loader
The Haryana Story | हरियाणा में सियासी उथल-पुथल: भाजपा और हलोपा का गठबंधन बना चुनौती

हरियाणा में सियासी उथल-पुथल: भाजपा और हलोपा का गठबंधन बना चुनौती

मुख्यमंत्री नायब सैनी और गोपाल कांडा की मुलाकात से बढ़ी राजनीतिक हलचल; 5 विधानसभा सीटों पर हलोपा की दावेदारी से भाजपा नेताओं की चिंता बढ़ी

प्रतीकात्मक तस्वीर

हरियाणा की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के बीच गठबंधन की चर्चा ने राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है। यह खबर तब सामने आई जब मुख्यमंत्री नायब सैनी ने सिरसा के दौरे के दौरान हलोपा के नेता गोपाल कांडा से मुलाकात की और उनके घर नाश्ता किया।

गठबंधन की संभावना:

मुख्यमंत्री सैनी ने इस मुलाकात के बाद कहा कि भाजपा और हलोपा साथ मिलकर आने वाले विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा छेड़ दी है। माना जा रहा है कि भाजपा हलोपा को 5 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दे सकती है। इन सीटों पर गोपाल कांडा और उनके भाई गोविंद कांडा की मर्जी चल सकती है।

विवादास्पद सीटें:

इन 5 सीटों में से 2 सीटों पर दोनों पार्टियां आपसी सहमति से उम्मीदवार चुनेंगी। लेकिन 3 सीटें ऐसी हैं, जहां विवाद की संभावना है। ये सीटें हैं - सिरसा, रानियां और फतेहाबाद। इन सीटों पर हलोपा की दावेदारी से भाजपा के मौजूदा विधायकों और मंत्रियों की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है।

रानियां सीट का पेंच:

रानियां विधानसभा सीट पर गोविंद कांडा चुनाव लड़ना चाहते हैं। यहां से पहले रणजीत चौटाला निर्दलीय विधायक थे, लेकिन उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए इस्तीफा दे दिया था। अब रणजीत चौटाला फिर से इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। ऐसे में हलोपा और भाजपा के बीच इस सीट को लेकर तनाव हो सकता है।

फतेहाबाद और सिरसा की स्थिति:

फतेहाबाद सीट पर भी हलोपा की नजर है। यहां से मौजूदा विधायक दुड़ाराम हैं, जो कुलदीप बिश्नोई के भाई हैं। अगर यह सीट हलोपा को दी जाती है, तो दुड़ाराम नाराज हो सकते हैं। वहीं, सिरसा सीट पर कई भाजपा नेता दावेदारी कर रहे हैं। अगर यह सीट हलोपा को मिलती है, तो इन नेताओं को झटका लग सकता है।

भाजपा की चुनौतियां:

2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सिरसा जिले की सभी 5 सीटें हार गई थी। इसलिए पार्टी इन सीटों पर विशेष ध्यान दे रही है। मुख्यमंत्री सैनी लगातार सिरसा का दौरा कर रहे हैं। लेकिन हलोपा के साथ गठबंधन से पार्टी के कई स्थानीय नेताओं में असंतोष पैदा हो सकता है।

इस गठबंधन से हरियाणा की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और हलोपा किस तरह से इन चुनौतियों का सामना करते हैं और अपने-अपने हितों को साधते हैं।

Join The Conversation Opens in a new tab
×