हरियाणा की करनाल लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक बड़ा चुनावी दांव खेला है। उसने रोड समाज के हिम्मत सिंह को हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) की चेयरमैनी देकर समाज के डेढ़ लाख वोट बैंक को अपनी तरफ लुभाने की कोशिश की है।
सियासी जानकारों का कहना है कि इस फैसले से करनाल सीट से लड़ रहे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के उम्मीदवार मराठा वीरेंद्र वर्मा और कांग्रेस प्रत्याशी दिव्यांशु बुद्धिराजा को झटका लगा है। उनका मानना है कि जो रोड समाज के वोटर BJP से नाराज होकर मराठा के खेमे में गए थे, वे अब दोबारा BJP की तरफ मुड़ सकते हैं।
करनाल लोकसभा सीट से BJP ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को उम्मीदवार बनाया है। जबकि, विधानसभा उपचुनाव के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नाती नायब सिंह सैनी को प्रत्याशी बनाया गया है।
रोड समाज की संस्था के उप-प्रधान राजकुमार ने स्वीकार किया है कि समाज में BJP के प्रति लंबे समय से रोष था। उन्होंने कहा, "रोड धर्मशाला में राहुल गांधी और दीपेंद्र हुड्डा ने भी आकर हवन में आहुति डाली थी। उन्होंने आश्वस्त किया था, लेकिन समाज के लिए कुछ नहीं किया गया। अब मुख्यमंत्री ने समाज का सम्मान किया है।"
राजकुमार का मानना है कि यह चुनाव भाजपा का नहीं, बल्कि सभी पार्टियों का हो रहा है। उनका कहना है कि अगर किसी समाज के व्यक्ति को संवैधानिक पद पर बैठाया जाता है, तो दूसरी पार्टियों को भी आगे आकर इस तरह के कार्य करने चाहिए, ताकि समाज को मान-सम्मान मिले।
राजनीतिक विश्लेषक और DAV कॉलेज करनाल के प्रिंसिपल आरपी सैनी का कहना है, "भले ही वीरेंद्र मराठा अपनी अलग दलील दे रहे हों, लेकिन हकीकत यह है कि HSSC की चेयरमैनी रोड समाज के खाते में जाने से रोड समाज के वोट बैंक में ध्रुवीकरण होगा। इसका सबसे बड़ा नुकसान वीरेंद्र मराठा को ही होगा।" आरपी सैनी का मानना है कि इस फैसले का नुकसान कांग्रेस के दिव्यांशु बुद्धिराजा को भी होगा क्योंकि जो रोड वोटर उनका पक्षधर बना हुआ था, वह अब BJP की तरफ मुड़ सकता है।
इस तरह, हरियाणा भाजपा ने अपने इस चुनावी दांव से करनाल लोकसभा सीट पर एक बड़ा बदलाव लाने की कोशिश की है। पार्टी ने रोड समाज के डेढ़ लाख वोट बैंक को अपनी तरफ लुभाकर अपनी स्थिति मजबूत करने की कवायद की है।
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