हरियाणा में 15वीं विधानसभा के गठन के लिए सम्पन्न हुए प्रदेश के 14वें आम चुनाव के नतीजों में भाजपा 90 में से 48 सीटें जीतकर तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। वहीं कांग्रेस को 37 सीटें प्राप्त हुई हैं। इनेलो को 2 सीटें एवं 3 निर्दलीय विधायक जीते हैैं।
अलबत्ता तीनों निर्दलीय विधायकों ने प्रदेश में बनने वाली भाजपा सरकार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है, जिससे नए विधानसभा सदन में उसकी संख्या बढकर 48 से बढकर 51 हो गई है। वहीं हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका है, जब सबसे कम तीन ही निर्दलीय विधायक चुने गए हैं, जिनमें 20 साल बाद एक महिला विधायक शामिल है।
1967 में हुए पहले विधानसभा चुनावों में 16 हलकों में आजाद विधायक बने
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट एवं विधायी मामलों के विशेषज्ञ हेमंत कुमार ने बताया 1967 में हुए पहले विधानसभा चुनावों में राज्य में 16 हलकों में आजाद विधायक बने थे। इसके बाद इतनी ही संख्या 1982 के चुनावों में निर्दलीय विधायकों की रही।
वहीं दूसरी ओर, हिसार से निर्दलीय विधायक बनीं सावित्री जिंदल प्रदेश की चौथी महिला विधायक हैं, जो निर्दलीय चुनी गई हैं। उनसे पहले केवल तीन ही महिलाओं ने आजाद प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की है। इससे पूर्व वर्ष 1982 आम चुनाव में बल्लभगढ़ हलके से शारदा रानी, वर्ष 1987 में झज्जर सीट से कुमारी मेधवी और वर्ष 2005 में बावल हलके से शकुंतला भगवाड़ीया ही निर्दलीय महिला विधायक रही हैं।
जानिए कब कितने निर्दलीय विधायक बने
वर्ष 1967 और वर्ष 1982 में हुए हरियाणा विधानसभा के आम चुनावों में सर्वाधिक 16-16 निर्दलीय विधायक विजयी हुए थे, जबकि वर्ष 1968 चुनावों में केवल 6 निर्दलीय विधायक जीत कर प्रदेश विधानसभा पहुंचे थे। वर्ष 1972 और 2000 विधानसभा आम चुनावों में 11-11 निर्दलीय विधायक चुने गए जबकि वर्ष 1977, 1987, 2009 और 2019 के विधानसभा आम चुनावों में 7-7 निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए।
वर्ष 1991 और 2014 के चुनावों में 5-5 निर्दलीय विधायक सदन में पहुंचे हालांकि वर्ष 1996 और 2005 के विधानसभा चुनावों में 10-10 निर्दलीय विधायक बने। इस प्रकार अबकी बार वर्ष 2024 में प्रदेश के 58 वर्ष के इतिहास में सबसे कम 3 निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए हैं जिसमें हिसार हलके से सावित्री जिंदल के अलावा गन्नौर सीट से देवेन्द्र कादयान और बहादुरगढ़ हलके से राजेश जून शामिल हैं।
जानिए निर्दलीयों की सहायता से कब-कब बनी थी सरकार
अधिवक्ता हेमंत ने यह भी बताया कि वर्ष 1982, 2009 और 2019 विधानसभा आम चुनावों में प्रदेश में नई सरकार के गठन में निर्दलीय विधायकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि निर्दलीय के रूप में चुनाव जीतकर विधायक बना व्यक्ति सरकार को समर्थन दे सकता है, परन्तु अगर वह औपचारिक रूप से सत्तारूढ़ राजनीतिक पार्टी या फिर सदन में किसी विपक्षी पार्टी में भी शामिल हो जाता है।
दल बदल विरोधी कानून में उस निर्दलीय विधायक की विधानसभा सदस्यता समाप्त हो सकती है जैसे आज से बीस वर्ष पूर्व जून, 2004 में 4 तत्कालीन निर्दलियों विधायकों-भीम सेन मेहता, जय प्रकाश गुप्ता, राजिंदर बिसला और देव राज दीवान के कथित रूप से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के कारण उन्हें तत्कालीन विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी वर्ष 2006 में सही ठहराया था।
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