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The Haryana Story | 26 जनवरी महज कैलेंडर में दी गई एक डेट नहीं, सांस्कृतिक एकता का उत्सव है गणतंत्र दिवस : जस्टिस ललित बत्रा

26 जनवरी महज कैलेंडर में दी गई एक डेट नहीं, सांस्कृतिक एकता का उत्सव है गणतंत्र दिवस : जस्टिस ललित बत्रा

गणतंत्र दिवस भाषाओं, परंपराओं की विविधताओं के बाद भी सांस्कृतिक एकता का उत्सव, तीन नए आपराधिक कानूनों के आधार में दंड की जगह न्याय, केस की सुनवाई कर न्याय भी करेंगे और समाज के प्रति दायित्वों को भी निभायेंगे : जस्टिस ललित बत्रा

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा ने कार्यालय में अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ गणतंत्र दिवस मनाया। तिरंगा फहराने और राष्ट्रगान के बाद जस्टिस ललित बत्रा ने अधिकारियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस महज कैलेंडर में दी गई एक डेट नहीं है।आज का दिन एक ऐसा अवसर है जब हमें भारत के नागरिक होने के नाते मिलने वाले वाले अधिकारों के साथ अपने कर्तव्यों को भी याद करना चाहिए।

कानूनी ढांचे से परे, गणतंत्र दिवस हमारे देश की भिन्न-भिन्न भाषाओं, परंपराओं की विविधताओं के बाद भी सांस्कृतिक एकता का उत्सव है। जस्टिस ललित बत्रा ने अपने संबोधन में बोला कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम दिए संदेश में महामहिम राष्ट्रपति आदरणीय द्रौपदी मुर्मू जी ने भी हमें याद दिलाया है कि न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता केवल सैद्धांतिक अवधारणाएं नहीं हैं जिनका परिचय हमें आधुनिक युग में ही प्राप्त हुआ हो।

शिकायतकर्ता के अधिकारों की भी रक्षा करने का प्रावधान

भारत के गणतांत्रिक मूल्यों का प्रतिबिंब हमारी संविधान सभा की संरचना में ही दिखाई देता है। समावेशी विकास हमारी प्रगति की आधारशिला है जिससे विकास का लाभ व्यापक स्तर पर अधिक से अधिक देशवासियों तक पहुंचता है। भारत सरकार द्वारा Indian Penal Code (IPC), Criminal Procedure Code (CrPC) और Indian Evidence Act (IEA) के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू करने का निर्णय सर्वाधिक उल्लेखनीय है।

जस्टिस ललित बत्रा ने बताया कि 01 जुलाई 2024 से लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों के आधार में दंड की जगह न्याय, देरी की जगह त्वरित ट्रायल और न्याय है। पहले के कानूनों में सिर्फ पुलिस के अधिकारों की रक्षा की गई थी लेकिन नए आपराधिक कानूनों में पीड़ितों और शिकायतकर्ता के अधिकारों की भी रक्षा करने का प्रावधान है। 

....इसलिए ही भारत को "लोकतंत्र की जननी" कहा जाता

समारोह में बोलते हुए जस्टिस ललित बत्रा का कहना था कि हमारे गणतंत्र का 75वां वर्ष, कई अर्थों में, देश की यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव है। यह उत्सव मनाने का विशेष अवसर है, जैसे हमने, स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने पर, “आजादी का अमृत महोत्सव” के दौरान अपने देश की अतुलनीय महानता और विविधतापूर्ण सांस्कृतिक एकता का उत्सव मनाया था। वैसे ही आज के दिन हम संविधान के प्रारंभ का उत्सव मना रहे है। संविधान की प्रस्तावना "हम, भारत के लोग", इन शब्दों से शुरू होती है। ये शब्द, हमारे संविधान के मूल भाव अर्थात लोकतंत्र को रेखांकित करते हैं। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था, लोकतंत्र की पश्चिमी अवधारणा से कहीं अधिक प्राचीन है। इसलिए ही भारत को "लोकतंत्र की जननी" कहा जाता है। 

