पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा सरकार के परम हितैषी अडाणी को जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने बेनकाब किया था, उस वक्त सेबी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अडानी को क्लीन चिट दे दी थी लेकिन अब, उसी सेबी के मुखिया के अड़ानी के साथ वित्तीय रिश्ते भी उजागर हो गए हैं।
भरोसा कैसे बना रहेगा?
अहम बात ये है कि छोटे और मध्यम निवेशक अपनी मेहनत की कमाई शेयर बाजार में सेबी के विश्वास पर लगाते हैं। पर जब सेबी ही सवालों के घेरे में हो, तो उनका भरोसा कैसे बना रहेगा? इसलिए, कांग्रेस मांग करती हैं कि इस महा-घोटाले में जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) से जांच होनी चाहिए, ताकि इस घोटाले का पूरी तरह पर्दाफ़ाश हो सके।
संस्था ने कहा : ''इसे व्यापार का गलत तरीका माना जाता है''
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि 10 अगस्त को हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच और अडाणी ग्रुप के संबंध में 46 पन्नों की एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेबी की चेयरपर्सन बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था।
फर्म ने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अडाणी ने पैसों की हेराफेरी करने और समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था। विनोद अडाणी, अडाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अडाणी के बड़े भाई हैं। रिपोर्ट का दावा है कि बुच दंपति ने मॉरीशस की उसी ऑफशोर कंपनी में निवेश किया है, जिसके जरिए भारत में अदाणी ग्रुप की कंपनियों में निवेश करवाकर अदाणी ने लाभ उठाया था। संस्था ने कहा कि इसे व्यापार का गलत तरीका माना जाता है।
पूरी जांच के लिए जेपीसी गठित किए जाने की मांग
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में आगे कहा कि सेबी को अडाणी मामले से संबंधित फंडों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था, जिसमें बुच द्वारा भी निवेश किया गया था। यही पूरी जानकारी हमारी रिपोर्ट में उजागर की गई है।
यह स्पष्ट है कि सेबी प्रमुख और अडाणी ग्रुप के हित एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। यह हितों का एक बड़ा टकराव है। उन्होंने कहा है कि सरकार कुछ उद्योगपतियों के हित में काम कर रही है। उन्होंने हिंडनबर्ग मामले की पूरी जांच के लिए जेपीसी गठित किए जाने की मांग की है।
सेबी चीफ को अब तक हटाया क्यों नहीं ?
उन्होंने कहा है कि सेबी चेयरपर्सन पर लगे आरोपों से छोटे-छोटे निवेशकों के हित गंभीर खतरे में हैं। आखिर सेबी चीफ को अब तक हटाया क्यों नहीं गया? उन्होंने कहा कि अगर निवेशकों को नुकसान होता है तो इसका जिम्मेदार पीएम मोदी, सेबी चेयरपर्सन या गौतम अडाणी में कौन होंगे? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जेपीसी जांच से क्यों डरते हैं।
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