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सियासत में नाम चमकाने के बावजूद, बहुत फ़ीकी है चौटाला गांव की अंदरूनी चमक

सियासत में नाम चमकाने के बावजूद, बहुत फ़ीकी है चौटाला गांव की अंदरूनी चमक

अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही हैं गांव की गलियां व सड़कें, वीरान पड़ा है ताऊ देवीलाल के नाम पर बनाया गया पार्क, न कहकर भी बहुत कुछ कह रही है कूड़े कर्कट और घास-फूस के बीच खड़ी देवीलाल की पत्थर की प्रतिमा

चौटाला गांव

हरियाणा की सियासत में चौटाला गांव की अहम भूमिका रही है। इस गांव को देश में राजनीति की नर्सरी कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। वर्तमान हरियाणा विधानसभा की बात करें तो चार विधायक इसी गांव के हैं। स्वतंत्रता की लड़ाई में भी गांव का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। गांव चौटाला की राजनीतिक कहानी काफी दिलचस्प व हैरान करने वाली है। हरियाणा के अंतिम छोर और राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के जिला सिरसा का गांव चौटाला शायद देश का ऐसा इकलौता गांव होगा, जिसने देश को 2 बार उप-प्रधानमंत्री व हरियाणा को 7 बार मुख्यमंत्री देने के साथ-साथ इस गांव से संबंधित 12 राजनेताओं को विधानसभा एवं 5 नेताओं को लोकसभा एवं राज्यसभा में भेजा। कुल मिलाकर इस गांव से 1 उपमुख्यमंत्री, 2 सीएम, एक डिप्टी सीएम, 5 सांसद और 14 विधायकों के बावजूद, चौटाला गांव आज भी पिछड़ा हुआ है। उल्लेखनीय है कि यह गांव सिरसा लोकसभा क्षेत्र के डबवाली विधानसभा क्षेत्र में आता है, जहां के विधायक कांग्रेस नेता अमित सिहाग हैं। उनके परदादा तारा चंद सिहाग और देवीलाल के पिता लेख राम सिहाग भाई थे। 

तीसरी और चौथी पीढ़ी की राजनीतिक राहें कुछ जुदा-जुदा 

हरियाणा की दिग्गज हस्ती चौधरी देवीलाल की कर्मस्थली है चौटाला गांव। सिरसा संसदीय क्षेत्र का ये गांव आज किसी परिचय का मोहताज नहीं। करीब 22 हजार आबादी वाला ये गांव लंबे समय तक सत्ता का केंद्र जो रहा है। यही वह गांव है जिसने ताऊ के रूप में विख्यात चौधरी देवीलाल दिए जो देश के उपप्रधानमंत्री पद तक पहुंचे। वे दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे तो उनके पुत्र ओमप्रकाश चौटाला ने चार बार सूबे की कमान संभाली। यहीं नहीं, देश की सबसे बड़ी पंचायत में भी इस परिवार ने कई बार प्रतिनिधित्व किया। ताऊ के परिवार का प्रदेश की राजनीति में सिक्का चलता है। हालांकि देवीलाल व ओमप्रकाश चौटाला के बाद इस परिवार की तीसरी व चौथी पीढ़ी सियासी मैदान में उतरी हुई हैं। हां ये बात अलग है कि तीसरी और चौथी पीढ़ी की राजनीतिक राहें कुछ जुदा-जुदा सी हो गई हैं। 

बदले में इस गांव का क्या मिला ? शायद अनदेखी ही

मुख्य बात है सियासत में नाम चमकने के बावजूद इस गांव की अंदरूनी चमक की बात की जाए तो वो कुछ फ़ीकी ही है। इस गांव की धरनी ने तो देश-प्रदेश की राजनीति में अपना पूरा योगदान दिया, लेकिन बदले में इस गांव का क्या मिला ? शायद अनदेखी ही। अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही हैं, गांव की गलियां व सड़कें, वीरान पड़ा है पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के नाम पर बनाया गया गया पार्क। कूड़े कर्कट और जंगली घास-फूस के बीच खड़ी देवीलाल की काले पत्थर की प्रतिमा मौन होते भी बहुत कुछ कहते प्रतीत हो रही है। चौटाला गांव की जर्जर अवस्था गांव के गौरव शाली इतिहास से कतई मेल नहीं खाती। एक से एक बड़े कद वाले नेता देने के बावजूद खुद के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर रहा है गांव चौटाला। ग्रामीणों के अनुसार उन्होंने (ताऊ और चौटाला सरकार) अस्पताल बनाया, लेकिन बाद की सरकारों ने डॉक्टर, कर्मचारी और दवाएं उपलब्ध नहीं कराईं, उन्होंने सड़कें और गलियां दीं, लेकिन उनके जाने के बाद गड्ढों की भी मरम्मत नहीं की गई। 