समाज के प्रति अपने दायित्वों का भी निर्वहन करेंगे

अपने संबोधन में जस्टिस ललित बत्रा ने बताया कि मैंने 27 नवंबर 2024 को हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था।सितंबर 2023 से लेकर नवंबर 2024 तक लगभग 14 महीनों से आयोग गठित नहीं था, इसलिए काफ़ी केस लंबित थे। हरियाणा मानव अधिकार आयोग में मेरी कुर्सी के पीछे राष्ट्रीय चिन्ह “अशोक स्तंभ” लगा है और उसके नीचे “सत्यमेव जयते” भी लिखा है। कार्यभार संभालने के बाद “अशोक स्तंभ” और “सत्यमेव जयते” से प्रेरणा लेते हुए मैंने आयोग के दोनों सदस्यों कुलदीप जैन और दीप भाटिया के साथ संकल्प लिया कि- सभी लंबित केसों की जल्द सुनवाई कर न्याय करेंगे और साथ ही समाज के प्रति अपने दायित्वों का भी निर्वहन करेंगे। 

आगे बोलते हुए हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा ने बताया कि दिसंबर में हमने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा दिल्ली में आयोजित महामहिम राष्ट्रपति आदरणीय द्रौपदी मुर्मू जी के कार्यक्रम में भाग लिया था। इस कार्यक्रम के साथ ही भारत के अन्य प्रदेशों के मानव अधिकार आयोगों के प्रतिनिधियों की बैठक भी आयोजित की गई थी। उस बैठक में सम्मिलित सभी प्रतिनिधियों ने हरियाणा मानव अधिकार आयोग के कार्यों का लोहा माना था।हम चाहते है कि भारत, हरियाणा और हमारे आयोग का मान ऐसे ही बढ़ता रहे। 

human rights पर जागरूकता फैलाना आवश्यक

अपने संबोधन में जस्टिस ललित बत्रा ने बताया कि हम human rights पर जागरूकता फैलाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएं, और सेमिनार आयोजित करते हैं। इन अभियानों के माध्यम से हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हर नागरिक अपने अधिकारों और कर्तव्यों से परिचित हो। मैं यह साझा करना चाहूंगा कि Haryana Human Rights Commission के दोनों सदस्यों कुलदीप जैन और दीप भाटिया के साथ हाल ही में अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार करते हुए कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं। पिछले दो महीनों में, आयोग ने अंबाला और कुरुक्षेत्र की जेलों का दौरा किया और वहां की स्थितियों का गहराई से निरीक्षण किया। 

इस दौरान कुछ महत्वपूर्ण कमियां पाई गईं, जिनमें कैदियों की मूलभूत सुविधाओं और जेल प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता थी।आयोग ने इन समस्याओं को गंभीरता से लिया और जेल सुधार से संबंधित सिफारिशें तैयार कीं। इन सिफारिशों को डायरेक्टर जनरल, प्रिज़न को भी भेजा गया है, ताकि आवश्यक कदम उठाकर इन खामियों को दूर  किया जा सके। हमारा मानना है कि जेलों में रहने वाले inmates के भी human rights हैं, और उनके जीवन को गरिमापूर्ण बनाना हमारा कर्तव्य है।

मैं और आयोग के दोनों सम्मानित सदस्य, सिंगल बेंच में केसों अलग-अलग सुनवाई करते

अगर जन-सामान्य के अधिकारों के हनन का मामला आपके संज्ञान में आता हमें बताओ। आयोग सू-मोटो एक्शन लेगा। पुलिस विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग व नगर पालिकाओं के अधिकार क्षेत्रों से संबंधित कुछ मामले हमारे संज्ञान में है।हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने सू-मोटो एक्शन लेते हुए नोटिस जारी कर रिपोर्ट माँगी हुई है। अगर इन विभागों ने जनता के कार्यों में कोताही की होगी तो फिर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई भी होगी।

हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा ने बताया कि लंबित सभी केसों की सुनवाई जल्द हो और नए आने वाले केसों में भी देरी न हो इसलिए मैं और आयोग के दोनों सम्मानित सदस्य, सिंगल बेंच में केसों अलग-अलग सुनवाई करते है और मामला बड़ा हो तो फुल बेंच में एक साथ सुनवाई भी करते है। दक्षिणी हरियाणा के छ: जिलों से संबंधित मामलों के लिए महीने में दो बार गुरुग्राम में कैम्प कोर्ट भी लगाते है। दिसंबर-जनवरी मिलाकर अभी तक हमने गुरुग्राम में तीन बार कैम्प-कोर्ट भी लगाई है। 27 जनवरी को भी गुरुग्राम में कैम्प-कोर्ट लगेगी। कार्यभार संभालने के 60 दिनों के भीतर ही गुरुग्राम में चौथी बार कैम्प-कोर्ट लग रही है। 

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