चंडीगढ़ मेयर चुनाव में हुई धोखा धड़ीं की सुनवाई सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने अधिकारी अनिल मसीह का वीडियो देखा, जिसमें वह बैलेट पेपर पर क्रॉस लगाते दिखाई दे रहे हैं। CJI ने वीडियो देखकर कहा कि यह स्पष्ट है की अधिकारी ने बैलेट पेपर को डिफेंस्ड (ख़राब) है। क्या वह इसी तरह चुनाव कराते हैं? यह लोकतंत्र का मज़ाक है, लोकतंत्र की हत्या है। इस अफ़सर पर केस चलाया जाना चाहिए।
चंडीगढ़ नगर निगम की बैठकों पर CJI ने रोक लगा दी। उन्होंने आदेश दिया है कि मेयर चुनाव के पूरे रिकॉर्ड को ज़ब्त करके पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट रजिस्ट्री जनरल के पास जमा करा दिया जाए। बैलट पेपर और वीडियोग्राफी को भी संभालकर रखा जाए। CJI ने कहा कि चुनाव अधिकारी को यह स्पष्ट करना होगा कि वह भगोड़ों की तरह कैमरे की ओर क्यों देख रहे हैं? फिर बैलेट पेपर बैलेट से क्यों छेड़-छाड़ कर रहे हैं? उन्होंने आगे कहा कि अगर वह कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर पाए तो यह चुनाव नए सिरे से कराने होंगे। कोर्ट ने अधिकारी अनिल मसीहा को 19 फ़रवरी को तलब किया है|
ये रहा था वोटिंग का रिज़ल्ट
चंडीगढ़ मेयर चुनाव की वोटिंग 28 जनवरी को हुई थी, जिसमें BJP के मनोज सोनकर को 16 और आप-कांग्रेस के कैंडिडेट कुलदीप कुमार को 12 वोट मिले थे। चंडीगढ़ मेयर चुनाव को आप और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था। बता दें कि 8 वोट इनवैलिड क़रार कर दिए गए थे और ये सभी वोट आप-कांग्रेस के प्रत्याशी को मिले थे। इसी के आधार पर आप-कांग्रेस के कैंडिडेट कुलदीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने यह आरोप लगाया था कि चुनाव अधिकारी अनिल मसीहा ने वोटों की गिनती में कुछ धाँधले बाज़ी की है। उनकी तरफ़ से कांग्रेस नेता और सीनियर वक़ील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील रखी।
कुलदीप ने कैविएट दाख़िल की
मेयर चुनाव जीतने वाले मनोज सोनकर की तरफ़ से पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज की बेटी बाँसुरी भारद्वाज ने दलीलें रखी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाख़िल की है। जिसमें उनका कहना है कि कुलदीप की याचिका पर कोई फ़ैसला लेने से पहले उनकी बात भी सुनी जानी चाहिए।
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