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कुछ तो बात है लाडवा सीट में..यूं ही रिस्क नहीं लिया..

कुछ तो बात है लाडवा सीट में..यूं ही रिस्क नहीं लिया..

जहां लाडवा के जातीय समीकरण सीएम सैनी की जीत की ओर इशारा कर रहे हैं, वहीं सीएम सिटी का दर्जा मिलने का प्रलोभन भी जनता को लुभाएगा

प्रतीकात्मक तस्वीर

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बदला... हरियाणा चुनाव में मुख्यमंत्री की सीट ही बदल दी...  अब हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी अपनी पुरानी सीट करनाल से चुनाव न लड़कर लाडवा से चुनाव लड़ने जा रहे हैं, जिस पर गत चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। तो क्या ये भाजपा का ओवर कॉन्फिडेंस है, जो उसे मुख्यमंत्री तक की सीट बदल देने के लिए प्रेरित कर रहा है या फिर इसके पीछे भाजपा की कोई सियासी रणनीति, जिसके जरिए वो कांग्रेस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना चाहती है।

लाडवा के जातीय समीकरण और भाजपा के कुछ प्लस पॉइंट के आधार पर आम लोगों का विश्लेषण और राजनीतिक विशेषज्ञों की राय के मुताबिक सीएम सैनी की लाडवा सीट पर जीत तय है। जानते है पूरा राजनीतिक, जातीय समीकरण..... 

गुजरात मॉडल को फॉलो किया

दरअसल, अपने पुराने नक्श-ए-कदम यानी गुजरात मॉडल को फॉलो करते हुए भाजपा ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर को बदल दिया और उनकी जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्हें न सिर्फ मुख्यमंत्री बनाया गया बल्कि विधानसभा सदस्य बनाने के लिए भी मनोहर लाल खट्टर की ही करनाल सीट खाली करवाई गई। वहां उपचुनाव हुए और नायब सिंह सैनी ने करीब 41 हजार के बड़े अंतर से जीत दर्ज कर कांग्रेस के सरदार तरलोचन सिंह को मात दी। 

भाजपा ने इतना बड़ा रिस्क क्यों लिया?

इतनी बड़ी जीत के बाद भी अब जब हरियाणा में विधानसभा के चुनाव है तो नायब सिंह सैनी की सीट बदल दी गई है और उनके लिए सीट चुनी गई है कुरुक्षेत्र की लाडवा। भाजपा ने मुख्यमंत्री की सीट बदली है तो जाहिर सी बात है कि कुछ तो उस सीट में ऐसा है, जिसको लेकर पार्टी इतनी आश्वस्त है कि विधानसभा चुनाव में उसने इतना बड़ा रिस्क लिया है। अब ऐसे कई संभावनाएं है, जो ये तय करती हैं कि लाडवा से सीएम सैनी की जीत पक्की है

  • कुरुक्षेत्र तो नायब सिंह सैनी का घर है,  लिहाजा कुरुक्षेत्र की लाडना सीट से नायब सिंह सैनी की जीत तय है। 
  • नायब सिंह सैनी कुरुक्षेत्र से सांसद भी रह चुके हैं, तो उनकी अपने संसदीय क्षेत्र की विधानसभाओं में इतनी पकड़ तो होगी ही कि वो अपना चुनाव आसानी से निकाल सकें।
  • होने को तो ये भी हो सकता है कि हर बार नायब सिंह सैनी अलग-अलग सीट से चुनाव लड़कर जीतते रहे हैं तो इस बार भी अलग सीट से चुनाव लड़कर जीत जाएं।
  • जैसे 2014 में अंबाला के नारायणगढ़ से विधायक बने, 2019 में कुरुक्षेत्र से सांसद बने और 2024 में करनाल से विधायक बने. तो इस बार लाडवा से भी वो विधायक बन ही जाएंगे।
  • नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री का चेहरा हैं और लाडवा से उम्मीदवार भी तो भाजपा को इस बात का भरोसा हो सकता है कि वोटों का बिखराव नहीं होगा और सैनी वोटों के साथ ही इलाके में बड़ी आबादी वाले जाट वोटरों को भी नायब सिंह सैनी अपने पाले में कर ही लेंगे। 

