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The Haryana Story | गुल्लर के फूल- हरियाणवी ग़ज़ल

गुल्लर के फूल- हरियाणवी ग़ज़ल

- कर्मचन्द केसर

प्रतीकात्मक तस्वीर

चाल पड़्या दिलदार छोड़कै।
देख्या  ना  इकबार बौह्ड़कै।

फैय्दे  खात्तर  बणजी लीडर,
धरदे  सैं   सरकार   तोड़कै।

कबीर,नानक,सुण गांधी की,
बाब्याँ   के  दरबार  छोड़कै।

बेर लसूड़े गोऽल अर् नाप्पे,
खाए  थे   कइबार  तोड़कै।

थोड़े  दिन  के  रजे हुयां म्हं,
बोल्लै  सै  अंह्कार चोड़कै।

लेणा-देणा  ठीक  रह़्या ना,
ना  दे  कोय  उधार मोड़कै।

पिरथीराज पछत्याया होगा,
गौरी  नैं   कइबार   छोड़कै।

भाड़े   ढोये , करी   लामणी,
केसर   नैं  परिवार  जोड़कै।

-कर्मचन्द केसर

 

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