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The Haryana Story | विनेश के भावुक पत्र पर पवन सरोहा का तंज: ''आप अपने ताऊ जी महावीर फोगाट को भूल गए ...भगवान आपको शुद्ध बुद्धि दे''

विनेश के भावुक पत्र पर पवन सरोहा का तंज: ''आप अपने ताऊ जी महावीर फोगाट को भूल गए ...भगवान आपको शुद्ध बुद्धि दे''

ओलंपिक से बाहर होने के बाद विनेश के पत्र पर परिवार में उठे सवाल, गीता फोगाट और पवन सरोहा ने दी प्रतिक्रिया

प्रतीकात्मक तस्वीर

हाल ही में पेरिस ओलंपिक से बाहर होने के बाद विनेश फोगाट द्वारा लिखे गए एक भावुक पत्र ने खेल जगत में हलचल मचा दी है। इस पत्र पर उनके परिवार के सदस्यों की प्रतिक्रियाओं ने इस मामले को और भी रोचक बना दिया है। आइए जानते हैं इस पूरे प्रकरण की विस्तृत जानकारी।

विनेश का भावुक पत्र 

विनेश ने अपने तीन पन्ने के पत्र में लिखा, "जो पेरिस में हुआ अगर वो न होता तो मैं ओलंपिक 2032 तक खेलती। मेरे अंदर लड़ने की भावना और कुश्ती हमेशा रहेगी।" उन्होंने आगे कहा, "मुझे नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा, लेकिन मैं हमेशा उस बात के लिए लड़ती रहूंगी, जो मुझे सही लगती है।" 

पवन सरोहा का कटाक्ष

विनेश के पत्र पर उनकी चचेरी बहन गीता फोगाट के पति पवन सरोहा ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी की। उन्होंने लिखा, "विनेश आपने बहुत बढ़िया लिखा है लेकिन शायद आप अपने ताऊ जी महावीर फोगाट को भूल गए हैं, जिन्होंने आपकी कुश्ती जीवन को शुरू किया था। भगवान आपको शुद्ध बुद्धि दे।" 

गीता फोगाट का संकेत 

गीता फोगाट ने भी बिना किसी का नाम लिए एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें लिखा था, "कर्मों का फल सीधा सा है, छल का फल छल, आज नहीं तो कल।" यह पोस्ट इशारों में विनेश की ओर संकेत करता प्रतीत होता है।

महावीर फोगाट का योगदान

महावीर फोगाट, जो विनेश के ताऊ हैं, एक प्रसिद्ध कुश्ती कोच हैं। उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। महावीर फोगाट ने ही विनेश को कुश्ती के गुर सिखाए थे और उनके करियर की शुरुआत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

परिवार की कुश्ती परंपरा

महावीर फोगाट की बेटियां गीता और बबीता भी कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीत चुकी हैं। इस तरह, फोगाट परिवार में कुश्ती एक मजबूत परंपरा रही है। इस घटना ने न केवल विनेश के करियर पर बल्कि उनके परिवार के रिश्तों पर भी असर डाला है। पवन सरोहा और गीता फोगाट की टिप्पणियों से यह स्पष्ट होता है कि परिवार में कुछ तनाव है।

विनेश ने अपने पत्र में अपने भविष्य के बारे में अनिश्चितता जताई है। उन्होंने लिखा, "हो सकता है कि जब समय सही हो मैं इस पर दोबारा बात करूं।"  विनेश फोगाट की कहानी हमें सिखाती है कि खेल में जीत-हार तो होती रहती है, लेकिन असली चुनौती है अपने संघर्षों और परिवार के साथ संबंधों को कैसे संभाला जाए। उम्मीद है कि विनेश जल्द ही इस मुश्किल दौर से बाहर निकलेंगी, अपने परिवार के साथ मतभेदों को सुलझाएंगी, और फिर से मैदान में अपना जलवा दिखाएंगी।

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