loader
जातीय समीकरण पर मंथन : विस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं एससी वोटर

जातीय समीकरण पर मंथन : विस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं एससी वोटर

गत लोकसभा चुनाव में वोटिंग का जो पैटर्न नजर आया, उसके चलते राजनीतिक दलों को अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव करना पड़ रहा है, चुनावी नतीजों में एक अहम पहलू ये नजर आया कि एससी वोटर्स भाजपा से नाराज़ नज़र आ रहे हैं

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणामें विधान सभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। लिहाज़ा भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा समय से थोड़ा पहले चुनाव करवाने की घोषणा के बाद राजनीतिक दलों में जहां हलचल मची हुई है, वहीं तैयारियों में दिन रात एक कर रहे हैं। अलबत्ता गत लोकसभा चुनाव के बाद जहां पांच सीट गंवाने वाली भाजपा लगातार मंथन कर रही है तो कांग्रेस विधानसभा चुनाव जीतने को लेकर आशान्वित नजर आ रही है। वहीं आम आदमी पार्टी, इनेलो, बसपा और जननायक जनता पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव किसी दुस्वपन से कम साबित नहीं हुए। गत लोकसभा चुनाव में वोटिंग का जो पैटर्न नजर आया, उसके चलते राजनीतिक दलों को अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव करना पड़ रहा है।

24 घंटे में 4 जजपा विधायकों ने छोड़ी जेजेपी 

चुनावी नतीजों में एक अहम पहलू ये नजर आया कि एससी वोटर्स भाजपा से नाराज नजर आ रहे हैं और हरियाणा में पार्टी लोकसभा चुनाव में एक चौथाई से भी कम विधानसभा सीटों में जीत पाई। अब कड़ी में माना जा रहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में एससी वोटर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं और कुल वोटर्स के पांचवे हिस्से वाला एससी वोट बैंक अबकी बार निर्णायक फैक्टर साबित हो सकता है। इसके अलावा ये भी बता दें कि पिछले दिनों दो दिन में 24 घंटे में जिन 4 जजपा विधायकों ने पार्टी छोड़ी है, उनमें से तीन ईश्वर सिंह, राम निवास सुरजाखेड़ा और अनूप धानक तीनों ही एससी समुदाय से आते हैं और इनको तीनों के पार्टी छोड़ने के पीछे राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के अलावा जातीय समीकरण भी माने जा रहे हैं।

एससी वर्ग का क्षेत्रीय दलों में लगातार विश्वास कम हुआ

लोकसभा चुनावी नतीजों में सामने आया है कि एससी वर्ग का क्षेत्रीय दलों जजपा और इनेलो में लगातार विश्वास कम हुआ है। हरियाणा में पिछले विधानसभा चुनाव में 10 विधानसभा सीट जीतकर सत्ता में साझीदार बनी जजपा लगातार कठिन दौर से गुजर रही है। पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव किसी दुस्वपन से कम नहीं रहे। पार्टी कैंडिडेट्स की सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई। पिछली विधानसभा चुनाव में 4 आरक्षित सीट जीतने वाली जजपा लोकसभा चुनाव में किसी भी विधानसभा सीट पर विजय नहीं प्राप्त कर सकी।

भाजपा 17 आरक्षित सीट में से महज 4 सीट ही जीत पाई

पिछली बार हुए विधानसभा चुनाव में 5 सीट जीतने वाली भाजपा को लोकसभा चुनाव में महज 25 फीसदी से भी कम यानी कि कुल 4 सीटों पर जीत मिली है। राज्य में कुल 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इनमें से मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने अबकी बार लोकसभा चुनाव में 11 सीटों पर जीत दर्ज की है। जबकि बीजेपी सिर्फ 4 सीटें ही जीत पाई है। इसके अलावा कांग्रेस के साथ इंडी गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा दो विधानसभा क्षेत्रों में लीड लेने पर पार्टी के लिए नतीजे कुछ हद तक सुखदायी रहे।

