
गुरुवार 26 जून को जारी गजट नोटिफिकेशन के जरिए हरियाणा के राज्यपाल ने सेवानिवृत्त आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) अधिकारी देवेंद्र सिंह कल्याण, जो हरियाणा विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष हरविंदर कल्याण के भाई हैं और कुछ महीने पहले ही आईआरएस की सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हुए हैं, को हरियाणा का नया राज्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया है। हरियाणा के इतिहास में पहली बार राज्य चुनाव आयुक्त के महत्वपूर्ण पद पर सेवानिवृत्त गैर-आईएएस अधिकारी की नियुक्ति की गई है। करीब सवा चार साल पहले अप्रैल 2021 में हरियाणा की तत्कालीन मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने राज्य कैडर के 1985 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी को नियुक्त किया था।
धनपत सिंह को हरियाणा का राज्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था, जिनका कार्यकाल 9 अप्रैल 2025 को पूरा हो गया। धनपत अप्रैल 2020 में राज्य के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन तथा चकबंदी विभाग से अतिरिक्त मुख्य सचिव (एससीएस) तथा वित्त आयुक्त (एफसीआर) के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। राज्य चुनाव आयुक्त का पद भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (के) तथा अनुच्छेद 243 (जेडए) के अंतर्गत विशेषज्ञों की राय है कि राज्य चुनाव आयुक्त का पद भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (के) तथा अनुच्छेद नियुक्ति से पहले हरियाणा में पिछले सभी 7 राज्य चुनाव आयुक्त सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी थे।
243 (जेडए) के अंतर्गत एक संवैधानिक पद है, जिसका सृजन वर्ष 1992-93 में भारतीय संविधान में किए गए 73वें व 74वें संशोधन के फलस्वरूप हुआ था तथा प्रत्येक राज्य में पंचायती राज संस्थाओं तथा नगर निगम (शहरी निकाय) संस्थाओं के आम चुनाव राज्य सरकार द्वारा नहीं, बल्कि राज्य चुनाव आयोग की देखरेख, निर्देशन व नियंत्रण में करवाए जाते हैं। नियमानुसार हरियाणा में प्रधान सचिव रैंक के आईएएस को राज्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाता है।
आईएएस अधिकारी या उच्च न्यायालय के वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश को ही राज्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जा सकता है तथा उसकी आयु 55 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। हालांकि, देवेंद्र सिंह कल्याण की चूंकि देवेंद्र कल्याण पिछले कुछ वर्षों से हरियाणा में आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रधान सचिव के पद पर तैनात थे, इसलिए राज्य चुनाव आयुक्त के रूप में उनकी नियुक्ति में कोई कानूनी बाधा नहीं है। हालांकि, उन्होंने आगे कहा कि इतना महत्वपूर्ण और संवेदनशील पद होने के बावजूद हरियाणा में राज्य चुनाव आयुक्त के पद पर चयन और नियुक्ति के लिए खुला विज्ञापन जारी कर इच्छुक व्यक्तियों से आवेदन आमंत्रित करने की कोई व्यवस्था नहीं है।
राज्य सरकार यानी मुख्यमंत्री जिस किसी को भी इस पद पर नियुक्त करना चाहते हैं, उनका नाम राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है, जिसके बाद मुख्य सचिव द्वारा जारी अधिसूचना के माध्यम से राज्य के अगले चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की जाती है। हालांकि, इस बीच, संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हेमंत कुमार ने कहा कि हरियाणा विधानसभा द्वारा आज तक राज्य चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयुक्त के लिए पड़ोसी राज्य पंजाब द्वारा सितंबर 1994 में बनाए गए अधिनियम (कानून) जैसा कोई अधिनियम (कानून) नहीं बनाया गया है। हालांकि, हरियाणा में राज्य चुनाव आयुक्त सेवा शर्तें नियम, 1994 मई, 1994 में बनाए गए थे, जिनमें पिछले 31 वर्षों में तत्कालीन राज्य सरकारों द्वारा अपनी आवश्यकताओं के अनुसार समय-समय पर विभिन्न संशोधन किए गए हैं।
उक्त नियमों के अनुसार, हरियाणा में राज्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल कार्यभार ग्रहण करने के बाद पांच वर्षों के लिए होता है। हालांकि, यदि इस अवधि के दौरान इस पद पर आसीन व्यक्ति की आयु 65 वर्ष हो जाती है, तो उसे यह पद छोड़ना होगा। धनपत सिंह की जन्म तिथि 10 अप्रैल 1960 होने के कारण राज्य चुनाव आयुक्त के रूप में उनका कार्यकाल 9 अप्रैल 2025 तक ही था। हालांकि नियमों में यह प्रावधान है कि यदि राज्य सरकार तत्काल उनके स्थान पर नए राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति नहीं करती है तो धनपत सिंह 65 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद भी अपने उत्तराधिकारी के कार्यभार ग्रहण करने तक या अधिकतम छह माह, जो भी पहले हो, तक इस पद पर बने रह सकते हैं।
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