 

एक लाख 95 हजार 816 मतदाता करेंगे फैसला 

नेताओं से लेकर आम लोग भी चुनाव में जीत के समीकरण अपने-अपने अनुसार बैठाते हैं, लेकिन भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री नायब सैनी को मैदान में उतारे जाने के बाद यहां चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। हालांकि मुख्यमंत्री नायब सैनी के यहां से प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चाएं काफी दिनों से जारी थी लेकिन दूसरी पार्टियों के नेताओं को यह महज अटकलें ही लग रही थी। अब मुख्यमंत्री को प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा हुई तो दूसरी पार्टियों के नेताओं व कार्यकर्ताओं को पसोपेश में डाल दिया है। 

क्षेत्र में एक लाख 95 हजार 816 मतदाता यहां का फैसला करेंगे। इनमें मुख्य तौर पर सबसे ज्यादा करीब 20 फीसदी सैनी, 18 फीसदी जाट, 10 फीसदी ब्राह्मण, छह फीसदी कश्यप समाज के वोट माने जाते हैं जबकि अन्य विभिन्न समाज के मतदाता भी अपना स्थान रखते हैं। जातीय समीकरण, सीएम चेहरा, मिलनसार व्यक्तित्व होने के नाते ये तय मन जा रहा है कि सीएम नायब सैनी लाडवा सीट अच्छी मार्जिन से जीत दर्ज करेंगे 

इनेलो के शेर सिंह बड़शामी बने थे क्षेत्र के पहले विधायक

वर्ष 2008 में हुए परिसीमन के बाद लाडवा विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया था, जहां अगले ही साल 2009 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में इनेलो के दिग्गज नेता शेर सिंह बड़शामी विधायक बने थे। 2014 के चुनाव में यहां भाजपा कमल खिलाने में कामयाब रही थी और डॉ. पवन सैनी विधायक बने थे। गत 2019 के चुनाव में यहां कांग्रेस के मेवा सिंह भाजपा के डॉ. पवन सैनी को हराकर 57 हजार 665 वोटों के साथ विधायक बने थे।

यहां के लोगों ने अभी तक किसी को दोबारा मौका नहीं दिया है जबकि शेर सिंह बड़शामी को इस बार भी इनेलो मैदान में उतार चुकी है तो वहीं कांग्रेस की ओर से भी वर्तमान विधायक मेवा सिंह की टिकट तय मानी जा रही है। भाजपा का डॉ. पवन सैनी को दोबारा मैदान में उतारे जाने का प्रयोग भी यहां सफल नहीं हो पाया था। 

लाडवा क्षेत्र के मुख्य मुद्दे 

  • बाईपास का निर्माण
  • कुरुक्षेत्र-लाडवा-यमुनानगर रोड का चौड़ीकरण
  • बाबैन में राजकीय महिला कॉलेज
  • पिपली में अंतरराज्यीय बस अड्डा

 

लोगों का ये विश्वास है कि क्षेत्रवासियों के ये मांगे जरूर पूरी होंगी

सीएम चेहरा होने के नाते लोगों का ये विश्वास है कि क्षेत्रवासियों के ये मांगे जरूर पूरी होंगी। क्योंकि सीएम नायब सैनी के लाडवा सीट जीतने के बाद उन्हें फिर से सीएम बनाया जाएगा और लाडवा को सीएम सिटी का रूप में जाना जाएगा, तो अपने क्षेत्र के विकास के लिए जनता का रुझान और माहौल सीएम सैनी के पक्ष होता नज़र आ रहा है, जिससे एक बड़ी मार्जिन के साथ लाडवा सीट पर जीत दर्ज कर सकते हैं। 

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