
बहादुरगढ़ विधानसभा से इनेलो प्रदेश अध्यक्ष रहे स्वर्गीय नफे सिंह राठी की हत्या की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ पाई है। इसी बीच विधानसभा चुनाव 2024 की भी घोषणा हो चुकी है। नफे सिंह राठी के बाद उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन होगा, यह अब तक पहेली बना हुआ था, लेकिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नफे सिंह राठी परिवार ने उनके छोटे बेटे जितेंद्र राठी को उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है।
जितेंद्र राठी बहादुरगढ़ विधानसभा क्षेत्र से इनेलो बसपा गठबंधन के उम्मीदवार होंगे। जितेंद्र राठी का कहना है कि वह नफे सिंह राठी के बेटे हैं और उनके लिए उनकी जुबान ही सब कुछ है। जितेंद्र राठी का दावा है कि वह विधानसभा चुनाव में जीतने के बाद हल्के का संपूर्ण विकास करवाएंगे और यहां व्याप्त भ्रष्टाचार और अपराध को जड़ से खत्म करने का काम करेंगे। इस मौके पर शीला नफे सिंह राठी ने बेटे जितेंद्र को जीत का आशीर्वाद भी दिया।
बहादुरगढ़ को विकास की गति प्रदान करना चाहते थे नफे सिंह
बता दें कि इनेलो की बैठक में प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने स्व. नफे सिंह राठी के परिवार को विधानसभा चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके बाद परिवार ने आपसी विचार विमर्श कर जितेंद्र राठी के नाम की घोषणा की। प्रेस वार्ता के दौरान शीला नफे सिंह राठी ने कहा कि स्व. नफे सिंह राठी बहादुरगढ़ को विकास की गति प्रदान करना चाहते थे और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने बहादुरगढ़ में चहुंमुखी विकास कराया था।
लेकिन भाजपा सरकार के दौरान कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट होने के कारण नफे सिंह राठी की सरेआम हत्या की दी गई। 6 माह बीत जाने के बाद भी हत्यारोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया। यहां तक कि साजिशकर्ता भी खुलेआम घूम रहे हैं। जितेंद्र राठी ने कहा कि पूरे हरियाणा में कानून व्यवस्था चौपट हो चुकी है। आज बहादुरगढ़ हलका विकास के मामले में वर्षों पीछे चला गया है। इस मौके पर स्व. नफे सिंह राठी के भतीजे कपूर सिंह राठी, भूपेंद्र राठी, दीपक राठी मौजूद रहे।
जितेंद्र को हर वर्ग और तबके के लोगों का मिल रहा भरपूर समर्थन
नफे सिंह के बेटे जितेंद्र राठी भी राजनीति से भली भांति परिचित है। वह फिलहाल बहादुरगढ़ नगर परिषद के वार्ड 9 से पार्षद है। जितेंद्र राठी अब चुनावी मैदान में कूद गए हैं। ऐसे में बहादुरगढ़ हल्के की जनता का उन्हें कितना सहयोग मिल पाता है यह देखने वाली बात होगी, लेकिन पिता के राजनीतक ओहदे, बढ़ती लोकप्रियता और बहादुरगढ़ के विकास को लेकर उनके सपनों का साकार करने में बहादुरगढ़ की जनता झुकाव और सहानुभूति जितेंद्र राठी की तरफ बढ़ रही है।
राजनितिक विशेषज्ञों एवं विश्लेषकों के मुताबिक बहादुरगढ़ सीट से जितेंद्र राठी सीट निकल सकते हैं, सबसे बड़ा प्लस पॉइंट पिता बाद वोटरों, समर्थकों और आमजन की सहानुभूति, जिसके चलते उनको हर वर्ग और तबके के लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा, जिससे ये माना जा रहा है कि ये सीट इनेलो-बसपा गठबंधन के खाते में जा सकती है।
कौन थे नफे सिंह राठी
उल्लेखनीय है कि स्वर्गीय नफे सिंह राठी बहादुरगढ़ से दो बार विधायक चुने गए थे। इस सीट से वह दो बार विधायक निर्वाचित हुए थे। इसके अलावा वह बहादुरगढ़ म्यूनिसिपल काउंसिल के दो बार चेयरमैन भी रहे थे. वह ऑल इंडिया इंडियन स्टाइल रेसलिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष थे। इसके अलावा वह हरियाणा एमएलए एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट भी थे।
बता दें कि प्रदेश की राजनीति में नफे सिंह राठी का राजनैतिक कद काफी ऊंचा था। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि किसान परिवार में जन्में नफे सिंह राठी 2 बार विधायक रहे। उन्होंने अपना राजनीतिक सफर की शुरुआत ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल से की थी। हरियाणा की राजनीति को करीब से जानने वाले उन्हें चौटाला परिवार के काफी नजदीकी रहे। इसी का परिणाम रहा कि उन्हें पार्टी ने साल 2020 में प्रदेश की कमान सौंपी थी। इनसे पहले प्रदेश के अध्यक्ष पद पर रहे हैं।
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