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The Haryana Story | 'दिल के नै माड़े, दिमाग तै गर्म सै'..जानें हरियाणवी रैपर KD Desirock की क्यूँ 'फैन या दुनिया होरी रै'...

'दिल के नै माड़े, दिमाग तै गर्म सै'..जानें हरियाणवी रैपर KD Desirock की क्यूँ 'फैन या दुनिया होरी रै'...

KD (कुलबीर दानौदा) एक बेहतरीन और हरफनमौला कलाकार हैं, जिनकी लेखनी का हरियाणा और उत्तरी भारत में बहुत बड़ा फैन बेस है, KD ने ट्रेंड से हटकर भी समाज के लिए बेहतरीन गाने लिखे हैं

प्रतीकात्मक तस्वीर

ओ देसी-देसी ना बोल्या कर छोरी रै, इस देसी की फैन या दुनिया होरी रै.....KD (कुलबीर दानौदा) एक बेहतरीन और हरफनमौला कलाकार हैं, जिनकी लेखनी का हरियाणा और उत्तरी भारत में बहुत बड़ा फैन बेस है। KD ने ट्रेंड से हटकर भी समाज के लिए बेहतरीन गाने लिखे हैं। KD ने ट्रेंड से हटकर भी समाज के लिए बेहतरीन गाने लिखे हैं, जो इंडस्ट्री में रिस्क लेने जैसा होता है, क्योंकि ऐसे...गाने जनता द्वारा हमेशा आसानी से स्वीकार नहीं किए जाते।

फिर भी उन्होंने इन जोखिमों को उठाकर अद्भुत गाने तैयार किए हैं। 'जा बोल दिए मेरे साले ने तेरा जीजा तड़के आवेगा, दिल के नै माड़े..दिमाग तै गर्म सै फ्रॉम हरियाणा हरियाणवी धर्म सै, बोलन का के लेगी, ओ देसी-देसी ना बोल्या कर छोरी रै..इस देसी की फैन या दुनिया होरी रै, यार हरियाणा ते, बदमाश बोलूं सूं, सॉन्ग आहो, डे वन सहित केडी के काफी सांग ट्रेंड में हैं।

हर कोई उनके लेखन और गायन की विविधता का फैन

उन्होंने अपने आर्टिस्टिक सफर की शुरुआत कुछ कमर्शियल गानों से की थी, लेकिन समय के साथ उन्होंने सामाजिक, धार्मिक, और फोक जैसे विभिन्न विषयों पर गाने लिखे और गाए। उनकी खासियत यह है कि वो गाने के बीच में गहरे शब्दों के साथ रैप जोड़ते हैं, जो उनके गानों को और खास बनाता है। हरियाणा में रैप कल्चर का जनक भी उनको माना जाता है। उनकी की एक और खासियत यह है कि उन्होंने हमेशा अपने सीनियर्स की बहुत इज्जत की है। वे प्रतिभा में भले ही कई गायकों से बड़े हों, लेकिन उन्होंने हमेशा अपने सीनियर्स को आगे रखा है। KD का यह साहसी और सामाजिक दृष्टिकोण उन्हें एक अनोखा कलाकार बनाता है। उनके गाने समाज में गहरा संदेश छोड़ते हैं, और हर कोई उनके लेखन और गायन की विविधता का फैन है। जानते हैं कुलबीर नैन के केडी बनने तक के सफर के बारे में .....

पांचवीं कक्षा से था लिखने का शौक

केडी का जन्म 15 सितम्बर 1990 जींद के दानौदा गांव में हुआ था। केडी का पूरा नाम कुलबीर नैन है, लेकिन वो अपने नाम एक पीछे अपने गांव का नाम (दानौदा) लगाते हैं, जिसे केडी के नाम से जाना जाता है। केडी जन कक्षा पांचवीं में पढ़ते थे तब से उन्हें लिखने का शौक हुआ। केडी चुटकुले और कविताएं, रागनी लिखते थे। जैसे जैसे उम्र और क्लास बढ़ती गई केडी ने अपनी लेखनी में और ज्यादा सुधार किया। केडी ने 10वीं तक की पढ़ाई सरस्वती एसएस सीनियर स्कूल दानौदा कलां से की। 12 वीं के बाद मानेसर के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया, जिसके पीछे भी एक कहानी है, जिससे आपको अवगत कराएंगे। पहले जानते हैं केडी के परिवार के बारे में।

केडी अपनी बेटियों को खुद के लिए मानते है लकी

माता-पिता छोटा भाई कुलदीप और दो बहने हैं। छोटे भाई कुलदीप टीचर हैं, पिता रामफल नैन किसान हैं। माता बाला देवी गृहणी हैं। दादा जोगीराम नैन दादी सुखदेवी का स्वर्गवास हो चुका है। दोनों भाइयों की शादी हो चुकी है। केडी की शादी हिसार के पास गांव डाबड़ा में हुई है, केडी की दो बेटी हैं। बड़ी बेटी का नाम अन्वी और छोटी का अदिति है।

