हरियाणा दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कांग्रेस पर निशाने साधे। इसी दौरान मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला को भी जाति विशेष के मुद्दे पर घेरते हुए निशाना साधा। सीएम सैनी के इस बयान पर सुरजेवाला ने पलटवार करते हुए इसे दलित समुदाय का अपमान करार दिया।
अपने कार्यालय में पीए या पीएस तक नियुक्त करने का अधिकार नहीं
सुरजेवाला ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि “एक एक्सीडेंटल मुख्यमंत्री, नायब सैनी, अहंकार में डूबकर दलित समाज का अपमान कर रहे हैं। जिनके पास अपने कार्यालय में पीए या पीएस तक नियुक्त करने का अधिकार नहीं है, वे दिल्ली से आई लिस्ट के आधार पर ही अधिकारियों का चयन करते हैं।” सुरजेवाला ने सैनी को बौद्धिक दिवालियापन का शिकार बताते हुए उनकी टिप्पणियों को आक्रामक भाषा का उदाहरण बताया।
किसानों को 3,100 रुपए प्रति क्विंटल का धान का भाव क्यों नहीं मिला
रणदीप सुरजेवाला ने सैनी से किसानों की समस्याओं पर भी जवाब मांगे। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि 8 अक्टूबर से अब तक किसानों को 3,100 रुपए प्रति क्विंटल का धान का भाव क्यों नहीं मिला, जो कि भाजपा सरकार ने वादा किया था। सुरजेवाला ने आगे कहा कि किसान, आढ़ती, मंडी मजदूर और राइस मिल मालिक भी आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे है, और उन्हें 2,309 रुपए प्रति क्विंटल धान का मूल्य नहीं मिल रहा है। इसके अलावा, उन्होंने एनएचएम कर्मचारियों की समस्याओं पर भी सवाल उठाए और आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की टीम को अपने ही निर्णय वापस लेने पड़े।
दलित समाज हरियाणा की संस्कृति और पहचान का एक जरुरी हिस्सा
सुरजेवाला यहीं नहीं रुके उन्होंने मुख्यमंत्री सैनी पर यह भी आरोप लगाया कि वे दलित समाज का अपमान कर रहे हैं और अपनी जवाबदेही से बचने के लिए उन पर आक्रामक टिप्पणियाँ कर रहे हैं। सुरजेवाला ने कहा दलित समाज हरियाणा की संस्कृति और पहचान का एक जरुरी हिस्सा है और जिसका अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री होने का मतलब यह नहीं कि वे लोगों की समस्याओं को अनदेखा कर दें
सुरजेवाला ने कहा कि गरीब किसान, मजदूर और थोक विक्रेताओं के साथ अन्याय होता रहेगा तो वे उनके लिए आवाज उठाते रहेंगे। अगर लोगों की आवाज उठाना किसी जाति विशेष का काम माना जाता है, तो वे इसे अपने लिए एक सम्मान समझते हैं हैं। सुरजेवाला ने सैनी को अहंकार से बाहर निकलने की नसीहत देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री होने का मतलब यह नहीं कि वे लोगों की समस्याओं को अनदेखा कर दें। उन्होंने यह बताया कि सरकार से जवाब मांगने का अधिकार उनका है और वे इसे निभाते रहेंगे।
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