मिलकर युवाओं को सही दिशा देने की जिम्मेदारी लेनी होगी, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासद घटनाओं को रोका जा सके।

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