केडी अपनी बेटियों को खुद के लिए लकी मानते है। फिलहाल केडी अपने छोटे भाई के साथ हिसार में रहते है और वहीं पर उनका स्टूडियो भी है। इसके साथ ही कैदी हफ्ते या 10 दिन में अपने गांव दानौदा (जींद) भी आते रहते हैं, क्योंकि केडी कहते है उनको अपने गांव की मिट्टी से बहुत ज्यादा प्यार है। जब भी गांव में आते है तो अक्सर दादा रामेश्वर के धाम और खेतों में जरूर जाते हैं। केडी ने सांग्स में दादा रामेश्वर का नाम जरूर सुनने को मिलता है। 

अपनी मां बोली हरियाणवी का प्रचार विदेशों में भी किया

केडी हरियाणा का वो कलाकार है, जिसने विदेशों में भी अपने लाइव शो किए हैं और अपनी मां बोली हरियाणवी का प्रचार आस्ट्रेलिया जैसे देश में भी किया। केडी ने हरियाणवी इंडस्ट्री को भी एक से बढ़कर एक प्रोजेक्ट दिए हैं और समाज को अपने सॉन्ग के माध्यम से अच्छे-अच्छे संदेश दिए फिलहाल केडी का एक गाना आया था बदमाश बोलूं सूं, जिसमें केडी ने हरियाणा के अंदर बढ़ते क्राइम और जो युवा जनरेशन क्राइम की और बढ़ रही है उनके लिए बहुत अच्छा मैसेज दिया था। उसके साथ में केडी ने लाडो रानी, फौजियों का तम्बू, गऊ माता जी से संबंधित सॉन्ग दिए हैं। 

'बाजेगा तो हरियाणा बाजेगा, नहीं तो जूता बाजेगा'

केडी ने जोश टॉक शो में अपनी जर्नी के बारे में अनुभव साझा करते हुए बताया कि वो गाने लिखते भी है, गाते भी है, कंपोज भी करते है और छोटा मोटा एक्ट भी कर लेते हैं। केडी का कहना है कि जिस मिट्टी में जन्म लिया उसी मिट्टी की भाषा में गीत गाऊं, ये एक सोच रही है। उनका एक डायलॉग भी है 'बाजेगा तो हरियाणा बाजेगा, नहीं तो जूता बाजेगा' स्कूल की बाल सभा से शुरुआत हुई। हर कार्यक्रम में हिस्सा लेते।

12 वीं की पढाई पूरी होने के दौरान अखबारों में ऐड आती थी कि फिल्म की शूटिंग है कलाकार चाहिए, पापा को बताता जाता था, पर वो सब ठग बैठे थे, सेटअप बना रखा होता था, दिमाग में बैठा देते कि आज तो तू कलाकार बन गया, वहां से अमिताभ बच्चन बनके निकलता था, इस तरह काफी दफ्तरों में गया। क्योंकि फॉर्म भरवाते, फीस ऐंठ लेते थे पर काम नहीं मिलता था। बहुत नेगेटिविटी मिली, पापा भी कहते बहुत घूम लिया, इस लाइन ने छोड़, पैसे बर्बाद होते थे। फिर 2 महीने नौकरी की। उन्हीं दिनों पॉलिटेक्निक का क्रेज था, मेरी इच्छा थी म्यूजिक फिल्ड में जाने की, लेकिन घरवाले चाहते थे इंजीनियरिंग करे। 

जब टूट चुके थे केडी

ऐसे में केडी पढ़ाई और घर वालों के दबाव से अंदर से टूट चुके थे, यही वो टाइम था जब केडी को अपना राइटर होने का सपना खत्म होते दिखाई दिया। लेकिन इतना सब होने के बाद भी उन्होंने लिखना नहीं छोड़ा और जब एक दिन वो अपने दोस्तों से साथ बैठे हुए थे तो केडी ने अपने लिखी रागनी, गाने अपने दोस्तों को सुनाए और उनके दोस्त ही उनके लिए एक आशा की किरण बनके सामने आए।

उन्होंने केडी को पूरा स्पोर्ट किया। हरियाणा के अंदर उनकी पहली एल्बम रिकॉर्ड करवाई और वहीं से हरियाणा को केडी जैसा उभरता हुआ कलाकार मिला। उसके बाद से उन्होंने बैक टू बैक सॉन्ग किए और कभी भी पीछे मुड़ के नहीं देखा, लेकिन जैसे जैसे टाइम बीतता चला गया वैसे वैसे केडी के सॉन्ग्स का क्रेज भी कम होता गया। 

