एक के बाद एक हरियाणा के छोरे लगातार पूरे देश का नाम विश्व भर में रोशन कर रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही रेवाड़ी के नरेंद्र ने उत्तरी अमेरिका के अलास्का की सबसे ऊंची चोटी डेनाली (6190 मीटर) को फतह की थी, तो वहीं भारतीय क्रिकेट टीम ने टी -20 वर्ल्ड कप जीतकर अपना परचम लहराया। कुल मिलाकर किसी पर्वत की ऊंची श्रृंखला पर देश का झंडा गाड़ना हो या खेल-कूद में अपना परचम लहराना हो ''म्हारे हरियाणा के लाल सबतै आगै हैं।''
प्रो. मनोज की हिम्मत जोश जज्बे को सलाम
अब हम बात करते है हिसार के प्रोफेसर मनोज की...... ''हवाओं ने मुझे हताश करने की बहुत कोशिश की, मैं वह परिंदा बना जिसने ऊंची उड़ान भरना सही समझा'' इन लाइनों को सच करने का काम किया है हिसार के राजकीय महाविद्यालय में भूगोल विभाग के सहायक प्राध्यापक एवं मूल रूप से तोशाम क्षेत्र के गांव मिरान निवासी प्रोफेसर मनोज ने। प्रो. मनोज की हिम्मत जोश जज्बे को सलाम है, इन्होंने रुस व यूरोप महादीप की सबसे ऊंचे पर्वत माला एलब्रुस पर चढ़ाई (5642) करके भारत का झंडा लहराकर देश का नाम रोशन किया है।
हिसार के राजकीय महाविद्यालय के सहायक प्रो. मनोज कुमार ने 24 जून से 3 जुलाई तक चले अपने अभियान की शुरुआत की थी। उन्होंने रूस के काकेशस पर्वत माला रुस व यूरोप महाद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वत एलब्रुस पर चढ़कर हरियाणा का नाम किया। सहायक प्रो. मनोज ने बताया कि चढ़ाई के दौरान काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
न केवल हरियाणा का बल्कि भारत का नाम भी रोशन किया
24 जून से 3 जुलाई तक चले अपने अभियान के बारे में बताते हुए प्रोफेसर मनोज ने कहा कि रूस देश के काकेशस पर्वत माला में स्थित रुस व यूरोप महाद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वत एलब्रुस पर एक जुलाई को सुबह 8:30 बजे भारत का तिरंगा लहराया था। प्रो. मनोज ने बताया कि यूरोप महाद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वत को उत्तर की ओर से विजय किया तथा उसकी पूर्वी चोटी जिसकी ऊंचाई 5621 ( पश्चिमी सम्मिट 5642) मीटर है।
उस पर भारत का तिरंगा लहराते हुए न केवल हरियाणा का बल्कि भारत का नाम भी रोशन किया। इस पर्वत की चढ़ाई उत्तर की तरफ से करना बड़ा ही मुश्किल काम है, जहां पर तापमान माइन्स 30 डिग्री व 60 किलोमीटर प्रति घंटा से तेज बफीर्ली हवाएं व आक्सीजन की मात्रा लगभग 50 प्रतिशत होती है। उन्होंने साहस का परिचय देते हुए एल्ब्रुस पर तिरंगा लहराने का काम किया।
आखिरी दिन 1800 मीटर की चढ़ाई की
माइनस 30 डिग्री व 60 प्रति किलोमीटर प्रति घंटे में तेज बर्फीली हवाएं चढ़ाई की और वहां ऑक्सीजन की मात्रा 50 प्रतिशत थी, परंतु हिम्मत नहीं हारी और एलब्रुस की चोटी पर चढ़कर विजय हासिल की। उन्होंने बताया कि आखिरी दिन 1800 मीटर की चढ़ाई की। इससे पहले मनोज कुमार किलिमंजारो अफ्रीका की चोटी को फतह कर चुके हैं। वह माउंट एवरेस्ट पर झंडा लहरा चुके हैं। इतना ही नहीं, वे पर्यावरण के प्रति भी काफी सजग है और सदेश देते हैं कि पर्यावरण के प्रति सजग रहना चाहिए।
लगातार 9:30 घंटे बर्फ के ऊपर चलकर अभियान पूरा किया
प्रो. मनोज ने बताया कि अभियान के आखिरी दिन लगभग 1800 मीटर की चढ़ाई की व लगातार 9:30 घंटे बर्फ के ऊपर चलकर अपने अभियान को पूरा किया। उन्होंने अभियान को सफल बनाने एवं हौसला बढ़ाने के लिए माता-पिता, पत्नी, उच्चतर शिक्षा निदेशालय हरियाणा सरकार, महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. कृष्ण कुमार, पूर्व प्राचार्य डॉ. दीपमाला लोहान व सभी स्टाफ सदस्यों का आभार जताया। एलब्रुस पर्वत पर भारत की शान तिरंगा लहराकर प्रो. मनोज ने पूरे देश को गौरवान्वित महसूस किया।
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