हरियाणा के विधानसभा चुनाव इस बार सत्तारूढ़ भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल-कांग्रेस के लिए काफी अहम हैं। जहां भाजपा हर हाल में हैट्रिक लगाने की जुगत में है। वहीं कांग्रेस सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटी है। केंद्र की मोदी सरकार के एजेंडे में भी हरियाणा टॉप पर है। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली को तीन ओर से घेरने वाले हरियाणा का भाजपा के लिए बहुत बड़ा राजनीतिक महत्व है।
टिकट आवंटन के बाद भाजपा की चुनौतियां जरूर बढ़ गई
अलबत्ता भाजपा ने हरियाणा के चुनावों के लिए विशेष प्लानिंग भी की है। माइक्रो मैनेजमेंट के फार्मूले के साथ भाजपा यह चुनाव में उतर रही है, बेशक, भाजपा को टिकट आवंटन के बाद पार्टी में इस तरह की बगावत का जरा भी आइडिया नहीं था, लेकिन अब इसे निपटने का भी तरीका निकाला जा रहा है। उल्लेखनीय है कि टिकट कटने की वजह से नाराज हुए दो दर्जन से अधिक दिग्गज नेताओं में से कुछ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरने की सोच रहे है। टिकट आवंटन के बाद भाजपा की चुनौतियां जरूर बढ़ गई हैं। चूंकि उसे अब एक साथ कई मोर्चों पर काम करना पड़ रहा है।
नेताओं व कार्यकर्ताओं को समझाने की मुहिम शुरू
चुनावी प्लानिंग के साथ-साथ अब अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं को समझाने की मुहिम भी शुरू हो चुकी है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अलावा उन पदाधिकारियों को रूठे नेताओं के घर भेजा जा रहा है, जिनका रसूख है और उनकी कही बात को टालना आसान नहीं है। बात करें हरियाणा की करनाल सीट या यूं कहें की अब तक सीएम सिटी के रूप में अपनी पहचान बनानी वाली करनाल सीट पर भी भाजपा में नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी बरकरार है। नाराजगी भी इतनी कि पूर्व मेयर रेणु बाला को मनाने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और मुख्यमंत्री नायब सैनी को खाली हाथ ही लौटना पड़ा।
मेरा मन बहुत आहत है : रेणु
गौरतलब है कि भाजपा हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 67 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर चुकी है। पूर्व मेयर और करनाल विधानसभा सीट की दावेदार रेणु बाला गुप्ता को टिकट नहीं मिला है, जिससे वह काफी निराश हैं। रेणु बाला गुप्ता ने कहा, “मैंने 10 साल तक पार्टी की बड़ी निष्ठा के साथ सेवा की है। पार्टी ने मुझे जो भी जिम्मेदारी दी, मैंने उसे निभाने की पूरी कोशिश की। जनता का आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहा। लेकिन, पिछले कई दिन से मेरा मन बहुत आहत है। मेरे समर्थक और जनता मेरे साथ जुड़कर चलना चाहते हैं। मैं करनाल में बहु बनकर आई थी, लेकिन यहां के प्रेम ने मुझे बेटी बना दिया।”
समर्थकों के बीच बैठकर फैसला लूंगी
रेणु ने आगे कहा, “बेटी बनकर मैं इस परिवार में इतना रम गई कि मुझे पता ही नहीं चला कि कहां मेरा धर्म का परिवार है और कहां कर्म का परिवार है? इस तालमेल में मुझे लोगों का जो प्रेम मिला है, उसके ऊपर मैं यह फैसला छोड़ रही हूं। आने वाली 10 तारीख को मैं अपने समर्थकों और विधानसभा क्षेत्र के लोगों के बीच बैठकर यह फैसला लूंगी कि मुझे क्या करना चाहिए? उनके चरणों में मेरा फैसला होगा। समर्थक, जो मेरे परिवार के सदस्य हैं, अगर मुझ पर विश्वास जताएंगे तो मैं पूरी निष्ठा से उसे निभाऊंगी।”
किसी नतीजे पर नहीं पहुंची मनोहर लाल और रेणु बाला की मीटिंग
रेणु बाला की नाराजगी का पता चलते ही सीएम नायब सैनी उन्हें मनाने के लिए उनके घर पहुंचे थे और उनके बाद आज खुद केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर भी रेणु बाला को मनाने उनके आवास पहुंचे, लेकिन दोनों नेताओं को बेरंग लौटना पड़ा। मनोहर लाल और रेणु बाला गुप्ता के घर में काफी देर मीटिंग चली, लेकिन मीटिंग किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। संशय बरकरार है कि रेणु बाला करनाल से भाजपा उम्मीदवार का साथ देंगी या नहीं ?
क्या बोले मनोहर लाल
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि जब इतना बड़ा कार्यक्रम होता है तो ऐसा अक्सर होता है। रेणु बाला गुप्ता चुनाव लड़ना चाहती थी। मुझे विधायक और सांसद बनाने में इनका काफी सहयोग रहा है। साथ नायब सैनी को विधायक बनने में इन्होंने सहयोग किया था। इनकी बहुत बड़ी टीम है जो 10 सितंबर को फैसला लेगी। खट्टर ने कहा मुझे अपेक्षा है कि ये फैसला लेकर भाजपा के उम्मीदवार को जिताकर बीजेपी की तीसरी बार सरकार लाने में हमारे साथ होंगी।
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