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भाजपा को हरियाणा में सर्विस वोटरों की नाराजगी झेलनी पड़ी

भाजपा को हरियाणा में सर्विस वोटरों की नाराजगी झेलनी पड़ी

सरकारी कर्मचारियों ने लोकसभा चुनाव में अधिकांश सीटों पर कांग्रेस को वोट दिए, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बयानों से भी नाराजगी देखी गई।

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा में हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में भाजपा को सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी का सामना करना पड़ा। राज्य की 10 लोकसभा सीटों में से केवल 4 सीटों पर ही भाजपा को सर्विस वोटरों से कांग्रेस से अधिक वोट मिले, बाकी स्थानों पर सरकारी कर्मचारियों ने कांग्रेस को वोट दिया। सबसे अधिक सर्विस वोटर भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर थे, जहां भाजपा को सबसे अधिक वोट मिले। लेकिन अंबाला, हिसार, करनाल, सोनीपत, रोहतक और सिरसा लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा पिछड़ गई।

कांग्रेस के स्टार प्रत्याशियों को सर्विस वोटरों का समर्थन

कांग्रेस के स्टार प्रत्याशियों को सर्विस वोटरों से काफी समर्थन मिला। रोहतक में दीपेंद्र हुड्डा, सिरसा में कुमारी सैलजा, सोनीपत में सतपाल ब्रह्मचारी, अंबाला में वरूण मुलाना और हिसार में जयप्रकाश को सबसे अधिक सर्विस वोट मिले। दूसरी ओर, भाजपा के अंबाला से बंतो कटारिया, हिसार से रणजीत सिंह, करनाल से मनोहर लाल, सोनीपत से मोहन लाल बड़ौली, रोहतक से अरविंद शर्मा और सिरसा से डॉ. अशोक तंवर को कम सर्विस वोट मिले।

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बयानों का असर

एक बड़ा कारण जो सर्विस वोटरों को भाजपा से दूर कर सकता है, वह पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बयान थे। कुछ दिन पहले, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि "आज तुम्हारा टाइम है, 4 जून के बाद हमारा टाइम आएगा।" यह बयान सरकारी कर्मचारियों को नागवार गुजरा। इससे पहले, नायब सैनी ने कहा था कि "अफसरों की मनमानी हम सरकार में नहीं चलने देंगे। लिस्ट तलब कर ली गई है।" ये बयान भी सरकारी कर्मचारियों को नाराज कर सकते थे। 

सरकारी कर्मचारियों का प्रभाव 

सरकारी कर्मचारियों का अपने गली-मोहल्ले और वार्ड में प्रभाव होता है। सरकारी पद पर होने के कारण वे अनेक मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं। हरियाणा में एक लाख से अधिक सर्विस वोटर हैं। ऐसे में अधिकांश सर्विस वोटरों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया। 

सर्विस वोटिंग क्या है?

सर्विस वोटिंग वो मतदाता कर सकते हैं जो सेना, अर्धसैनिक बल, या पुलिस में कार्यरत होते हैं। यह उन केंद्र और राज्य के कर्मचारियों के लिए भी वैध होता है, जिनकी चुनाव के दौरान कहीं ड्यूटी होती है। ये सभी सर्विस वोटर्स की श्रेणी में आते हैं। 

सर्विस वोटिंग की प्रक्रिया

मतदान में शामिल होने के लिए सर्विस वोटर्स के लिए एक अलग सिस्टम निर्धारित है। वोटिंग के लिए सर्विस मतदाता को एक मेल भेजी जाती है, जिसे फॉर्म 2, 2ए और फॉर्म 3 कहा जाता है। मतदाताओं को इसका प्रिंट निकालकर टिक मार्क करना होता है।

हरियाणा में सर्विस वोटरों की नाराजगी ने भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की। यदि भाजपा ने सरकारी कर्मचारियों के मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया, तो आगामी विधानसभा चुनावों में इसका असर देखने को मिल सकता है।

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