हरियाणा में अक्टूबर महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी दलों ने कमर कस ली है और जमकर पसीना बहा रहे हैं ताकि कि किसी भी तरह से हरियाणा में उनकी पार्टी की सरकार बने। वहीं हरियाणा में हर पार्टी ये ऐलान कर रही है कि वो अकेले ही चुनाव मैदान में उतरेगी। अब ये स्थिति तो टिकट मिलने अथवा उम्मीदवारों के मैदान में उतरने के बाद ही स्पष्ट होगी।
राज्य में अपने बलबूते पर विधानसभा चुनाव लड़ने में सक्षम
कांग्रेस हरियाणा में फिलहाल जो राजनीतिक परिदृश्य है, उससे स्पष्ट है कि सत्ता में पाने के लिए सियासी दलों को हरियाणा में एक दूसरे की बैसाखी का सहारा लेने से भी परहेज नहीं है। इसी कड़ी में बात अगर हरियाणा में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की जाए तो कांग्रेस ने कई दफा साफ कर दिया है कि वह राज्य में अपने बलबूते पर विधानसभा चुनाव लड़ने में सक्षम है। बेशक पार्टी ने लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी को एक सीट दे दी लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी ने गठबंधन में चुनाव लड़ने से साफ मना कर दिया है।
समाजवादी पार्टी कांग्रेस से हरियाणा विधानसभा चुनाव में मांग रही सीट
गठबंधन के तहत लोकसभा चुनाव लड़ने वाले आप उम्मीदवार व पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ सुशील गुप्ता चुनाव हार गए और हार के बाद पार्टी ने कांग्रेस नेताओं पर चुनाव में मदद नहीं करने के आरोप लगाए। अब इसी कड़ी में निरंतर सामने आ रहा है कि इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस की सहयोगी समाजवादी पार्टी कांग्रेस से हरियाणा विधानसभा चुनाव में सीट मांग रही है।
समाजवादी पार्टी हरियाणा में कांग्रेस से पांच विधानसभा सीट मांग रही है जिनमें जींद, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी जिले की विधानसभा सीट हैं लेकिन कांग्रेस फिलहाल समाजवादी पार्टी को सीटों की हिस्सेदारी देने में एक तरह से परहेज कर रही है।
कांग्रेस समाजवादी पार्टी को सीटों की हिस्सेदारी देने के मूड में कतई नहीं
समाजवादी पार्टी का निरंतर कहना है कि कांग्रेस से वही सीट मांग रही है जहां वो लगातार चुनाव हार रही है या फिर कैंडिडेट्स की हार का अंतर बहुत ज्यादा है। फिलहाल के राजनीतिक माहौल से साफ तौर पर पता चल रहा है कि कांग्रेस समाजवादी पार्टी को सीटों की हिस्सेदारी देने के मूड में कतई नहीं है।
हालांकि यह भविष्य के गर्भ में है कि दोनों के बीच सीटों के हिस्सेदारी को लेकर ऊंट किस करवट बैठता है। हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा कह चुके हैं कि अभी तक हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए सपा के साथ गठबंधन की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर आने वाले दिनों में इस दिशा में कोई प्रगति होती है तो वह कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के स्तर पर होगी।
समाजवादी पार्टी का हरियाणा में कोई जनाधार नहीं
फिलहाल, ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है। ये भी बता दें कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी पिछले महीने कह चुके हैं कि समाजवादी पार्टी का हरियाणा में कोई जनाधार नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर हमारा गठबंधन है, लेकिन आज राज्य स्तर पर समाजवादी पार्टी के साथ हमारा कोई गठबंधन नहीं है।
कांग्रेस की राज्य इकाई को पार्टी हाईकमान की बात माननी पड़ेगी
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दावा किया था कि वह हरियाणा में किसी भी तरह के गठबंधन से परहेज करते हुए लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी और किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी लगातार लोकसभा चुनाव में इस बात का हवाला देते हुए गठबंधन की हिमायती थी कि अगर दोनों मिलकर लड़े तो भाजपा को चुनाव में हरियाणा में हराया जा सकता है।
लेकिन कांग्रेस के दिग्गज भूपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार मना कर रहे थे पार्टी अकेले चुनाव लड़ने और जीतने में सक्षम है लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने बाद जो फैसला किया कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया जाए तो कांग्रेस की राज्य इकाई को पार्टी हाईकमान की बात माननी पड़ी। बेशक आम आदमी पार्टी को एक सीट इंडी गठबंधन के तहत मिली लेकिन आखिरकार फैसला पार्टी हाईकमान का ही रहा।
इसी कड़ी में ये माना जा रहा है कि पिछले लोकसभा चुनाव में यूपी में इंडी गठबंधन के तहत साझेदार रही और बेहतर प्रदर्शन करने वाली समाजवादी पार्टी कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बनाकर हरियाणा में सीट ले सकती है। इस स्थिति में कांग्रेस की राज्य इकाई को पार्टी हाईकमान की बात माननी पड़ेगी।
महाराष्ट्र विधानसभा और यूपी उपचुनाव में भी फंसा पेंच
सूत्रों के मुताबिक़ कांग्रेस और सपा में महाराष्ट्र और यूपी में भी सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है। कांग्रेस यूपी में व कम से कम दो सीटों पर उपचुनाव लड़ना चाहती है। इस बारे में दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व के बीच कई राउंड की वार्ता भी हो चुकी है।
सपा की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव और कांग्रेस की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी व महासचिव केसी वेणुगोपाल इस वार्ता में शामिल रहे हैं। चूंकि अखिलेश यादव एक तरह से पार्टी के सर्वेसर्वा हैं तो वो फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन यहां हरियाणा कांग्रेस पार्टी हाईकमान के आदेश मानने के बाध्य है।
सपा ने हरियाणा में 5 सीटों पर दावा ठोका
सपा ने हरियाणा में 5 और महाराष्ट्र में 12 सीटों पर दावा ठोका है। लेकिन, इन दोनों ही राज्यों में कांग्रेस ने अभी कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है। जबकि, हरियाणा के कांग्रेस नेताओं की तरफ से ये कहा जा रहा है कि हरियाणा में समाजवादी पार्टी का कोई जनाधार नहीं है तो ऐसी स्थिति में प्रदेश में समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर सीट कैसे दी जा सकती हैं।
इसकी प्रतिक्रिया में समाजवादी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि यूपी के वर्ष 2022 के आम चुनाव में अधिकतम सीटों पर जमानत जब्त हुई थी। उस चुनाव में उसका वोट प्रतिशत भी 6.25 प्रतिशत से गिरकर 2.35 प्रतिशत पर पहुंच गया था। ऐसे देखा जाए तो विधानसभा चुनाव के लिहाज से यहां भी कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं है।
सपा सूत्रों के मुताबिक, अगर कांग्रेस अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव में उन्हें हिस्सेदारी नहीं देगी, तो एवज में यहां भी उसे सपा से सीटों की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। उपरोक्त के अलावा इंडी गठबंधन के तहत सपा महाराष्ट्र विधानसभा उपचुनाव में सीट मांग रही है।
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