हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नायब सिंह सैनी सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार के अल्पमत होने का दावा किया है और चंडीगढ़ में बुलाई गई विधायक दल की मीटिंग में इस मुद्दे पर चर्चा की गई। मीटिंग में यह निर्णय लिया गया कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से इस्तीफे की मांग की जाएगी।
विधायकों की खरीद-फरोख्त का अंदेशा
मीटिंग में शामिल सांसदों ने चिंता जताई कि सरकार बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की जा सकती है। रोहतक सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार के पास विधानसभा में संख्या बल नहीं है और नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि बीजेपी अल्पमत से बचने के लिए 1-2 विधायकों के इस्तीफे भी करवा सकती है।
अल्पमत की स्थिति
हालांकि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के करनाल विधानसभा का उपचुनाव जीतने के बाद भी BJP के पास सदन में बहुमत कम होने का कांग्रेस दावा कर रही है। हलोपा के गोपाल कांडा और एक निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत का समर्थन होने के बावजूद भी संयुक्त विपक्ष के सामने भाजपा बहुमत के आंकड़े से 1 नंबर दूर है।
गठबंधन टूटने से बदली गणित
हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की अगुआई में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार चल रही थी। लोकसभा चुनाव से पहले सीट शेयरिंग को लेकर दोनों दलों ने गठबंधन तोड़ दिया। जजपा के 10 विधायकों के अलग होने के बाद भाजपा ने 5 निर्दलीय और एक हलोपा विधायक को साथ लेकर सरकार बनाई। खट्टर को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा और नायब सिंह सैनी सीएम बने। इसके बाद 3 निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार का साथ छोड़ दिया।
विपक्ष एकजुट होने पर संकट
लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा में कुल 87 विधायक बचे हैं और बहुमत का आंकड़ा 44 हो गया है। मौजूदा स्थिति में भाजपा के पास 41 विधायक हैं और उसे हलोपा एवं एक निर्दलीय का समर्थन प्राप्त है, जिससे उसके पास कुल 43 विधायक हैं। वहीं विपक्ष में कांग्रेस के 29, जजपा के 10, निर्दलीय 4 और एक इनेलो विधायक शामिल हैं, जिनकी कुल संख्या 44 है। अगर ये सब एक साथ आ जाते हैं तो फिर सरकार अल्पमत में आ सकती है।
सरकार बचाने के प्रयास
भाजपा सूत्रों के अनुसार, सरकार को किसी कीमत पर गिरने की स्थिति तक नहीं पहुंचने दिया जाएगा। अगर फ्लोर टेस्ट की नौबत आई तो जजपा के 2 विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा और जोगीराम सिहाग इस्तीफा दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में विपक्ष के एकजुट होने पर भी उनके पास भाजपा के 43 के मुकाबले 42 ही विधायक रह जाएंगे।
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