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कहीं सीएम चेहरे को लेकर जंग..तो कहीं रूठों को मनाने के "एक्स्ट्रा वर्क लोड'' से तंग

कहीं सीएम चेहरे को लेकर जंग..तो कहीं रूठों को मनाने के "एक्स्ट्रा वर्क लोड'' से तंग

पार्टी नेताओं पर चुनाव प्रचार को गति देने के साथ-साथ रूठों को मनाने का "एक्स्ट्रा वर्क लोड'' और मिल गया। दोनों ही पार्टी नाराज नेताओं और पाला बदलने वाले नेताओं, बाग़ी होकर निर्दलीय नामांकन करने वाले नेताओं को मनाने में लगी

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर लगभग सभी पार्टियों के उम्मीदवारों के नामों का ऐलान हो चुका और नामांकन का सिलसिला थम चुका है। इस बार हरियाणा की कई सीटों पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है, इसी बीच कई राजनीतिक दलों को अंदरूनी कलेश भी झेलने पड़ रहे हैं।

खासकर भाजपा और कांग्रेस में टिकट के इच्छुक दावेदारों को टिकट न मिलने से उनके बगावती सुर पार्टियों के लिए सबब बने हुए हैं। मतदान 5 अक्टूबर को होना है, ऐसे में पार्टी नेताओं पर चुनाव प्रचार को गति देने के साथ-साथ रूठों को मनाने का "एक्स्ट्रा वर्क लोड'' और मिल गया। दोनों ही पार्टी नाराज नेताओं और पाला बदलने वाले नेताओं, बाग़ी होकर निर्दलीय नामांकन करने वाले नेताओं को मनाने में लगी हुई है। 

भूपेंद्र हुड्डा का पलड़ा भरी है या सैलजा का

बात अगर कांग्रेस पार्टी की हो तो इसमें एक और भी अलग जंग चल रही है। कांग्रेस में सीएम चेहरे को लेकर घमासान जारी है। दरअसल, कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता और मौजूदा लोकसभा सांसद सैलजा पहले ही हरियाणा के मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदार पेश कर चुकी है, तो वहीं दूसरी तरफ भूपेंद्र हुड्डा भी सीएम सीट के लिए काबिल माने जा रहे हैं। 

सैलजा भले ही अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने की कोशिश रही हैं, पर कहीं न कहीं पार्टी का झुकाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तरफ है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण कांग्रेस द्वारा जारी की गई उम्मीदवारों की लिस्ट में भी दिखाई दिया। सूत्रों के मुताबिक हुड्डा के चलते ही कांग्रेस पार्टी ने हरियाणा में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया। अब इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भूपेंद्र हुड्डा का पलड़ा भरी है या सैलजा का। 

तेज-तर्रार नेताओं में होती है सैलजा की गिनती

जहां एक तरफ भूपेंद्र हुड्डा का पार्टी में डंका बजता हुआ दिखाई दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ सैलजा कुमारी की गिनती तेज-तर्रार नेताओं में होती है। उनका राजनीतिक सफर काफी सीधा और साफ़ रहा है और उन्हें राजनीतिक तौर पर बेदाग भी माना जाता है। आपको बता दें,सैलजा कुमारी अब तक 5 बार लोकसभा का चुनाव जीत चुकी हैं। 1996 में जब कांग्रेस के खिलाफ देशभर में लहर थी तब भी शैलजा ने सिरसा लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थीं।

सैलजा पहली बार सांसद 1991 में बनी। उसके बाद 1996, 2004, 2009 और 2024 में लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। इसलिए शैलजा राजनीतिक तौर पर ज्यादा मजबूत मानी जाती हैं। अब देखना यह है कि इस बार कांग्रेस की तरफ से किसको सीएम पद की उम्मीदवारी मिलती है शैलजा या हुड्डा, या फिर को तीसरा ?

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