जींद जिले की सफीदों विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं का मिजाज कुछ अलग किस्म का है। इस विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने चुनाव में कभी भी बाहरी उम्मीदवारों को गले नहीं लगाया, बल्कि उसे खदेड़कर ये जताया है कि ''बाहरी हमें स्वीकार नहीं'' चूंकि यहाँ के मतदाताओं का मानना है कि बाहरी को वोट देकर अपनी वोट खराब करना ही है, वो तो जहां से आया था वोट लेकर वहीं चला जाएगा और हम ''विकास'' की बाट देखते रह जाएंगे और ''विकास'' भी उनके घर में मिलेगा।
...तो क्यों न हम अपने ही स्थानीय प्रत्याशी को जिताकर क्षेत्र का विकास कराएं। सफीदों हलके की रिपोर्ट बताती है कि जब भी सफीदों से बाहर के किसी प्रत्याशी पर दांव लगाया गया, सफीदों के लोगों ने उसे चुनावी दंगल में धूल चटा दी। सफीदों के मतदाताओं का यही मिजाज जजपा छोड़कर भाजपा में शामिल होकर भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे रामकुमार गौतम पर भी भारी पड़ रहा है।
पंसद के अनुकूल होगा तो जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ते
वहीं जसबीर देशवाल के निर्दलीय चुनावी रण में उतर जाने के बाद उनकी जीत लगातार चर्चा में है। इस सीट को लेकर मौजूदा राजनीतिक समीकरणों के मद्देनजर जसबीर देशवाल की बेहद मजबूत स्थिति में नजर आ रही हैं, जिसके चलते विरोधी दलों के कैंडिडेट्स खासी परेशानी में नजर आ रहे हैं।
वहीं कुछ रिपोर्ट्स और राजनीतिक विशेषज्ञों की राय अनुसार सफीदों सीट पर मुकाबला कांग्रेस और निर्दलीय के बीच रहेगा और क्योंकि सफीदों की फ़ितरत रही है अपनी मर्जी और पसंद से उम्मीदवार का चयन कर उसे जिताना, ऐसे में जनता की पसंद बन रहे हैं जसबीर देशवाल। उम्मीदवार चाहे पार्टी का हो या निर्दलीय पर सफीदों की जनता की मर्जी का या उनकी पंसद के अनुकूल होगा तो जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
बाहरी पर भरोसा नहीं करती सफीदों की जनता
गौरतलब है कि सफीदों विधानसभा गैर जाट बहुल सीट है, लेकिन जाटों की संख्या भी कम नहीं है। इस विधानसभा सीट से सभी जातियों के विधायक बनते रहे हैं। सफीदों का नाम हैचरी के व्यवसाय में पूरे एशिया में जाना जाता है। यहां पर एक लाख 94 हजार 500 मतदाता हैं। इनमें 1,04,000 के आसपास पुरुष और 95000 के आसपास महिला मतदाता हैं। यहां गैर जाट मतदाताओं की संख्या 65 प्रतिशत है।
यहां मुकाबला निर्दलीय तथा कांग्रेस के बीच होने की संभावना है, क्योंकि भाजपा के रामकुमार गौतम के लिए अभी से बाहरी का नारा लग चुका है। सफीदों की जनता कभी भी बाहरी व्यक्ति पर भरोसा नहीं करती है। रामकुमार गौतम ने 1991 में भी जनकल्याण मोर्चा की तरफ से सफीदों विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ा था। उस समय भी बाहरी का नारा लगा और उनको केवल 1570 वोट मिले थे। 2005 में कांग्रेस की लहर के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी कर्मवीर सैनी चुनाव हार गए थे। उनको 26077 वोट मिले थे। उनके खिलाफ भी बाहरी का नारा लगा था। कांग्रेस के बजाय 2005 में निर्दलीय बच्चन सिंह आर्य जीते थे।
लोगों ने दिया भारी बहुमत से जिताने का आश्वासन
वहीं चुनावी प्रचार अभियान के तहत जसबीर देशवाल ने सफीदों शहर वार्ड 15 ,वार्ड 10 वार्ड 17 के अलावा गांव जयपुर, सिंघाना और गांव मुआना में तीन जनसभाओं को सम्बोधित किया और अपने पक्ष में वोट की अपील की। जसबीर ने कहा कि विकास कराया है और विकास कराएंगे। सफीदों को एक अलग पहचान दिलाएंगे। जसबीर देशवाल का जनसभाओं में पहुंचने पर लोगों द्वारा भव्य स्वागत किया गया और उन्हें भारी बहुमत से जिताने का आश्वासन दिया।
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