loader
नायब के नेतृत्व में "'नायाब जीत'' भाजपा ने तोड़ा 57 साल के इतिहास का रिकॉर्ड

नायब के नेतृत्व में "'नायाब जीत'' भाजपा ने तोड़ा 57 साल के इतिहास का रिकॉर्ड

सत्ता विरोधी लहर के बावजूद बहुमत से कैसे जीती भाजपा, कौन से फैक्टर रहे जिससे अंतिम क्षणों में बदल गया माहौल

प्रतीकात्मक तस्वीर

भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन का असर विधानसभा चुनाव में सीधे तौर पर दिखा है। भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है, हालांकि हर कोई भाजपा के इस प्रदर्शन पर हैरान भी है, चूंकि हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर के साथ-साथ जवान-किसान और पहलवान अथवा खिलाड़ियों की भाजपा से नाराज़गी को देखते हुए माना जा रहा था कि कांग्रेस मजबूती से चुनाव लड़ते हुए सत्ता वापसी कर सकती है।

भाजपा स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ रही थी

लेकिन केवल 6 महीने से कम के कार्यकाल में नायब सैनी ने भाजपा के खिलाफ चल रही सत्ता विरोधी लहर को कम करने का काम किया। प्रदेश में चल रहे किसान, पहलवान और जवान के स्थानीय मुद्दों को धूमिल करने में उन्होंने काफी हद तक सफलता प्राप्त की। भाजपा स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ रही थी। खास तौर पर नौकरियों के मुद्दे पर वह कांग्रेस को धता बताती नजर आई।

57 साल के इतिहास में किसी एक पार्टी को तीसरी बार मौका

हरियाणा का गठन 1966 में हुआ था। बड़े-बड़े दिग्गजों ने इस राज्य का नेतृत्व किया। यहां के दिग्गजों के हमेशा पूरे देश चर्चा में भी रहे। लेकिन यहां की जनता ने हर 5 साल बाद सरकार बदली, किसी को 2 बार भी मौके दिए, लेकिन इस बार यहाँ के लोगों ने जो किया वो अभूतपूर्व है। पहली बार ऐसा है 5 -5 साल के दो कार्यकाल के बाद उसी सरकार को तीसरी बार मौका दिया है। 

नायब ने उस समय में पार्टी को बड़ी जीत दिलाई, जब प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर थी

उल्लेखनीय है कि गिनती से पूर्व तमाम एग्जिट पोल भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करते दिख रहे थे, लेकिन जनादेश भाजपा के पक्ष में आया। भाजपा ने 90 विधानसभा सीटों में से लगभग 48 सीट पर जीत हासिल की है। वहीं, कांग्रेस एग्जिट पोल परिणाम में तो जीत दर्ज करती दिखी थी, लेकिन जनादेश उनके पक्ष में नहीं आया है। कांग्रेस ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की वहीं इनेलो-बसपा गठबंधन 2 और अन्य 4 सीटों पर आचार निर्दलीयों ने जीत दर्ज की। गौरतलब है कि नायब सिंह सैनी ने उस समय में पार्टी को बड़ी जीत दिलाई है, जब प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर थी, ऐसे में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ही होंगे। 

खट्टर को हटाना और सीएम फेस बदलना कर गया काम  

गलियारे में यह भी चर्चा हो रही है कि पार्टी द्वारा मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने का भी फायदा हुआ है। यही कारण है कि प्रचार के दौरान भाजपा द्वारा खट्टर को पोस्टरों में जगह नहीं दी गई थी। शुरू से ही सैनी को सीएम चेहरा घोषित किया जा रहा था, जिसका अच्छा खासा सकारात्मक असर देखने को मिला है। अपने छोटे से कार्यकाल के दौरान नायब सिंह सैनी द्वारा कई फैसले लिए गए।

