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Haryana's Future CM Face : भाजपा की सोशल मीडिया पोस्ट पर सियासी घमासान : राहुल गांधी से मांगा एससी वर्ग के हितैषी होने का प्रमाण

Haryana's Future CM Face : भाजपा की सोशल मीडिया पोस्ट पर सियासी घमासान : राहुल गांधी से मांगा एससी वर्ग के हितैषी होने का प्रमाण

हरियाणा में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस में छिड़ी ‘जंग’ पर भाजपा ने भी ली चुटकी

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस में छिड़ी ‘जंग’ पर भाजपा ने भी चुटकी ले ली है। भाजपा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स और आधिकारिक फेसबुक पेज पर पोस्ट करके राहुल गांधी को लेकर भी कटाक्ष किया है।

पोस्ट में लिखा है "भाजपा ने तो पिछड़े वर्ग से मुख्यमंत्री बना दिया, ‘राहुल गांधी एससी वर्ग का खूब पक्ष रख रहे हैं, ‘शैलजा जी को हरियाणा से मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित करे’ ‘ताकि पता चले वे समाज के कितने शुभचिंतक हैं।" इस पोस्ट को लेकर हालांकि बीजेपी के किसी नेता का कोई अधिकारिक बयान तो सामने नहीं आया है, लेकिन बीजेपी के फेसबुक पेज पर की गई इस पोस्ट के कई मायने निकाले जा रहे हैं।

सत्तारूढ़ पार्टी को अपनी चिंता करनी चाहिए : उदयभान 

बुधवार को सुबह की गई भाजपा की यह पोस्ट दिनभर राजनीतिक व प्रशासनिक गलियारों में चर्चाओं का विषय बनी रही। इस बीच, भाजपा की पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष उदय भान ने भाजपा की पोस्ट पर सवाल दागते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी को अपनी चिंता करनी चाहिए, क्योंकि राज्य में उनकी सरकार जाने वाली है। क्या भाजपा ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री चेहरा पहले घोषित किया था। क्या भाजपा ने 2014 में मनोहर लाल को हरियाणा का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था। ऐसे में कांग्रेस क्यों पहले मुख्यमंत्री नाम का ऐलान करे।

क्या पहले भाजपा ने सीएम चेहरे पर चुनाव लड़ा था ??

मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के चयन के बारे में उदयभान ने कहा कि कांग्रेस विधायक और पार्टी हाईकमान चुनाव परिणाम आने के बाद ही इस पर फैसला करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी ने पहले पंजाब और महाराष्ट्र सहित चार राज्यों में दलित समुदाय के नेताओं को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में आगे किया था। भान ने कहा, ‘‘भाजपा को बताना चाहिए कि उन्होंने एससी समुदाय से किसे मुख्यमंत्री बनाया है?

उसे यह भी बताना चाहिए कि क्या उसने राजस्थान में पिछला विधानसभा चुनाव लड़ते समय भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित किया था? क्या उसने (मध्यप्रदेश में) मोहन यादव के चेहरे पर चुनाव लड़ा था? क्या उसने हरियाणा में 2014 में मनोहर लाल खट्टर को अपना चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा था?’’ उन्होंने कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता टीका राम जूली दलित समुदाय से आते हैं।   

इस बार मुख्यमंत्री पद का चेहरा पहले ही घोषित कर चुकी भाजपा

यहां बता दें कि इस बार भाजपा विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद का चेहरा पहले ही घोषित कर चुकी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी हरियाणा दौरे व पंचकूला में हुई पदाधिकारियों की बैठक में स्पष्ट तौर पर कह चुके हैं कि नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़े जाएंगे और वही मुख्यमंत्री का चेहरा भी होंगे 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा बिना चेहरा घोषित किए चुनावी मैदान में उतरी थी।

भाजपा से ये भी रहे सीएम पद की दौड़ में 

उस समय प्रो. रामबिलास शर्मा, कैप्टन अभिमन्यु, ओमप्रकाश धनखड़ व कृष्ण गुर्जर सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने और हरियाणा में लोकसभा की 10 में से सात सीटों पर जीत के बाद प्रदेश में भाजपा के पक्ष में माहौल बन गया था। मनोहर लाल को पहली बार करनाल से विधानसभा चुनाव लड़वाया गया। भाजपा ने 47 सीटों के साथ पहली बार पूर्ण बहुमत से सत्ता हासिल की।

भाजपा ने मनोहर लाल को मुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद 2019 के विधानसभा चुनावों में मनोहर लाल के नेतृत्व में ही चुनाव लड़े गए और उन्हें दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाया गया। 12 मार्च को मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा ने प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के बड़े वोट बैंक को साधते हुए सैनी पर दाव खेला है। इस वोट बैंक के दृष्टिगत ही भाजपा ने उन्हीं के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। 

कांग्रेस से सीएम पद की रेस में ये चेहरे शामिल 

प्रमुख विपक्षी दल – कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर ‘जंग’ चल रही है। पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा उनके सांसद पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा को भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में माना जाता है।

 हुड्डा पहली बार 2005 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। 2009 में उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया और कांग्रेस ने दूसरी बार सत्ता हासिल की। 2014 का चुनाव भी हुड्डा के नेतृत्व में ही लड़ा गया, लेकिन इस बार कांग्रेस पंद्रह सीटों पर सिमट गई। इस बार के चुनावों में केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा तथा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला भी सीएम पद की दौड़ में हैं। पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव भी अहीरवाल की चौधर का नारा देते रहे हैं।

ट्रेजडी किंग का भी रहा सीएम बनने का सपना 

वर्षों तक कांग्रेस में सक्रिय रहे चौ. बीरेंद्र सिंह को हरियाणा की राजनीति का ‘ट्रेजडी किंग’ कहा जाता है। वे भी मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में शामिल रहे। 2014 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली। भाजपा ने उन्हें केंद्र में हेवीवेट मंत्री तो बनाया, लेकिन मुख्यमंत्री बनने का सपना भाजपा में भी पूरा नहीं हो पाया। ऐसे में बीरेंद्र सिंह अब परिवार सहित कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं। अब वे अपने बेटे व पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह को राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं। चुनावी राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान बीरेंद्र सिंह पहले ही कर चुके हैं।

भाजपा ने नहीं पूरा किया राव इंद्रजीत का सपना 

बीरेंद्र सिंह की तरह ही राव इंद्रजीत सिंह भी मुख्यमंत्री पद की लंबी लड़ाई लड़ चुके हैं। अहीरवाल में चौधर लाने की उनकी कोशिशें सिरे नहीं चढ़ पाई। उनके पिता राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री रहे। राव इंद्रजीत सिंह ने कांग्रेस में लंबी राजनीति की। वे हरियाणा सरकार में भी मंत्री रहे और केंद्र में भी मंत्री रहे।

कांग्रेस में सपने पूरे नहीं होते दिखे तो उन्होंने भी 2014 में भाजपा ज्वाइन कर ली। वे मोदी सरकार में लगातार तीसरी बार मंत्री बने हैं, लेकिन मुख्यमंत्री बनने का उनका सपना भाजपा में भी साकार नहीं हो सका। अब इंद्रजीत सिंह अपनी बेटी आरती राव को राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं।

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