हरियाणा विधानसभा की मतदान प्रक्रिया खत्म होने के बाद सभी एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा किया जा रहा है। जिससे कांग्रेसी खेमे में भारी उत्साह है, वहीं कांग्रेस नेता इस एग्जिट पोल को बदलाव से जोड़ रहे हैं तो वहीं भाजपा को अभी 8 अक्तूबर की मतगणना का इंतजार है। खैर फिलहाल एग्जिट पोल के अनुसार हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनना तय माना जा रहा है।
दीपेंद्र ने सीएम पद के लिए कभी दावेदारी पेश नहीं की
तो इन सबके बीच कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर कई तरह की समस्याएं खड़ी होने की उम्मीद है, क्योंकि कांग्रेस में मुख्य रूप से तीन चेहरे सीएम पद के दावेदार हैं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला। लिहाजा दीपेंद्र हुड्डा भी युवा चेहरा और मिलनसार स्वभाव के चलते सीएम पद के दावेदार हैं और युवाओं की पसंद भी हैं, लेकिन दीपेंद्र ने सीएम पद के लिए कभी दावेदारी पेश नहीं की है।
मुख्यमंत्री पद पर सभी का अधिकार..फैसला पार्टी का हाईकमान : हुड्डा
वहीं एग्जिट पोल में कांग्रेस की जीत की संभावना के बीच मुख्यमंत्री पद की दौड़ भी शुरू हो गई है। हालांकि सीएम पद की दावेदारी के साथ-साथ इन तमाम नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर या मीडिया को दिए गए बयानों में यही कहा कि सीएम पद के लिए फैसला हाईकमान का होगा और वो फैसला ने इन्हें मंजूर होगा। इन तीनों की दावेदारी कांग्रेस हाईकमान के लिए टेंशन पैदा करती नजर आ रही है।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और सांसद कुमारी सैलजा कल सालासर धाम पहुंची थीं, जहां उन्होंने पूजा-अर्चना की और गौशाला में सेवा की। पुजारी रवि शंकर ने उन्हें हरियाणा की अगली मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद भी दिया। इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर सभी का अधिकार है और जो भी फैसला पार्टी का हाईकमान करेगा, उसे सभी स्वीकार करेंगे। उन्होंने सैलजा को कांग्रेस की वरिष्ठ नेता बताया और उनके प्रति सम्मान जताया।
हर किसी को इच्छा रखनी चाहिए, लेकिन पार्टी का अनुशासन भी बेहद जरूरी : सुरजेवाला
गौरतलब है कि गत दिनों से कांग्रेस की दिग्गज नेता एवं सांसद कुमारी सैलजा लगातार मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी जता रही हैं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा बहुमत आने के बाद कांग्रेस हाईकमान की ओर से निर्णय करने की बात कह रहे हैं। हुड्डा ने कई बार मीडिया से मुखातिब होते हुए ये बयान दिया है कि कांग्रेस में विधायक दल की बैठक के बाद आलाकमान की ओर से मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जाती रही है। वहीं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने भी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी से इनकार नहीं किया। मतदान के दिन पत्रकारों से बातचीत में सुरजेवाला ने कहा कि हर किसी को इच्छा रखनी चाहिए, लेकिन पार्टी का अनुशासन भी बेहद जरूरी है।
दीपेंद्र ने भी खूब बहाया पसीना
वैसे तो विधानसभा चुनाव की पूरी कमान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान के हाथों में रही, लेकिन रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी खूब पसीने बहाए। कांग्रेस के टिकट वितरण में भी हुड्डा ग्रुप ने खूब चलाई जहां करीब 70 टिकटें उनके समर्थकों को मिली जबकि सैलजा को एक दर्जन से भी कम सीटें दी गई। टिकट वितरण से सैलजा नाराज हो गई थी और चुनाव के दौरान वह करीब 10 दिनों से दिल्ली आवास पर रही, लेकिन हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में उन्होंने अपनी भागीदारी दिखाई।
कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ गया
वहीं राहुल की कई जनसभाओं में सैलजा साथ रही, लेकिन रोड शो में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उदयभान ही साथ नजर आए। अब शनिवार को चुनाव होने के बाद आए एग्जिट पोल से कांग्रेस में उत्साह बढ़ गया है और उसी तरह से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर जोड़-तोड़ शुरू हो गई है। हालांकि अभी पूरी तस्वीर 8 अक्तूबर को मतगणना के बाद ही साफ होगी, लेकिन कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ गया है। चर्चा है कि हिसार में वोट करने के बाद कुमारी सैलजा शनिवार को ही राजस्थान के सालासर मंदिर में मत्था टेकने पहुंची। उनकी इस पूजा अर्चना को मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के रूप में देखा जा रहा है।
मेरी वरिष्ठता को कोई इग्नोर नहीं कर सकता : सैलजा
वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर कहा कि उनकी वरिष्ठता को कोई इग्नोर नहीं कर सकता है। सैलजा ने कहा कि प्रदेश में बदलाव की लहर है और भारी बहुमत से कांग्रेस सरकार बना रही है।
10 साल बाद कांग्रेस के कमबैक के आसार, पिछले 3 चुनाव का रिजल्ट
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 40 सीटों मिली थी, जबकि वोट शेयर 36.49 फीसदी था। जबकि कांग्रेस को 31 सीटें और वोट शेयर 28.08 फीसदी, जजपा को 10 सीटें और वोट शेयर 14.80 फीसदी, निर्दलीय 7 सीटें और वोट शेयर 9.17 फीसदी, इनैलो 1 सीट और वोट शेयर 2.44 तथा हलोपा 1 सीट और वोट शेयर 0.66 था।
वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 47 सीटें और वोट शेयर 33.02 फीसदी मिला था। जबकि इनेलो को 19 सीटें और वोट शेयर 24.01 फीसदी, कांग्रेस को 15 सीटें और वो शेयर 20.6 फीसदी, निर्दलीय को 5 सीटें और वोट शेयर 10.6 फीसदी, हजकां को 2 सीटें और वोट शेयर 3.6 फीसदी, बसपा को 1 सीट और वोट शेयर 4.4 फीसदी और शिअद को 1 सीट और वोट शेयर 0.6 फीसदी था।
वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस को 40 सीटें और वोट शेयर 35.8 फीसदी, इनेलो को 31 सीटें और वोट शेयर 25.79 फीसदी, हजकां को 6 सीटें और वोट शेयर 7.40 फीसदी, भाजपा को 4 सीटें और वोट शेयर 9.04 फीसदी, बसपा को 1 सीट और वोट शेयर 6.73 फीसदी, शिअद को 1 सीट और वोट शेयर 0.98 फीसदी था।
वहीं 2024 के विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल्स के अनुसार कांग्रेस अपने 2009 के रिकॉर्ड को भी तोड़ते हुए पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने की तरफ है, हालांकि चुनाव नतीजे 8 अक्तूबर को आएंगे, जिसके बाद ही वास्तविक स्थिति स्पष्ट होगी।
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