उतार-चढाव का दौर

लेकिन केडी ने हार नहीं मानी। केडी बताते हैं कि घर वालों के लिए वो इंजीनियरिंग कर रहा था, पर वो फीस के पैसे बचाकर स्टूडियो जाता करता था। एड देख-देख के कई लोगों से सम्पर्क करता रह। कुछ लोग ऐसे भी मिले जिनकी वजह से यहां तक पहुंचने में मदद मिली। उन्होंने अपनी पढाई के दौरान के एक वाकया के बारे में बताया कि इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के लिए ड्राफ्टर का विशेष उसे होता था, लेकिन उन्होंने इस ड्राफ्ट को कैसे अपने करियर के लिए उसे किया।

इस बारे में बताया कि उस दिनों ड्राफ्टर आता था 450 का, पापा को बताया एक ड्राफ्टर है जो हर महीने लेना पड़ता है और वो 4500 का आता है, उसके पैसे आते थे, उसके पैसे केडी ने स्टूडियो में जाने और काम खोजने में लगाए, उस दौरान रास्ते तो कई मिले मिले पर पक्का काम फिर भी नहीं मिला। उस टाइम केडी ने अपनी पहचान बनाने के लिए कुछ अलग करने की सोची और वो राइटर के साथ-साथ अपने सॉन्ग्स में रैप भी करने लगे और खुद गाने लगे। वहीं से उनके रैप के करियर की शुरुआत हुई। इस तरह कुलदीप दानौदा से बना केडी। धीरे धीरे केडी आसमान की बुलंदियों को छूने लगे।

सतीश सहगल हैं केडी के गुरु

केडी बताते है उस दौरान उनकी मुलाकात सतीश सहगल से हुई, जिन्होंने हट जा ताऊ पाछे नै का म्यूजिक दिया। सतीश सहगल को केडी अपना गुरु मानते हैं। केडी बताते हैं कि जब वो एक दिन सतीश सहगल के रोहतक स्थित स्टूडियो पहुंचे तो वहां किसी गाने की रिकॉर्डिंग चल रही थी, जब केडी ने गाना सुना तो उन्होंने उस गाने में एक लाइन ठीक करवाई, जिससे वो गाना और अच्छा बन गया, सतीश सहगल केडी की कला से प्रभावित हुए और केडी ने सतीश सहगल के लिए अलग अलग कलाकारों के लिए गाने लिखने शुरू कर दिए। 300 रुपए एक गाने के। एक बार इलेक्शन के टाइम में 18 गाने रिकॉर्ड हुए मेरे तो केडी को 3600 रुपए मिले, जिससे उनको बहुत ख़ुशी हुई। केडी कहते हैं कि आज 36 लाख में भी वो खुशी नहीं होगी जो उस समय थी।

कुलबीर नैन-केडी कैसे बने

किसी कलाकार के लिए उन्होंने पाइया पीतल एक गाना था वो लिखा ''जा बोल दिए मेरे साले ने तेरा जीजा तड़के आवेगा'', शायद ये हरियाणा का पहला गैंगस्टर गाना था। वो लिख के दिया तो कलाकार बोला मेरे हिसाब का गाना नहीं है ये। कुछ और लिख दो मेरे लिए, ये गाना मुझे अच्छा नहीं लगा। तब गुरु सतीश सहगल ने केडी को कहा कि तू ही गा दे।

केडी ने गुरु के कहने से कोशिश की और उस दिनों ब्लूटूथ के जरिये के गाना वायरल होना शुरू हुआ। डीजे पर पहुंच गया और हिट हुआ। फिर सिंगर के तौर पर केडी की शुरुआत हुई, पहली बार रैप ट्राई किया था। केडी कहते हैं कि हालांकि मेरे से पहले भी रैप किया है, प्रधान भाई ने। मैंने भी इस तरह का रैप ट्राई किया जो हर उम्र के लोग समझ सके। फिर 'बोलन का के लेगी' से भी मोटिवेशन मिला।

केडी-एमडी के रिश्ते

केडी ने अपने और एमडी के रिश्ते पर भी बोला कि एमडी और केडी का 10 साल का इकठ्ठा करियर रहा। एमडी केडी को इकट्ठे नाम से जानते हैं हरियाणा के लोग। (मनु धावन) एमडी, (कुलबीर दानौदा) केडी। केडी ने कहा कुछ आपसी मतभेद के बाद दोनों ने काम अलग कर लिया। कहासुनी तो सेज भाई-भाई में भी होती है। ऐसा तो चलता रहता है। आज दोनों के बीच बातचीत है, पर कम है। अलग-अलग काम शुरू कर दिया। केडी पहला हरियाणवी कलाकार जो जोश टॉक पर आया है।

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