हरियाणा में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है और हर प्रत्याशी अपनी जीत के लिए जी -तोड़ मेहनत कर रहा है। वहीं हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में दिनेश कौशिक का नाम आज बदलाव और विकास का प्रतीक बन चुका है। हरियाणा के कैथल जिले की पूंडरी विधान सभा सीट पर हाल ही में हुए जनमत सर्वेक्षण में दिनेश ने अभूतपूर्व बढ़त हासिल की है, जो उनकी निस्वार्थ सेवा, जनता के प्रति समर्पण और राज्य के विकास के प्रति उनकी दूरदर्शिता का परिणाम है।
जनता ने दिनेश कौशिक में एक मज़बूत और भरोसेमंद नेतृत्व देखा
हर वर्ग के दिलों में अपनी जगह बना चुके हैं दिनेश केतली के चिन्ह और बैलेट नंबर 9 के साथ, दिनेश कौशिक हरियाणा के हर वर्ग के दिलों में अपनी जगह बना चुके हैं। उनकी साफ-सुथरी छवि, सादगी, ईमानदारी और अथक परिश्रम ने उन्हें लाखों लोगों का प्रिय नेता बना दिया है।
दिनेश कौशिक का मानना है कि हरियाणा की प्रगति में हर व्यक्ति की भागीदारी महत्वपूर्ण है और वे हर समस्या को अपनी प्राथमिकता मानते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और रोजगार जैसे क्षेत्रों में उनकी दूरगामी योजनाएं हरियाणा को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार हैं। यह सर्वेक्षण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि जनता ने दिनेश कौशिक में एक मज़बूत और भरोसेमंद नेतृत्व देखा है।
दिनेश कौशिक ने 2005 और 2014 में भी जीता था निर्दलीय चुनाव
दिनेश कौशिक ने यहां से 3 बार निर्दलीय चुनाव लड़ा और एक बार कांग्रेस की टिकट पर, वे यहां से निर्दलीय लड़कर ही चुनाव जीते हैं और जैसे ही किसी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा तो उन्हें हार मिली। उन्होंने साल 2005 में आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा तो जीत दर्ज की लेकिन 2009 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा तो उनकी हार हुई। उन्होंने 2014 में आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने पर फिर से जीत हासिल हुई। हालांकि कुछ समय बाद वे भाजपा में शामिल हो गए थे।
https://festwishes.in/polling/index.php/welcome/views?poll=7185
पूंडरी विधानसभा क्षेत्र रोड बाहुल्य, दूसरे नंबर पर हैं जाट व ब्राह्मण मतदाता
गौरतलब है कि पूंडरी विधानसभा क्षेत्र रोड बाहुल्य है। इसके बाद जाट व ब्राह्मण मतदाता हैं। यदि पिछड़े वर्ग व अनुसूचित जाति की बात करें तो फिर कोई उनके आगे ठहर नहीं पाएगा। 2019 से पहले के चुनावों में रोड व ब्राह्मण उम्मीदवार के बीच ही मुकाबला होता रहा।
इस बार चुनाव में नए समीकरण बन सकते हैं क्योंकि इस सीट पर सबसे अधिक निर्दलीय मैदान में हैं। पूंडरी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हरियाणा राज्य के 90 विधानसभा सीटों में से काफी महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है। पूंडरी विधानसभा सीट कैथल जिले में आती है और इस विधानसभा सीट में पूंडरी शहर एवं आसपास के कुछ क्षेत्र शामिल हैं।
पूंडरी का जातिगत समीकरण
यहां के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा वोटर रोड़ जाति के हैं। यहां ब्राह्मण भी अच्छी खासी संख्या में है। यही कारण है कि यहां से ज्यादातर विधायक रोड़ या ब्राह्मण जाति से ही बनते आ रहे हैं। वहीं एक दो गांवों में जाट वोटर भी निर्णायक संख्या में हैं। इस सीट पर सबसे ज्यादा बार पूर्व स्पीकर ईश्वर सिंह विधायक रहे है।
ईश्वर सिंह यहां से 1968, 72, 82, 91 में विधायक रहे हैं। इतिहास को देखते हुए इस सीट पर निर्दलीय चुनाव जीतने का आलम ये रहा है की कोई भी उम्मीदवार यहां पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ना पसन्द नहीं करता है। निर्दलीयों के लिए पूंडरी कितनी सेफ सीट है आप इस बात का अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं कि 2014 में सबसे ज्यादा वोट पाने वाले टॉप के 6 उम्मीदवारों में से 4 निर्दलीय थे।
पूंडरी का इतिहास
पूंडरी का नाम ऋषि पुंडरीक के नाम पर रखा गया था। पूंडरी अपनी फिरनी के लिए भी जाना जाता है। फिरनी एक मिठाई है जो इतनी लोकप्रिय है कि अगस्त के महीने में तीज के त्योहार पर लगभग 100 क्विंटल के आसपास बेची जाती है. वहीं पूंडरी की एक और खास बात ये है कि अभी भारत में कुछ ही पनचक्की (पानी से चलने वाली आटा चक्की) मील बची हैं।
उनमें से एक पनचक्की मील पूंडरी में है जो कि 129 साल पुरानी है। ये मील 1890 में बनाई गई थी. पूंडरी के गांव फरल में लगने वाला ऐतिहासिक फल्गु तीर्थ मेला भी प्रचलित है. इस तीर्थ का उल्लेख महाभारत, वामन पुराण, मत्स्य पुराण तथा नारद पुराण में स्पष्ट रूप से मिलता है। महाभारत एवं वामन पुराण में इस तीर्थ का उल्लेख देवताओं की विशेष तपोस्थली के रूप में मिलता है।
related
Latest stories
ये किसान व आढ़ती को ख़त्म करने का 'षड्यंत्र' नहीं तो क्या है? सदन में भाजपा पर गरजे आदित्य
सरकार द्वारा 'आंकड़े न कभी छुपाए जाते हैं, न कभी छुपाए जाएंगे', जानिए मुख्यमंत्री सैनी ने ऐसा क्यों कहा
'वे नहीं जानती कि पराली क्या होती है' दिल्ली सीएम पर बड़ोली का तंज - बोले पहले खेतों में जाकर पराली देखनी चाहिए