पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ताकत और प्रभाव का आलम यह है कि कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा में लोकसभा चुनावों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा करते समय उनके इशारों पर ही काम किया। हुड्डा समर्थकों को ही अधिकतर टिकट मिले, जबकि सैलजा-सुरजेवाला और किरण चौधरी गुट को नजरअंदाज किया गया। यह साफ संकेत है कि हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा ही असली 'बॉस' हैं।
हरियाणा में कांग्रेस ने 8 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है। इनमें से 7 प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थक हैं। हुड्डा की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को रोहतक से एक बार फिर टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। साथ ही, उन्होंने करनाल, सोनीपत, अंबाला और भिवानी-महेंद्रगढ़ जैसी प्रमुख सीटों पर भी अपने करीबियों को टिकट दिलवाया है।
हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा के विरोधी माने जाने वाले कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी गुट को इस बार झटका लगा है। सिरसा की सीट पर कुमारी सैलजा को टिकट मिला है, लेकिन इसके अलावा दूसरी किसी सीट पर उनके समर्थकों को मौका नहीं मिला। वहीं, भिवानी-महेंद्रगढ़ से चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह का भी टिकट कटवाया गया है।
माना जा रहा है कि हुड्डा ने लोकसभा चुनावों के बहाने अपने सभी विरोधियों को कमजोर करने का प्रयास किया है। उदाहरण के लिए, कुमारी सैलजा विधानसभा से टिकट मांग रही थीं, लेकिन हुड्डा चाहते थे कि वह लोकसभा आएं ताकि उनकी जीत या हार से हुड्डा को फायदा हो। इसी तरह, भिवानी-महेंद्रगढ़ से अपनी पसंद के प्रत्याशी राव दान सिंह को टिकट दिलवाकर उन्होंने बंसीलाल परिवार के प्रभाव को कम कर दिया है।
हुड्डा के विरोधियों को नजरअंदाज करने के साथ-साथ, उन्होंने अपने समर्थकों को भी बढ़ावा दिया है। अंबाला से हुड्डा के खास समर्थक वरुण चौधरी को टिकट दिया गया है, जबकि हिसार से जयप्रकाश उर्फ जेपी और सोनीपत से सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट मिला है।
इस तरह, हुड्डा ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। उन्होंने न केवल अपने विरोधियों को कमजोर किया है, बल्कि अपने समर्थकों को भी मजबूत किया है। यह स्पष्ट संकेत है कि हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा ही असली 'बॉस' हैं और पार्टी उनके ही नेतृत्व में आगे बढ़ेगी।
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