हरियाणा बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन रंधीर सिंह बदरान द्वारा नेतृत्व किए जा रहे "हरियाणा बनाओ अभियान" आजकल खूब चर्चा में हैं। इस आंदोलन ने कुरुक्षेत्र में आयोजित सेमिनार में एक नई राजधानी की स्थापना और अलग हाईकोर्ट की सृष्टि की मांग की है। इस पहल को महेंद्र सिंह चोपड़ा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ओएसडी, का समर्थन मिला।
सेमिनार में बड़ी संख्या में वकील, प्रोफेसर, सरपंच और अन्य सामाजिक कार्यकर्ता ने सक्रिय भाग लिया। मंचासीन महानुभावों ने एक स्थानीय राजधानी और एक अलग हाईकोर्ट की आवश्यकता की मांग को लेकर संरचित संकल्प को पारित भी किया। गोष्टि एवं चर्चा में एम एस चोपड़ा को मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में आये। जिन्होंने हरियाणा की राजधानी को राज्य के भीतर बनाने की महत्वपूर्णता पर जोर दिया। उन्होंने कहा पंजाब से अलग होने के बाद 57 सालों के बाद भी हरियाणा को अपनी पूर्ण स्वायत्तता का दर्जा प्राप्त नहीं हुआ है, जिसमें उसकी अपनी राजधानी चंडीगढ़ और एक अलग हाईकोर्ट हो। चंडीगढ़ को एक साझा यूनियन टेरिटरी के रूप में यूनाइटेड पंजाब की राजधानी घोषित की गई थी और बाद में हरियाणा क्षेत्र को एक पूर्ण प्रशासनिक इकाई के रूप में मान्यता मिली थी।
एमएस चोपड़ा ने बताया कि हरियाणा के लिए एक विशेष पहचान को बनाने का अवसर बर्बाद हो रहा है। हरियाणा के ऐतिहासिक महत्व को उजागर करते हुए एमएस चोपड़ा ने राज्य की धरोहर को सुरक्षित और बढ़ावा देने के लिए एक केंद्रीय स्थान की आवश्यकता को काटते हुए कहा। उन्होंने दिल्ली को इस क्षेत्र में कई सुल्तान राजाओं, सम्राट हर्षवर्धन का थानेश्वर और सिख राज की राजधानी भी कहा। हालांकि, आज के हरियाणा को अपनी राजधानी से वंचित रखा गया है, इसकी समृद्धि की संरक्षण, और समृद्धि की प्रशंसा की आवश्यकता को पूर्ण नहीं किया गया है।
एम एस चोपड़ा ने दो राज्यों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने की आवश्यकता को बताया, हरियाणा में बेरोजगारी के मुद्दे का सामना करने की आवश्यकता को दूर करने के लिए उन्होंने कहा कि प्रेरित युवा नशे और अपराधों के शिकार हो रहे हैं, आत्महत्या कर रहे हैं या अन्य देशों में प्रवास कर रहे हैं। उन्होंने नई रोजगार के अवसरों की रचना और एक नए राज्य की राजधानी के निर्माण से इस समस्या का समाधान करने के बारे में भी चर्चा की ।
ऐसे में दो विचारों पर और चर्चा हुई। पहला की आज की राजधानी चंडीगढ़ की दक्षिणी हरियाणा से दूरी की वजह से हरियाणा की कई क्षेत्रों का विकास नहीं हो पा रहा। ऐसे में समान विकास के लिए हरियाणा की राजधानी प्रांत की मध्य में हो; ऐसे विचार पर चर्चा रही। दूसरा की क्या राजधानी बदलने से हरियाणा का चंडीगढ़ पर अधिकार कम होता है या नहीं। यह विचार पटल पर रखे गये। उचित स्थान पर आधुनिक राजधानी का निर्माण, एम एस चोपड़ा के अनुसार, राज्य के अविकसित क्षेत्रों के विकास को नई प्रेरणा प्रदान करेगा। इस पहल में आगे और कई कार्यक्रमों के होने का विचार भी है। ऐसे में हरियाणा की नयी राजधानी पर चर्चाएँ बढ़ेंगी।
related
Latest stories
ये किसान व आढ़ती को ख़त्म करने का 'षड्यंत्र' नहीं तो क्या है? सदन में भाजपा पर गरजे आदित्य
सरकार द्वारा 'आंकड़े न कभी छुपाए जाते हैं, न कभी छुपाए जाएंगे', जानिए मुख्यमंत्री सैनी ने ऐसा क्यों कहा
'वे नहीं जानती कि पराली क्या होती है' दिल्ली सीएम पर बड़ोली का तंज - बोले पहले खेतों में जाकर पराली देखनी चाहिए