हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने राज्य में दो नए जिले बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने इस कार्य के लिए चार मंत्रियों की एक विशेष कमेटी का गठन किया है। यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया प्रतीत होता है। कमेटी को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी।
विशेष कमेटी का गठन और कार्य
कृषि मंत्री कंवरपाल गुर्जर की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में वित्त मंत्री जयप्रकाश दलाल, राज्यमंत्री महीपाल ढांडा और सुभाष सुधा शामिल हैं। कमेटी मुख्य रूप से गोहाना और हांसी को जिला बनाने की संभावनाओं पर विचार करेगी। इसके अलावा, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के ACS और विकास एवं पंचायत विभाग के ACS व प्रधान सचिव भी कमेटी का सहयोग करेंगे।
नए राजस्व जिलों का निर्माण
सरकार की योजना केवल नए जिले बनाने तक सीमित नहीं है। तीन मौजूदा पुलिस जिलों - हांसी, डबवाली और मानेसर को राजस्व जिले के रूप में उन्नत करने की योजना है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इन्हें विधानसभा चुनाव से पहले राजस्व जिलों के रूप में मान्यता दिए जाने की संभावना है।
कमेटी की कार्यप्रणाली
सूत्रों के अनुसार, कमेटी की पहली बैठक इसी सप्ताह होने की संभावना है। बैठक में सभी जिलों के उपायुक्तों से रिपोर्ट मांगी जाएगी। इन रिपोर्टों के आधार पर कमेटी न केवल नए जिलों के गठन पर, बल्कि नए उप-मंडल, तहसील और ग्राम पंचायतों के निर्माण पर भी विचार करेगी। कमेटी की अंतिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी, जिस पर कैबिनेट में चर्चा के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
भविष्य की योजनाएं और उनका प्रभाव
हरियाणा में वर्तमान में 22 जिले हैं। नए जिलों के निर्माण से प्रशासनिक सुविधाओं में सुधार होने की उम्मीद है। इसके अलावा, 2026 में होने वाले परिसीमन के बाद राज्य की विधानसभा सीटों की संख्या 90 से बढ़कर 126 हो सकती है, जबकि लोकसभा सीटें 10 से बढ़कर 14 हो सकती हैं। यह बदलाव 2029 के चुनावों में लागू होगा, जिससे राज्य की राजनीतिक गतिशीलता में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है।
यह पहल पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल की मांगों को पूरा करने की दिशा में एक कदम प्रतीत होती है। पिछले दशक में, भाजपा सरकार ने 15 नए उपमंडल, 10 नई तहसीलें और तीन नई उप-तहसीलें बनाई थीं। इस नई पहल से राज्य के प्रशासनिक ढांचे में और अधिक सुधार की उम्मीद है।
नए जिलों के निर्माण और मौजूदा प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन से न केवल प्रशासन में सुधार होगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों को भी गति मिलने की उम्मीद है। यह कदम राज्य सरकार की दूरदर्शिता को दर्शाता है और आने वाले समय में हरियाणा के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
related
Latest stories
ये किसान व आढ़ती को ख़त्म करने का 'षड्यंत्र' नहीं तो क्या है? सदन में भाजपा पर गरजे आदित्य
सरकार द्वारा 'आंकड़े न कभी छुपाए जाते हैं, न कभी छुपाए जाएंगे', जानिए मुख्यमंत्री सैनी ने ऐसा क्यों कहा
'वे नहीं जानती कि पराली क्या होती है' दिल्ली सीएम पर बड़ोली का तंज - बोले पहले खेतों में जाकर पराली देखनी चाहिए