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प्रकृति से खिलवाड़ - पर्यावरण संरक्षण की दुहाई देने वाले कम और दुश्मन हजार : कंचन सागर

प्रकृति से खिलवाड़ - पर्यावरण संरक्षण की दुहाई देने वाले कम और दुश्मन हजार : कंचन सागर

कंचन के अनुसार उनकी मां ने अपनी बेटियों को वट वृक्ष दिखा कर बताई थी पौधों की महत्ता, तब से वह पर्यावरण बचाने के कर रहीं हैं प्रयास, कंचन का मानना है कि नारी की प्रकृति चूंकि प्रकृति से मेल खाती है तो ऐसे में नारी प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ को भलीभांति समझ सकती है और उसका संरक्षण भी कर सकती है

समाजसेविका कंचन सागर

प्रकृति ईश्वर का अनुपम वरदान है, नारी मानवता की निराली पहचान है। 

प्रकृति की प्रकृति नारी जैसी है, नारी की प्रकृति प्रकृति जैसी है।'' 

इसलिए दोनों को ही सम्मान देने की जरूरत है, क्योंकि जब दोनों के ही साथ किसी भी बात में अति होती है, तो उसका अंजाम अच्छा नहीं होता। प्रकृति को ही देख लीजिए भयंकर गर्मी व बारिश की कमी को लेकर आज इंसान हाहाकार मचा रहा है, जबकि पर्यावरण असंतुलन के लिए वह खुद जिम्मेदार है।

वातावरण की अनियमितता किसी से छुपी नहीं

अपने ऐशो-आराम के लिए मानव ने प्रकृति से इस कदर खिलवाड़ किया कि अब प्रकृति का कहर उस पर पड़ना शुरू हो गया है। पर्यावरण असंतुलन की वजह से पैदा हुई वातावरण की अनियमितता किसी से छुपी नहीं हैं। बावजूद इसके हाल यह है कि पर्यावरण संरक्षण की दुहाई देने वाले कम और दुश्मन हजार हैं।

मॉडल टाउन की तस्वीर ही बदल दी

चूंकि नारी की प्रकृति, प्रकृति से मेल खाती है तो ऐसे में नारी शक्ति पर्यावरण संरक्षण में पीछे नहीं है। आज हम आपको रूबरू कराते है पानीपत की ऐसी नारी शक्ति से जो वर्ष 1990 में रिक्शे पर बैठ कर पौधे लगाने निकल पड़ती थीं, आज वही पौधे बन गए हैं बड़े -बड़े पेड़, उनके पौधारोपण की एक ज़िद और जुनून ने आज पानीपत शहर के मॉडल टाउन की तस्वीर ही बदल दी। 

लोग कोठियां बना रहे थे, कंचन लगा रही थी पौधे 

आइये जाने पूरी कहानी कंचन की जुबानी, बात 1990 की है। मॉडल टाउन वैसा नहीं था, जैसा आज दिखता है। उस वक्त कोठियां बनाने का दौर था और लोग कोठियां बनाने में तो जुटे हुए थे, लेकिन पर्यावरण की ओर किसी का ध्यान नहीं था। तब कंचन सागर निकल पड़ीं थीं हरियाली के मिशन पर। जो ज़िद आज से चौंतीस साल पहले की थी, उसका नतीजा आज मॉडल टाउन देख रहा है। 

रिक्शा में बैठ निकल पड़ती थी पौधे बांटने

रिक्शे पर बैठकर कंचन सागर पौधे लेकर निकल पड़ती और घर-घर बांटती जाती। सड़क पर तो पौधे लगाए ही साथ ही स्टेडियम में भी इन्हें रोपा। आज यही पौधे बड़े पेड़ बन चुके हैं और मॉडल टाउन इसी हरियाली पर नाज़ करता है। इनर व्हील क्लब पानीपत मिड टाउन की चार्टर प्रेसिडेंट कंचन का कहना है कि उन्हें शुरू से ही पौधों से लगाव था। उन की मां ने अपनी बेटियों को वट वृक्ष दिखा कर पौधों की महत्ता बताई थी। तब से वह पर्यावरण बचाने के प्रयास कर रहीं हैं। 

शादी के बाद मिला पति का सहयोग

शादी के बाद जब पति का सहयोग मिला तो उन्होंने पर्यावरण पर मिशन शुरू कर दिया। पौधे लगाने के साथ ही अब पर्यावरण के लिए घर-घर जाकर कपड़े के थैले बांटने का अभियान भी शुरू किया है।वह समझातीं हैं कि पॉलीथिन का उपयोग नहीं करना चाहिए। सब्जी व सामान के लिए कपड़े की थैलियां गाड़ी में साथ में सदा रखनीं आवश्यक हैं।

बच्चों को समझाएं प्रकृति और पर्यावरण का महत्व

कंचन का कहना है कि अगर पर्यावरण के लिए कुछ करना है तो सबसे पहले बच्चों को इसके बारे में समझाना होगा। बच्चे ही कल का भविष्य हैं। किसी भी विद्यालय में जाने पर बच्चों को बतातीं हैं कि जब उनके घर दाल, सब्जी, चावल धोए जाएँ तो उस का पानी इकट्ठा कर गमलों व क्यारियों में डालना चाहिए। बच्चों को पौधों का महत्व बताते हैं। उन्हें पौधे बांटते वक्त कहते हैं कि इनका ख्याल रखना भी ज़रूरी है। यदि हम एयर कंडीशनर चाहते हैं तो पेड़ लगाने से पीछे नहीं हटना चाहिए।

जन्मदिन पर भी में लगाती हैं पौधे 

उन की नारी कल्याण समिति और इनरव्हील क्लब पानीपत मिडटाउन की सदस्याओं ने प्रण कर लिया है कि जब उन के परिवार के सदस्य कमरे से बाहर निकलेंगे, तब लाइट, पंखा बंद कर के ही निकलेंगे।ऐसे बिजली के उपकरण ख़रीदेंगे जिन से पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे। साथ ही विद्युत उपकरणों का समय-समय से रखरखाव करेंगे। कंचन सागर अपने या बच्चों के जन्मदिन पर पार्क में पेड़ लगाकर उन यादों को चिरस्थायी बनातीं हैं।

नेक काम के लिए किसी को रोको-टोको नहीं

उन्होंने बताया कि समाज के लिए कुछ करते हैं तो कुछ लोग ऐसे भी मिल जाते हैं, जिनका काम सिर्फ टोकना होता है। महिला विंग में कुछ महिलाओं को उनके ही घर वाले कई बार यह कहकर रोक देते हैं कि क्यों टाइम खराब करते हो। लोगों को समाज के लिए आगे आना चाहिए और दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए। 

 

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