1,20,000 कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का ऐलान हो चाहे 24 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की घोषणा, इसके अलावा, महिलाओं को 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने की घोषणा भी काम करती हुई नजर आई। ऐन वक्त पर पार्टी ने प्रदेश में सीएम चेहरा बदला, इससे भी फायदा मिलता नजर आया। सैनी सरकार द्वारा सरपंचों को 21 लाख रुपए तक का काम बिना ईटेंडिंग के करवाने को हरी झंडी दिखाई गई। इससे पहले यह सीमा 5 लाख निर्धारित की गई थी, हालांकि, इस पर भी विरोध देखने को मिला था। नायबसिंह सैनी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान 16 अगस्त को 5 लाख किसानों के खाते में 525 करोड़ रुपए भेजे गए।

उत्तराखंड की रणनीति आई काम

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 की घोषणा से करीब 6 माह पहले प्रदेश के नेतृत्व में बदलाव किया गया था। सीएम तीरथ सिंह रावत को हटाकर पार्टी ने पुष्कर सिंह धामी जैसे युवा चेहरे को प्रदेश का नेतृत्व दे दिया गया। उत्तराखंड के चुनावी मैदान में उतरकर समान नागरिक संहिता लागू करने का ऐसा दावा किया। इसके बाद पार्टी के खिलाफ बना रहे एंटी इनकंबैंसी फैक्टर को मात दे दी। पार्टी ने 70 में से 47 सीटों पर जीत दर्ज कर लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की।

बता दें कि उत्तराखंड में 2017 से 2022 के बीच तीन मुख्यमंत्री बदले गए, पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएम बने। इसके बाद तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया। जुलाई 2021 में भाजपा को उन्हें भी हटाना पड़ा। इसके बाद पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बनाए गए। पुष्कर सिंह धामी ने महज छह माह से कम समय में प्रदेश में अपने कार्यों से लोगों का भरोसा जीता। पार्टी ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की। हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड जैसी ही रणनीति अपनाई। 

इन दिग्गजों की हुई जीत

कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी, लाडवा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा सरकार गढ़ी सांपला किलोई, देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल निर्दलीय हिसार, पूर्व गृहमंत्री अनिल विज, पंचायत मंत्री महिपाल ढांडा ,पानीपत ग्रामीण, उद्योग मंत्री मूलचंद शर्मा बल्लभगढ़,राज्यसभा सांसद पूर्व मंत्री कृष्ण लाल पंवार इसराना, पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी नरवाना, पूर्व मंत्री विपुल गोयल, पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह,कादियान बेरी, पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्र मोहन कालका, गीता भुक्कल झज्जर, शकुंतला खटक कलानौर, घनश्याम सराफ भिवानी, घनश्याम अरोड़ा यमुनानगर, डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा। 

इन दिग्गजों को करना पड़ा हार का सामना

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान होडल, अभय चौटाला ऐलनाबाद, पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला उचाना, विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता पंचकूला, कृषि मंत्री कंवरपाल गुर्जर जगाधरी, पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली टोहाना, राज्य मंत्री संजय सिंह, पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, सिंचाई मंत्री अभय सिंह यादव, वित्त मंत्री जेपी दलाल लोहारू, बिजली मंत्री रणजीत चौटाला, महिला बाल विकास राज्य मंत्री असीम गोयल अंबाला, राज्य मंत्री सुभाष सुधा थानेसर, पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह, कुलदीप शर्मा गन्नौर। 

कुछ महत्वपूर्ण सीटों पर जीत और हार

आरती राव, श्रुति चौधरी तोशाम, अर्जुन चौटाला रानियां ने जीत दर्ज की, जबकि भव्य बिश्नोई आदमपुर दिग्विजय चौटाला डबवाली से हारे चौटाला परिवार से जहां रानियां सीट से  इंडियन नेशनल लोकदल से पोते अर्जुन चौटाला ने बिजली मंत्री रंजीत चौटाला को हराया। वही डबवाली सीट से चाचा आदित्य देवीलाल ने इंडियन नेशनल लोकदल की टिकट पर डबवाली से दिग्विजय चौटाला और अमित सिहाग को हराया।

हुड्डा के गढ़ में भी लगाई भाजपा ने सेंध 

सोनीपत से निखिल मदान, गोहाना से अरविंद शर्मा, खरखौदा से पवन खरखौदा, राई से कृष्णा गहलोत, गन्नौर से निर्दलीय देवेंद्र कादियान।

Join The Conversation Opens in a new tab
×