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सौ मर्ज की दवा गिलोय : सिर्फ़ एक पौधा नहीं, आयुर्वेद में सबसे अच्छी औषधियों में से एक है गिलोय

सौ मर्ज की दवा गिलोय : सिर्फ़ एक पौधा नहीं, आयुर्वेद में सबसे अच्छी औषधियों में से एक है गिलोय

गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं, इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है, कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई

प्रतीकात्मक तस्वीर

गिलोय सिर्फ़ एक पौधा नहीं है, इसे आयुर्वेद में सबसे अच्छी औषधियों में से एक माना जाता है, जिसका इस्तेमाल कई तरह के बुखार और अन्य सूजन संबंधी स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है। यह तीन अमृत पौधों में से एक है। यह पाचन तंत्र के लिए अच्छा है और पाचन में सुधार करने में मदद करता है। यह अपने त्रिदोष संतुलन गुण के कारण जलन, दर्द और अत्यधिक प्यास को कम करने में भी मदद करता है। अगर आपको मधुमेह है, तो गिलोय आपके लिए एक जादुई औषधि है।

इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया

गिलोय रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने में मदद करता है और समग्र चयापचय में सुधार करके वजन प्रबंधन में सहायता करता है।गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई। इस लेख में, आइए गिलोय और इसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में अधिक जानें और देखें कि यह आपकी स्वास्थ्य दिनचर्या में क्यों शामिल होना चाहिए।

गिलोय क्या है?

गिलोय को अमृता या गुडूची के नाम से भी जाना जाता है, यह मेनिस्पर्मेसी परिवार का एक हर्बल पौधा है, जो आमतौर पर भारत के आसपास उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। गिलोय का तना अपने पोषक तत्वों और इसमें पाए जाने वाले एल्कलॉइड के कारण बहुत प्रभावी है। यह एक चढ़ाई वाला पौधा है जिसके पत्ते दिल के आकार के होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। चरक संहिता के अनुसार, गिलोय विभिन्न विकारों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियों में से एक है और यह वात और कफ दोष को कम करने में भी मदद करती है।  

गिलोय के अन्य नाम क्या हैं?

गुडूची, मधुपर्णी, अमृता वल्लरी, छिन्नरुहा, चक्र लक्षणिका, सोमवल्ली, टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया, रसायनी, वत्सदानी, ज्वारारी, बहुचिन्ना और अमृता।   

गिलोय के औषधीय गुण

गिलोय, जिसे टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया के नाम से भी जाना जाता है, का उपयोग सदियों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसके विभिन्न औषधीय गुणों के कारण किया जाता रहा है। यहाँ इसके कुछ उपयोगों पर करीब से नज़र डाली गई है:

  • इम्यूनोमॉडुलेटरी
  • सूजनरोधी
  • एंटीऑक्सिडेंट
  • ज्वर हटानेवाल
  • रक्त शर्करा प्रबंधन
  • थक्कारोधी एजेंट
  • रक्त-ग्लूकोज-कम करने वाली गतिविधि
  • तनाव-विरोधी गतिविधि
  • एंटीवायरल गतिविधि
  • सूक्ष्मजीव - रोधी गतिविधि
  • सूजन रोधी क्रिया (सूजन कम करती है)
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
  • घाव भरने 

 

1. गिलोय बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता 

गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं। 2-3 चम्मच गिलोय का रस लें और उसमें उतनी ही मात्रा में पानी मिलाएं। अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए दिन में दो बार इस रस को पिएं।

2. ठीक करती है बुखार

गिलोय सामान्य बुखार के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। यह नाक से स्राव, छींकने और नाक की खुजली जैसे लक्षणों को कम करने में मदद करता है। आयुर्वेद में, अमा का मतलब है कि शरीर में अनुचित पाचन के कारण विषाक्त पदार्थ रह जाते हैं, और दूसरा, विदेशी कण बुखार के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह एक सूजनरोधी, ज्वरनाशक जड़ी बूटी और दवा है जो संक्रमण से लड़ने के लिए आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद करती है।

इसमें ज्वरनाशक गुण होते हैं जो बुखार को कम करते हैं। अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। गिलोय हर तरह के बुखार से लड़ने में मदद करती है। इसलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा दिलाती है। 2-3 चम्मच गिलोय का रस लें और उसमें उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें। इस मिश्रण को प्रतिदिन खाली पेट पियें। 

3. गिलोय के फायदे -डायबिटीज के रोगियों के लिए

गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है। इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है। गिलोय के सेवन से आप मधुमेह को नियंत्रित करने में लाभ उठा सकते हैं। यह रक्त शर्करा के स्तर में सुधार करता है और अपने एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण अल्सर, घाव और किडनी की क्षति जैसी मधुमेह से संबंधित जटिलताओं को प्रबंधित करने में भी मदद करता है। दोपहर और रात के खाने के बाद 1/2 चम्मच गिलोय पाउडर लें।

4. पाचन शक्ति बढ़ाती है 

यह बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद करती है। इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बड़ियों से बचा रहता है।1/2 चम्मच गिलोय पाउडर को 1 गिलास पानी में मिलाकर दिन में दो बार लें।