दूसरी सरकारों ने सड़कों की मरम्मत करने तक की ज़हमत तक नहीं उठाई

ग्रामीणों का कहना है कि चौटाला राज खत्म हुए करीब 20 बरस बीत गए हैं और बाद की सरकारों ने उनके द्वारा बनाई गई सड़कों की मरम्मत करने तक की ज़हमत तक नहीं उठाई। जब ओम प्रकाश चौटाला 1999 से 2005 तक सत्ता में थे, तो उन्होंने लगातार बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए गांव में एक बिजली घर बनाया, लेकिन जब से उनकी सरकार गिरी है, हमें लगातार बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। चौटाला के शासन के दौरान, हम अपने खेतों में अतिरिक्त पानी के प्रवाह को प्रबंधित करने के लिए ‘मोघों’ (नहर) को कुछ समय के लिए बंद करने का अनुरोध करेंगे। अब, हम एक हफ्ते तक पानी मिलने के बाद तीन सप्ताह तक बंदी (पानी नहीं आना) भी झेल रहे हैं” वर्ष 2004 में ओमप्रकाश चौटाला ने मुख्यमंत्री रहते हुए गांव के कुछ हिस्से में सीवरेज डलवाया था। वर्तमान में सीवरेज चोक होने के कारण जगह-जगह जलभराव के कारण बुरा हाल है। ताऊ परिवार का राज जाने के बाद हाल बुरे हैं। कोई सुध लेवा नहीं है। 

नहीं सहेजी गई ताऊ की विरासत

ग्रामीणों से रूबरू होने पर पता चला कि ताऊ के राज़ में और चौटाला सरकार के राज में गांव का स्तर ऊपर उठने लगा था, लेकिन गांव राजनीति का शिकार बनने लगा और नए विकास कार्य तो दूर की बात पिछली योजनाएं ही दम तोड़ रही हैं। ग्रामीणों के कहे अनुसार जब गांव की वास्तविक स्थित का जायज़ा लिया तो वाकई चौकाने वाली स्थिति देखने को मिली। गांव की बड़ी चौपाल के पीछे बनी झील जो वर्ष 1998 में चौधरी देवीलाल ने राज्यसभा सदस्य रहने के दौरान अपने फंड से बनवाई थी, उनका सपना था कि चंडीगढ़ की सुखना लेक की तर्ज पर चौटाला गांव में भी झील को विकसित किया जाए, लेकिन आज ये झील अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि झील में बोटिंग के लिए तीन नाव आई थीं। इनमें एक कबाड़ के रूप में झील के पास ही पड़ी है। अन्य दो नावों का तो अस्तित्व मिट चुका है।

ताऊ के बस स्टैंड पर गड़ गए खूंटे, बंध गई भैंसे

ग्रामीणों ने बताया कि चौधरी देवीलाल जब मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने चंडीगढ़ से चौटाला गांव के लिए सीधी बस सेवा शुरू कराई थी और गांव में बस स्टैंड बनवाया था, लेकिन अब इस गांव में कोई बस नहीं आती और बस अड्डे पर भैंसे बांधी जाती हैं। बस स्टैंड पर लगे हैं गोबर के उपलों के ढेर और वहां खूटों से बंधे पशु। ग्रामीणों ने बताया ताऊ ने बनवाए थे तीन जलघर, अब पानी को भी तरसे। 

कुश्ती ताऊ का पसंदीदा खेल था, गांव में बनवा दिए थे दो स्टेडियम

सिर्फ राजनीति ही नहीं चौटाला गांव से कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी निकले हैं। चौधरी देवीलाल भी खेल प्रेमी थे। अखाड़े में कुश्ती लड़ना उन्हें काफी पसंद था। गांव के युवाओं के लिए ताऊ देवीलाल ने दो स्टेडियम की सौगात दी थी। गांव के रास्ते पर है चौधरी साहिब राम स्टेडियम। चौधरी साहिब राम देवीलाल के बड़े भाई थे। इसका उद्घाटन चौधरी देवीलाल ने बतौर उप प्रधानमंत्री 13 फरवरी 1991 को किया था। आज यह स्टेडियम मंडी में जगह न मिलने के कारण सरसों का खरीद केंद्र बना हुआ है। स्टेडियम के मैदान में घास ढूंढने से भी नहीं मिली। दूसरा मिनी स्टेडियम गांव के अंदर गांधी चौक पर है। इसका उद्घाटन भी 13 फरवरी 1991 को चौधरी देवीलाल ने किया था। चौधरी देवीलाल के समय यहां वॉलीबॉल की राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं भी हुईं, लेकिन अब यह भी बदहाल पड़ा है। चौटाला परिवार में आई दरार पर ग्रामीणों ने कहा कि कभी नहीं सोचा था कि अजय और बिल्लू (अभय सिंह चौटाला का घर का नाम) अलग-अलग होंगे।