एससी समुदाय के लिए आरक्षित 17 सीटों में से कांग्रेस ने खरखौदा, कलानौर, झज्जर, बवानीखेड़ा, उकलाना, कालांवाली, मुलाना, साढौरा, रतिया, नरवाना और होडल सीटें जीती हैं। बीजेपी ने नीलोखेड़ी, इसराना, पटौदी और बावल सीटें जीती हैं तो वहीं आप ने कुरुक्षेत्र लोकसभा में आने वाली शाहाबाद और गुहला चीका सीट पर लीड ली। वहीं क्षेत्रीय दलों इनेलो और जजपा को किसी भी आरक्षित विधानसभा सीट में जीत नहीं मिली।

एससी वोटर्स को लुभाने के लिए लगातार रणनीति पर मंथन

एससी समुदाय ने भाजपा कैंडिडेट्स में कितना विश्वास जताया और वोट डाली, इसका पता इसी बात से लगता है जिसमें अबकी बार कड़ी मेहनत के बाद चुनाव जीतने वाले और 6वीं बार सांसद बने राव इंद्रजीत सिंह चुनाव जीतने के बाद एक कार्यक्रम में एससी समुदाय से आने वाले और हरियाणा सरकार में मंत्री डॉ बनवारी लाल को ये कहते हुए नजर आते हैं कि डॉ साब आपको तो पता ही होगा कि मुझे और सभी लोकसभा क्षेत्रों में एससी समुदाय के कितने लोगों ने वोट डाली हैं।

एक तरह से उन्होंने वोट नहीं डालने पर एससी वर्ग को अबकी निशाने पर लिया और इससे कहीं न कहीं साफ है कि भाजपा से एससी वर्ग के वोटरों में कहीं न कहीं मुखालफत है और उन्होंने पार्टी से दूरी बनाई है। इसी कड़ी में सामने आया है कि फिलहाल के राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए आने वाले विधानसभा चुनावों में एससी वोटर्स को लुभाने के लिए लगातार रणनीति पर मंथन कर रही है। 

हरियाणा में करीब 21 फीसद एससी परिवार, निर्णायक वोट बैंक

परिवार पहचान पत्र के आंकड़ों के अनुसार के आधार पर जातीय आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में एससी वर्ग के कुल 1368365 परिवार हैं। ये कुल परिवारों का 20.71 फीसद है। इस लिहाज से साफ है कि प्रदेश की राजनीति में एससी समुदाय कितना अहम है और आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी दलों की कोशिश होगी कि एससी वोटरों को लुभा कर व ज्यादा से ज्यादा सीट जीतकर विधानसभा चुनाव में पार्टी की सरकार बनाना सुनिश्चित किया जाए।

वहीं बीसी ए वर्ग के परिवारों की बात करें तो इनकी संख्या 1123852 हैं जो कुल परिवारों का 16.52 फीसद बैठता है। बीसी बी वर्ग की बात करें तो इनकी संख्या 869079 है जो कि कुल जनसंख्या का 12.78 फीसद है। ये भी बता दें कि प्रदेश में 72 लाख परिवारों ने पीपीपी बनवाने के लिए आवेदन किया। इनमें से 68 लाख परिवारों का डाटा वेरीफाई हो चुका था। लगभग 2.5 लाख परिवार ऐसे हैं, जो किसी अन्य राज्य में रह रहे हैं। 

17 हलके आरक्षित, 2019 में कांग्रेस ने 7, भाजपा ने 5 और जजपा ने 4 सीट जीती थी

हरियाणा में कुल 17 आरक्षित सीटें हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर सबसे ज्यादा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सबसे ज्यादा 7 विधायक जीते हैं। पानीपत में इसराना से बलबीर वाल्मीकि, यमुनानगर में साढौरा से रेणुबाला, अंबाला में मुलाना से वरुण चौधरी, रोहतक में कलानौर से शकुंतला खटक, सोनीपत में खरखौदा से जयवीर वाल्मीकि, सिरसा के कालांवाली से शीशपाल केहरवाल और रोहतक के झज्जर से गीता भुक्कल विधायक हैं। 

Join The Conversation Opens in a new tab
×