
दुनिया ने विकास से विनाश का सफर तय करना आरम्भ कर दिया है। बचपन में किताबों में इस विनाश की इबारत को पढ़कर मन इन चेतावनियों को दूसरी दुनिया का बता अपना पल्ला झाड़ लेते थे। पर्यावरण जागरूकता, पर्यावरण प्रदूषण, पर्यावरण संरक्षण जैसे तमाम मुद्दों पर लिखने वाले लेख डराते थे। तब ऐसा लगता था शायद पर्यावरण में होने वाले बदलाव अभी कोसों दूर हैं। शायद हम इन परिवर्तनों से बचे रह जाएंगे, लेकिन अब ऐसे लेखों से डर नहीं लगता, बल्कि बदलते हालातों से डर लगने लगा है, चूंकि पर्यावरण में हो रहे परिवर्तन उन ख़तरों की दस्तक़ देने लगे हैं। ऐसा लगता है कि यदि दुनिया ने पर्यावरण संरक्षण के लिए युद्धस्तर पर काम न किया तो मौसम के बदलाव की इस तूफानी रेल को रोकना असम्भव होगा। ये कहना है पानीपत के पर्यावरण प्रेमी व समाजसेवी मुनीश जैन का।
पर्यावरण को बचाने की तत्काल आवश्यकता
मुनीश जैन ने कहा कि पर्यावरण का तात्पर्य प्राकृतिक परिवेश और परिस्थितियों से है जिसमें हम रहते हैं। दुर्भाग्य से, यह पर्यावरण गंभीर खतरे में आ गया है। यह खतरा लगभग पूरी तरह से मानवीय गतिविधियों के कारण है। इन मानवीय गतिविधियों ने निश्चित रूप से पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इस क्षति से पृथ्वी पर जीवित चीजों के अस्तित्व को खतरा है। इसलिए, पर्यावरण को बचाने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज पर्यावरण प्रदूषण एक बेहद चिंताजनक विषय है। यदि आज हम नहीं जागे तो इस से भी बुरे परिणाम देखने को मिल सकते है। सभी को पौधारोपण कर तथा प्लास्टिक को प्रयोग में लाना कम करना होगा। वर्तमान में बढ़ता हुआ तापमान और भीषण गर्मी का कारण वृक्षों का अभाव है। हमें अधिक से अधिक पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करने होंगे।
प्रकृति दोहन के नतीज़े होते जा रहे हैं डरावने
उन्होंने कहा कि मनुष्य और पर्यावरण एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। पर्यावरण जैसे जलवायु प्रदूषण या वृक्षों का कम होना मानव शरीर और स्वास्थ्य पर सीधा असर डालता है। मानव की अच्छी-बुरी आदतें जैसे वृक्षों को सहेजना, जलवायु प्रदूषण रोकना, स्वच्छता रखना भी पर्यावरण को प्रभावित करती है। मुनीष जैन ने बताया कि मनुष्य की बुरी आदतें जैसे पानी दूषित करना, बर्बाद करना, वृक्षों की अत्यधिक मात्रा में कटाई करना आदि पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करती है। जिसका नतीजा बाद में मानव को प्राकर्तिक आपदाओं का सामना करके भुगतना ही पड़ता है और भुगत भी रहे हैं, ऐसे ही चलता रहा तो आगे भी भुगतना होगा। प्रकृति का जो दोहन आज हम कर रहे हैं, उसके नतीज़े बेहद डरावने होते जा रहे हैं।
विकास ही बन रहा विनाश का कारण
मुनीष जैन का कहना है कि आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ती जनसंख्या और बड़ी-बड़ी इमारतों के कारण पर्यावरण की प्रकृति नष्ट हो रही है। हर जगह-जगह घने वृक्ष काट कर बड़ी बिल्डिंगों का निर्माण करना पर्यावरण और प्रकृति के साथ छेड़छाड़ हैं। इतना ही नहीं जहां वाहनों का धुआं, मशीनों की आवाज, खराब रासायनिक जल आदि की वजह से, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। विकास के चक्कर में हम प्रकृति और पर्यावरण की अनदेखी कर रहे हैं, जो कतई उचित नहीं है, जिसके कारण हमें अनेक बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
पर्यावरण के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं
मुनीश जैन ने कहा कि पर्यावरण के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। आश्चर्य की बात है कि हजारों वर्ष प्रकृति मानव के बिना फली-फूली, आज भी कई ऐसे स्थान मौजूद हैं जहां मानव की घुसपैठ आसान नहीं है, वहां जीवन सामान्य रूप से जारी है लेकिन मानव जीवन प्रकृति के बिना कुछ ही पल में खत्म हो जायेगा। फिर भी हम जिस डाल पर बैठे हैं उसी को तेजी से काट रहे हैं, जिसका प्रभाव अब दिखाई देने लगा है। जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियरों का तेजी से समाप्त होना, समुद्री जलस्तर का लगातार बढ़ना आदि तनाव उत्पन्न करने वाले हैं।
प्रदूषण और वनों की कटाई के कारण बढ़ रही बीमारियां
मुनीश जैन ने बताया कि ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं जाएं तो पर्यावरण को बचाने से ग्लोबल वार्मिंग कम होगी। लोगों का स्वास्थ्य बेहतर होगा। प्रदूषण और वनों की कटाई के कारण कई लोगों का स्वास्थ्य खराब है। पर्यावरण संरक्षण से निश्चित रूप से लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि पर्यावरण को बचाने से कई बीमारियां कम होंगी। पर्यावरण प्रेमी मुनीश जैन ने सभी शहरवासियों से पर्यावरण को बचाने व अधिक से अधिक पेड़ लगाने की अपील की और साथ ही उनकी देखभाल करने को भी कहा। उन्होंने आह्वान किया कि चिंतन ज़रूर करें प्रकृति और पर्यावरण ने हमें क्या-क्या दिया और हम बदले में उसे क्या दे रहे हैं?? इसलिए प्रकृति से प्रेम करना सीखें।
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