हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला जब सोनीपत नगर निगम के मेयर निखिल मदान ने अपने समर्थकों के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण कर ली। यह कदम कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
भाजपा में शामिल हुए प्रमुख नेता
सोनीपत के मेयर निखिल मदान के अलावा, कई नगर पार्षद, सरपंच और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाजपा की सदस्यता ली। यह कार्यक्रम हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केंद्रीय शहरी आवास एवं ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल, और हरियाणा के नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बडौली की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
मुख्यमंत्री का कांग्रेस पर कटाक्ष
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस अवसर पर कांग्रेस पर तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस के पास बताने के लिए कुछ नहीं है और अब वह झूठ का सहारा ले रही है। हमारे पास अनगिनत उपलब्धियां हैं।" उन्होंने यह भी दावा किया कि कांग्रेस की स्थिति सभी विधानसभा क्षेत्रों में बेहद कमजोर हो गई है।
भाजपा की तीसरी सरकार का दावा
मुख्यमंत्री सैनी ने आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत का दावा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में केंद्र सरकार की तरह ही प्रदेश में भी भाजपा तीसरी बार अपनी सरकार बनाकर इतिहास रचेगी।
नए सदस्यों का स्वागत और भविष्य की रणनीति
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने नए सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि भाजपा में सबका मान-सम्मान होता है। उन्होंने यह भी कहा कि तीन महीने बाद एक और पड़ाव आने वाला है, जब प्रदेश में नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनेगी।
नए सदस्यों की प्रतिक्रिया
सोनीपत के मेयर निखिल मदान ने भाजपा में शामिल होने को अपने लिए गौरव का क्षण बताया। उन्होंने कहा, "मैं भाजपा की नीतियों से प्रभावित होकर सदस्यता ग्रहण कर रहा हूं। जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, उसे 100 प्रतिशत पूरा किया जाएगा।"
यह घटनाक्रम हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा झटका है, जबकि भाजपा के लिए यह आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ी उपलब्धि है। मुख्यमंत्री सैनी और अन्य वरिष्ठ नेताओं के बयानों से स्पष्ट है कि भाजपा इस कदम को अपने पक्ष में भारी जनसमर्थन के रूप में देख रही है।
हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह कदम वास्तव में चुनावों में भाजपा को लाभ पहुंचाएगा और क्या वे अपने तीसरी बार सरकार बनाने के दावे को साकार कर पाएंगे। इस बीच, कांग्रेस के लिए यह एक चेतावनी का संकेत है और उन्हें अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।
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