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The Haryana Story | सरकार 'कागजों' में चला रही है नशा मुक्ति अभियान, 'सफेद हाथी' बनकर रह गए नशा मुक्ति केंद्र

सरकार 'कागजों' में चला रही है नशा मुक्ति अभियान, 'सफेद हाथी' बनकर रह गए नशा मुक्ति केंद्र

नशा मुक्ति केंद्रों में न तो डॉक्टर है न अन्य स्टाफ है, न ही उनका बजट जारी किया जा रहा है इतना ही नहीं अधिक केंद्र किराये के भवन में चल रहे

प्रतीकात्मक तस्वीर

सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश के 22 में से 16 जिले नशे की चपेट में है, सरकारी रिकॉर्ड में कहने को 120 नशा मुक्ति केंद्र है पर सब के सब सफेद हाथी बनकर रह गए है ऐसा लग रहा है सरकार की ओर से नशा मुक्ति अभियान केवल कागजों में ही चल रहा है। नशा मुक्ति केंद्रों में न तो डॉक्टर है न अन्य स्टाफ है, न ही उनका बजट जारी किया जा रहा है इतना ही नहीं अधिक केंद्र किराये के भवन में चल रहे है। ऐसे हालात में प्रदेश कैसे नशा मुक्त हो पाएगा जबकि नशा युवाओं को लील रहा है, घर के घर बरबाद हो रहे हैं।

सरकार और पुलिस कमर कस ले तो नशा तस्कर प्रदेश से ही पलायन कर जाएंगे

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि इस समय नशा प्रदेश के लिए नासूर बना हुआ है। पुलिस के स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे है, पुलिस को इसके साथ साथ नशा तस्करों पर शिकंजा कसना चाहिए क्योंकि नशा तस्कर समाज का ही नहीं देश का दुश्मन होता है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार और पुलिस विभाग नशा मुक्ति के लिए पूरी तरह से कमर कस ले और ईमानदारी से काम करें तो नशा तस्कर प्रदेश से ही पलायन कर जाएंगे। 

सिरसा जिला में नशा पर काबू पाने में सरकार पूरी तरह से विफल 

उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र के नशा मुक्ति केंद्र के लिए  2016 से बजट ही जारी नहीं किया गया, 11 कर्मचारी बेरोजगार हो गए और केंद्र 2020 से बंद पड़ा है। नशे से सबसे ज्यादा प्रभावित सिरसा जिला में नशा पर काबू पाने में सरकार पूरी तरह से विफल रही है, युवा नशे के चलते मौत के आगोश में समा रहे है। सरकार और पुलिस को सख्त रवैया अपनाना होगा, वहीं पर राजनीतिक दल एक दूसरे पर नशा बिकवाने का आरोप लगाते आए है।

कहीं डॉक्टर नहीं, कहीं बजट नहीं, तो कहीं स्टाफ नहीं 

उन्होंने कहा है कि रेवडी नशा मुक्ति केंद्र का भवन तक नहीं है, उसका काफी समय से बजट तक जारी नहीं किया जा रहा है और स्टाफ के खाली पद तक नहीं भरे गए है, जींद के नशा मुक्ति केंद्र को 2020 से बजट ही नहीं मिला, करनाल के नशा मुक्ति केंद्र में मनोचिकित्सक तक नहीं हैं, पानीपत के नशा मुक्ति केंद्र के लिए बजट तक जारी नहीं किया गया और न ही वहां पर स्टाफ है।

कैथल में नशा मुक्ति केंद्र आज भी किराये के भवन में चल रहा है, टोहाना के नशा मुक्ति केंद्र में स्टाफ तक नहीं है और न ही बजट मिल रहा है, सोनीपत और भिवानी के  नशा मुक्ति केंद्र भी बदहाल स्थिति में है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि सबसे पहले नशा मुक्ति केंद्रों की हालात सुधारी जाए तभी युवाओं को नशे से छुटकारा दिलाया जा सकता है।

रतिया में हरियाणा-पंजाब को जोड़ने वाले स्टेट हाईवे का जल्द हो निर्माण

उधर कुमारी सैलजा ने कहा कि उनके लोकसभा क्षेत्र सिरसा के नगर रतिया में हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाली सड़क के एक हिस्से का निर्माण काफी समय से अधर में लटका हुआ है, जिसके कारण वहां से आने-जाने वाले लोगों को काफी परेशानी हो होती है, रात में आए दिन सड़क हादसे होते रहते है, दिन में लोगों को दूसरे रास्तों से होकर आना-जाना पड़ता है जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी होती है।

सड़क का निर्माण कार्य अधर में लटका

दूसरी ओर रतिया में फतेहाबाद रोड से महिला कॉलेज तक जाने वाली सड़क का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है। इस रोड से होकर प्रतिदिन हजारों छात्राएं कालेज आती-जाती है जिन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, हर समय धूल उड़ती रहती है और हादसों का डर रहता है। ऐसे में आपसे अनुरोध है कि इस समस्या के बारे में संज्ञान लेते हुए दोनों सड़को का निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूरा करवाया जाए ताकि लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़े।

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