किरण-श्रुति चौधरी का कांग्रेस से मोहभंग
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की पुत्रवधु किरण चौधरी और पौत्री श्रुति चौधरी ने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया है। इस कदम के पीछे की पूरी कहानी ढाई महीने पहले ही लिखी जा चुकी थी। जब भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से श्रुति चौधरी को टिकट नहीं मिला, तब से ही किरण चौधरी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात करने लगीं।
इस मीटिंग की हरियाणा मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के एक अधिकारी ने मध्यस्थता की थी। हालांकि लोकसभा चुनाव के कारण यह महत्वपूर्ण जॉइनिंग डिले होती गई। जब किरण की तरफ से इस्तीफा हाईकमान को भेजा गया, इसके बाद दिल्ली में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से टाइम लेकर फाइनल मुहर लगा दी।
किरण चौधरी के भाजपा जॉइन करने की वजहें
पार्टी सूत्रों के अनुसार, किरण चौधरी के भाजपा में आने की दो बड़ी वजहें थीं। पहली वजह राज्यसभा सीट बताई जा रही है। रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुड्डा के सांसद बनने से खाली हुई राज्यसभा सीट से बीजेपी किरण चौधरी को प्रत्याशी बनाएगी। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में बीजेपी श्रुति चौधरी को तोशाम से विधानसभा का टिकट देगी।
किरण चौधरी के कांग्रेस छोड़ने की दूसरी बड़ी वजह यह रही कि कांग्रेस में रहते हुए बंसीलाल के कोर वोटर को रोकना बड़ी चुनौती हो रही थी। इसको बचाने के लिए उन्होंने यह बड़ा फैसला लेते हुए बीजेपी का दामन थामा है। पति सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी किरण चौधरी और बेटी श्रुति चौधरी ने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया। किरण चौधरी वर्तमान में बंसीलाल के गढ़ तोशाम विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
किरण चौधरी को शामिल करने से भाजपा को फायदे
किरण चौधरी के भाजपा में शामिल होने से पार्टी को कई फायदे मिलेंगे। सबसे बड़ा फायदा यह है कि बंसीलाल का राजनीतिक विरासत का लाभ भाजपा को मिलेगा। हरियाणा की राजनीति का दिग्गज नाम चौधरी बंसीलाल का हरियाणा की कई सीटों पर अच्छा प्रभाव है। बंसीलाल हरियाणा के ऐसे शासक रहे हैं, जिसके कोर वोटर आज भी उनके उत्तराधिकारियों के साथ जुड़े हुए हैं।
दूसरा फायदा यह है कि भाजपा अपने गढ़ों को और मजबूत करने की कवायद में है। लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद बीजेपी इन गढ़ों को और मजबूत करने में जुट गई है। जहां से किरण चौधरी आती हैं, वहां पहले से ही भाजपा का अच्छा प्रभाव है, इसके बाद भी अब रणनीति के तहत बीजेपी इन गढ़ों को और मजबूत करने में जुट गई है।
तीसरा फायदा यह है कि हरियाणा के आठ विधानसभा क्षेत्रों में बंसीलाल का अच्छा प्रभाव है। इनमें तोशाम, लोहारू, चरखी दादरी, भिवानी, बाडढा के साथ महेंद्रगढ़ जिले में नारनौल, नांगल चौधरी, अटेली शामिल हैं। इन सीटों पर किरण चौधरी और श्रुति चौधरी चुनाव और चुनाव के बाद भी काफी एक्टिव रहती हैं। ये बंसीलाल के समर्थक हैं, जो आज भी इसी परिवार से जुड़े हुए हैं। इसलिए भाजपा इन सीटों पर अपना प्रभाव बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है।
श्रुति चौधरी की मायूसी और बंसीलाल के कोर वोटरों को बचाने की चुनौती
लोकसभा चुनाव में भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से टिकट कटने के बाद श्रुति चौधरी काफी मायूस थीं। उन्हें लगने लगा था कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गुट उनके राजनीतिक करियर को खत्म करना चाहता है। इसी वजह से किरण चौधरी ने बीजेपी में जाने का फैसला किया।
इसके अलावा, किरण चौधरी के सामने बंसीलाल के कोर वोटरों को बचाए रखने की भी बड़ी चुनौती थी। कांग्रेस में रहते हुए उन्हें लगा कि बंसीलाल के वोटरों को बचाना मुश्किल हो रहा है। इसलिए उन्होंने बंसीलाल के राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बीजेपी का दामन थामा।
श्रुति चौधरी की जगह तोशाम से राव दान सिंह को टिकट देने से किरण चौधरी नाराज चल रही थीं। इसलिए वह और श्रुति चौधरी ने यह कदम उठाया। अब बीजेपी ने श्रुति को तोशाम से विधानसभा टिकट देने का वादा किया है।
इस तरह से, किरण और श्रुति चौधरी की भाजपा एंट्री के पीछे चौधरी बंसीलाल के राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने और बचाए रखने की रणनीति काम कर रही है। भाजपा को भी इससे कई फायदे मिलने वाले हैं, इसलिए उसने इन दोनों को अपने साथ जोड़ा है।
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