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The Haryana Story | अमेरिका के पीजीए सम्मेलन में छाए जींद के डॉ. मृत्युंजय गुप्ता, बने विश्व में सबसे कम उम्र के अंतरराष्ट्रीय स्कॉलर

अमेरिका के पीजीए सम्मेलन में छाए जींद के डॉ. मृत्युंजय गुप्ता, बने विश्व में सबसे कम उम्र के अंतरराष्ट्रीय स्कॉलर

भारत का किया प्रतिनिधित्व, विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने जताई खुशी, देश और प्रदेश के लिए गर्व की बात

डॉ. मृत्युंजय गुप्ता

प्रदेश की ही नहीं बल्कि देश के लिए भी ये एक बड़ी उपलब्धि और गर्व की बात है कि हरियाणा के जींद के नागरिक अस्पताल में एनेस्थीसिया एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. मृत्युंजय गुप्ता को न्यूयॉर्क सोसायटी ऑफ  एनेस्थीसियोलॉजिस्ट्स द्वारा आयोजित व अमेरिका सरकार द्वारा प्रायोजित विश्व के सबसे प्रतिष्ठित सम्मेलनों में से एक 78वें पोस्ट ग्रेजुएट एनेस्थीसिया (पीजीए) सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय स्कॉलर के रूप में आमंत्रित किया गया।

मात्र 27 वर्ष की उम्र में इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले अब तक के सबसे कम उम्र के अंतरराष्ट्रीय स्कॉलर

यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष है, क्योंकि पूरे विश्व से केवल 10 विशेषज्ञों को अंतरराष्ट्रीय स्कॉलर के रूप में चुना गया और भारत से मात्र डा. गुप्ता का इस सम्मान के लिए चयन किया गया, इतना ही नहीं वे मात्र सत्ताइस वर्ष की उम्र में इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले अब तक के सबसे कम उम्र के अंतरराष्ट्रीय स्कॉलर के रूप में भी सम्मानित हुए।

डॉ. मृत्युंजय ने एनेस्थीसिया क्षेत्र में भारत की श्रेष्ठता और क्षमताओं को भी प्रस्तुत किया

डॉ. मृत्युंजय गुप्ता ने न्यूयॉर्क में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में न केवल भारत का प्रतिनिधित्व किया बल्कि एनेस्थीसिया क्षेत्र में अपने अनुभवों को अंतरराष्ट्रीय मंच से साझा करते हुए भारत की श्रेष्ठता और क्षमताओं को भी प्रस्तुत किया। आयोजकों ने डा. गुप्ता की प्रतिभा को सम्मानित करते हुए उनकी यात्रा का पूरा खर्च प्रायोजित किया।

जिसमें आने जाने का एयर फेयर व टाइम्स स्क्वायर के प्रतिष्ठित मैरियट मार्क्विस होटल में रुकने, खाने पीने की सुविधा भी शामिल थी। इस भव्य सम्मेलन में पूरे विश्व से लगभग एक हजार से अधिक प्रमुख चिकित्सा विशेषज्ञ और स्वास्थ्य उद्योग के अग्रणी उद्योगपतियों ने भाग लिया। डॉ. मृत्युंजय गुप्ता ने बताया कि यह उनके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव था। 

हर जीवन को बचाना ही उनका लक्ष्य

डॉ. मृत्युंजय गुप्ता को मिली इस उपलब्धि पर शहर की विभिन्न संस्थाओं ने खुशी जताई है। न्यूयॉर्क में उन्होंने विश्व के प्रमुख एनेस्थीसियोलॉजिस्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों से उनके अनुभवों से और अत्याधुनिक तकनीकों एवं नवाचारों के बारे में सीखा। जो भी मैंने वहां से सीखा है, उसे मैं अपने कार्यक्षेत्र जींद और देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल करूंगा। इसके साथ ही वो आगे भी नई-नई रिसर्च कर स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने का प्रयास करते रहेंगे।

डा. मृत्युंजय ने कहा कि उनके जीवन का उद्देश्य है कि हर आपात स्थिति में हर संभव प्रयास से लोगों की जान बचाई जाए। उन्होंने माई विल माई लाइफ नाम से एक संस्था भी स्थापित की है, जो सड़क दुर्घटना, डूबने, शॉक और कार्डियक अरेस्ट जैसी आपात स्थितियों में लोगों की जान बचाने के लिए जागरूकता फैलाती है और प्रशिक्षण देती है। उनकी प्रतिबद्धता है कि कोई भी जीवन केवल आपातकालीन सहायता की कमी के कारण न खो जाए। हर जीवन को बचाना ही उनका लक्ष्य है। 

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