5. कम करती है स्ट्रेस 

गलाकाट प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तनाव या स्ट्रेस एक बड़ी समस्या बन चुका है। गिलोय एडाप्टोजेन की तरह काम करती है और मानसिक तनाव और चिंता (एंजायटी) के स्तर को कम करती है। इसकी मदद से न केवल याददाश्त बेहतर होती है बल्कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली भी दुरूस्त रहती है और एकाग्रता बढ़ती है।

6. बढ़ाती है आंखों की रोशनी 

गिलोय को पलकों के ऊपर लगाने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके लिए आपको गिलोय पाउडर को पानी में गर्म करना होगा। जब पानी अच्छी तरह से ठंडा हो जाए तो इसे पलकों के ऊपर लगाएं।

7. अस्थमा में भी फायदेमंद 

मौसम के परिवर्तन पर खासकर सर्दियों में अस्थमा को मरीजों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस पीना चाहिए। इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा।

8. गठिया में मिलेगा आराम

गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है। 2-3 चम्मच गिलोय का रस 1 गिलास पानी में मिलाकर पी लें।

9. अगर हो गया हो एनीमिया, तो करिए गिलोय का सेवन 

भारतीय महिलाएं अक्सर एनीमिया यानी खून की कमी से पीडि़त रहती हैं। इससे उन्हें हर वक्त थकान और कमजोरी महसूस होती है। गिलोय के सेवन से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती है और एनीमिया से छुटकारा मिलता है।

10. बाहर निकलेगा कान का मैल 

कान का जिद्दी मैल बाहर नहीं आ रहा है तो थोड़ी सी गिलोय को पानी में पीस कर उबाल लें। ठंडा करके छान के कुछ बूंदें कान में डालें। एक-दो दिन में सारा मैल अपने आप बाहर जाएगा।

11. कम होगी पेट की चर्बी

गिलोय शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिज्म) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है। ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है।

12. खूबसूरती बढ़ाती है गिलोय 

गिलोय न केवल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है, बल्कि यह त्वचा और बालों पर भी चमत्कारी रूप से असर करती है….

13. जवां रखती है गिलोय 

गिलोय में एंटी एजिंग गुण होते हैं, जिसकी मदद से चेहरे से काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और झुर्रियां दूर की जा सकती हैं। इसके सेवन से आप ऐसी निखरी और दमकती त्वचा पा सकते हैं, जिसकी कामना हर किसी को होती है। अगर आप इसे त्वचा पर लगाते हैं तो घाव बहुत जल्दी भरते हैं। त्वचा पर लगाने के लिए गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाएं।

गिलोय के ये साइड इफेक्ट्स

आप नहीं जानते रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से लेकर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने तक, गिलोय चमत्कार की तरह काम करता है। लेकिन गिलोय का सेवन करने से पहले, इसके दुष्प्रभावों को समझना भी ज़रूरी है।

पाचन संबंधी परेशानी-  अगर आप गिलोय का सेवन अधिक मात्रा में या खाली पेट करते हैं, तो इससे कुछ लोगों में कब्ज, दस्त और पेट में जलन जैसी पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, अपनी जीवनशैली में कोई भी नया घटक शामिल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।

रक्त शर्करा में उतार-चढ़ाव- गिलोय का अत्यधिक सेवन कभी-कभी समस्या पैदा कर सकता है। यदि आपको मधुमेह है या आप रक्त शर्करा की दवाएँ ले रहे हैं, तो निम्न रक्त शर्करा के स्तर से बचने के लिए गिलोय का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

एलर्जी संबंधी प्रतिक्रियाएँ- यह कुछ लोगों में एलर्जी संबंधी प्रतिक्रियाएँ पैदा कर सकता है। इससे त्वचा पर चकत्ते, खुजली या सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण हो सकते हैं। 

गिलोय विभिन्न रूपों में उपलब्ध है, प्रत्येक के अपने फायदे 

पाउडर- गर्म पानी, दूध या जूस में मिलाकर सेवन करें।

जूस- सीधे पिएं या पानी में मिलाकर पियें।

कैप्सूल- अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार प्रतिदिन 1 या 2 कैप्सूल लें।

काढ़ा (काढ़ा)- उबले हुए गिलोय के काढ़े को छान लें और इसका रस पी लें।

गिलोय की कितनी खुराक की सिफारिश की जाती है?

हमेशा कम खुराक से शुरू करना सबसे अच्छा होता है। पाउडर के लिए, दिन में एक या दो बार 1-2 चम्मच लें। हालांकि, उचित खुराक को समझने के लिए किसी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से सलाह लें। आपकी स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर, आपका डॉक्टर सही खुराक की सलाह दे सकता है।

अब आप जान गए होंगे कि गिलोय क्या है और इसके स्वास्थ्य लाभ क्या हैं। गिलोय को अपने आहार में शामिल करें और इसके अधिकांश लाभ, इसके प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले गुणों से लेकर इसके सूजन-रोधी प्रभावों तक, आपको स्वस्थ बनाते हैं। यह आपके शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा को मजबूत करता है, रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।

गिलोय आपकी दिनचर्या में एक मूल्यवान वस्तु हो सकती है। लेकिन, इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करने से पहले, अपने डॉक्टर से सलाह लें, खासकर यदि आपको कोई अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या है या आप दवा लेते हैं। इसके लाभों को समझें और स्वस्थ रहने के मार्ग पर चलने के लिए इसका जिम्मेदारी से उपयोग करें।

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