
करनाल जिले के नरूखेड़ी के रहने वाले युवक की अमेरिका में मौत हो गई, बताया जा रहा है कि युवक दो साल पहले ही जमीन बेचकर और कर्ज उठाकर लाखों रुपए खर्च कर डंकी के रास्ते अमेरिका गया था, जहां एक गंभीर बीमारी के चलते अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। युवक की मौत की खबर से न केवल परिवार बल्कि पूरा गांव सदमे में है। पत्नी और परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं परिवार ने युवक के शव को भारत लाने की सरकार की गुहार लगाई है।
कैंसर तीसरी स्टेज पर था, लेकिन परिवार और वह खुद इस बात से अनजान था
जानकारी मुताबिक करनाल के नरूखेड़ी गांव के रहने वाले पंकज नरवाल की अमेरिका में इलाज के दौरान मौत हो गई। अमेरिकी डॉक्टर्स ने कैंसर की पुष्टि करते हुए बताया कि पंकज का कैंसर तीसरी स्टेज पर था, लेकिन परिवार और वह खुद इस बात से अनजान था। डॉक्टर्स ने हाल ही में पंकज की बीमारी की पुष्टि की। बताया जा रहा है कि पंकज को कभी कभार पेट में दर्द होता था, लेकिन वह पेन किलर लेकर काम चला लेता था, अभी कुछ दिन पहले ही जब उसे अचानक तेज दर्द हुआ और अस्पताल गया तो डॉक्टर्स ने उसे अस्पताल में भर्ती कर लिया जहां जांच के दौरान कैंसर की पुष्टि हुई।
मौत की सूचना के बाद परिवार में मातम पसर गया
पंकज नरवाल (35) के परिजनों ने बताया कि वह दो साल पहले ही 40 लाख रुपए लगाकर डंकी रूट से अमेरिका गया था और सात महीने की कठिन यात्रा के बाद अमेरिका पहुंचा था। वहां पहुंचने के बाद पहले उसने एक स्टोर पर काम किया और बाद में ट्रक पर ड्राइवरी करने लगा। अब पिछले दो माह से पंकज का इलाज अमेरिका में कैलिफोर्निया के फ्रिजनों शहर के कम्युनिटी रीजनल मेडिकल सेंटर में चल रहा था। जहां पर इलाज के दौरान उसकी 26 अप्रैल को मौत हो गई। मौत की सूचना के बाद परिवार में मातम पसर गया। परिवार की जिम्मेदारी थी। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए परिवार ने सरकार से शव भारत लाने में मदद की मांग की है।
शव को वापिस लाने में मदद की जाए, ताकि छोटे-छोटे बच्चे पिता के एक बार अंतिम दर्शन कर सकें
मृतक के भाई मोनू ने डेढ़ एकड़ जमीन बेचकर लाखो रुपए लगाकर अमेरिका भेजा था, जो पैसे खर्च करके गया था वो पैसे भी अबतक पूरे नहीं हुए। परिजनों ने कहा कि परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी बेहतर नहीं है कि वे अपने स्तर पर अमेरिका से शव भारत ला सकें।
उन्होंने सरकार से अपील की है कि शव को वापिस लाने में मदद की जाए, ताकि छोटे-छोटे बच्चे अपने पिता के एक बार अंतिम दर्शन कर सकें और भारत में ही उनके गांव में उसका अंतिम संस्कार कर सकें। पकंज के परिवार में माँ बिमला, पत्नी ऋतू, दो बच्चे और एक छोटा भाई रंकज जो खेतीबाड़ी करता है। घर की जिम्मेदार पंकज के ऊपर थी, कर्जा अभी पूरा भी नहीं हुआ, ऐसे में परिवार को न केवल शव लाने की चिंता सता रही है, बल्कि बच्चों के भविष्य की भी चिंता सता रही है।
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