गांव में 50 बेड का अस्पताल, दवाइयों-डॉक्टरों का अभाव 

गांव में 50 बैड का अस्पताल है। पहले यह 30 का था। इसे मनोहर सरकार ने अपग्रेड किया। चौधरी देवीलाल ने एक अक्टूबर 1978 को इसका शिलान्यास किया था। पांच फरवरी 1981 को इसका उद्घाटन तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ ने किया था। इस कार्यक्रम में तबके मुख्यमंत्री भजनलाल और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री व सिरसा के सांसद चौधरी दलबीर सिंह भी चौटाला गांव पहुंचे थे। अस्पताल परिसर में चौधरी देवीलाल ने नर्सिंग ट्रेनिंग सेंटर शुरू के लिए बिल्डिंग बनवाई थी, लेकिन यह सेंटर कभी शुरू ही नहीं हो पाया। तब यह अस्पताल 30 बेड का था। मनोहर सरकार में इसे 50 बेड का कर दिया गया है, पर दवाइयों-डॉक्टरों का अभाव है।

जगदीश चौटाला का परिवार आज भी गांव में रहता है 

चौधरी देवीलाल के परिवार बेटों और भाइयों की बड़ी-बड़ी कोठियां आज भी गांव में शान से खड़ी हैं। सबसे छोटे बेटे जगदीश चौटाला का परिवार आज भी गांव में रहता है। जगदीश चौटाला के बड़े बेटे भारतीय जनता पार्टी की राजनीति करते हैं और जिला परिषद के चेयरमैन हैं। चौधरी देवीलाल के एक बेटे रणजीत चौटाला कांग्रेस में हैं और सिरसा में रहते हैं। हालांकि चौटाला गांव आते रहते हैं। सबसे बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला इन दिनों तिहाड़ जेल में बंद हैं, लेकिन पैरोल पर आने पर वे चौटाला आते हैं, मगर रात में ठहरते नहीं हैं। उनका तेजा खेड़ा गांव में आवास है। वे वहीं ठहरते हैं।

चौथी पीढ़ी राजनीति में सक्रिय, इस लोकसभा चुनाव में खासा प्रभाव डालेगी

जानकारी मुताबिक गांव तेजा खेड़ा ताऊ देवीलाल की जन्मस्थली है। हालांकि उनकी जन्मस्थली को लेकर परिवार के लोगों में ही मतभेद हैं। कुछ परिजनों का कहना है कि ताऊ देवीलाल अपनी ननिहाल राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के अमरपुरा जालू में पैदा हुए थे। देवीलाल के बाद उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला भी प्रदेश की सत्ता के सर्वोच्च पद तक पहुंचे। दोनों पिता-पुत्र छह बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। अब ताऊ देवीलाल की चौथी पीढ़ी राजनीति में सक्रिय है और इस लोकसभा चुनाव में खासा प्रभाव डालेगी। चौधरी देवीलाल के पोते और ओमप्रकाश चौटाला के दूसरे बेटे अभय चौटाला इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को लीड कर रहे हैं तो अभय के बड़े भाई अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला ने अपने चाचा से मतभेद के बाद जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नाम से नई पार्टी बनाई है। 16वीं लोकसभा में हिसार से सांसद चुने गए दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी भी प्रदेश की कई लोकसभा सीटों पर प्रभावी है।

सत्ता में देवीलाल और उनका परिवार

चौधरी देवीलाल दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। पहली बार 21 जून 1977 से 28 जून 1979 तक और दूसरी बार 17 जून 1987 से 2 दिसंबर 1989 तक। इसके बाद दो दिसंबर 1989 से 21 जून 1991 तक जनता पार्टी सरकार में वे देश के उप प्रधानमंत्री रहे। इसके अलावा उनके बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला चार बार मुख्यमंत्री बने। देवीलाल के अन्य दो बेटे प्रताप और रणजीत सिंह विधायक रहे हैं। ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अजय चौटाला सांसद और विधायक रहने के साथ प्रदेश के शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला वर्तमान में डबवाली से विधायक हैं और इनके बेटे दुष्यंत हिसार से सांसद निवर्तमान सांसद हैं। ओमप्रकाश चौटाला के दूसरे बेटे अभय चौटाला विधायक होने के साथ विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे हैं। ओमप्रकाश चौटाला के सबसे छोटे भाई जगदीश चौटाला के बेटे आदित्य चौटाला भाजपा नेता और सहकारी कृषि एवं ग्रामीण बैंक के चेयरमैन हैं।

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