शुगर मिल प्रबंधन ने इस बार गुड़ व शक्कर नहीं बनाने का फैसला लिया है। इस संबंध में अधिकारियों की दलील है कि गुड़ शक्कर बनाने में खर्च ज्यादा आता है जबकि बाहर से ये सस्ते मिलते हैं। इसलिए मिल प्रबंधन के इस फैसले की वजह से महम क्षेत्र के लोग इस बार शुगर मिल के गुड़-शक्कर की मिठास नहीं ले पाएंगे।
आर्गेनिक गुड़ बनाने का किया था दावा
उल्लेखनीय है कि महम शुगर मिल में वर्ष 2020-21 में करीब 25 लाख रुपए खर्च कर गुड़ शक्कर बनाने के लिए अलग से जैगरी प्लांट लगाया गया था। उस दौरान आर्गेनिक गुड़ बनाने का दावा करते हुए इसका काफी प्रसार प्रचार किया गया था। मिल के अंदर व बाहर कई जगहों पर स्टाल लगाकर इसे बेचने का कार्य किया गया था।
जैगरी प्लांट देखभाल न होने की वजह से कबाड़ में तब्दील
वहीं भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष अजीत अहलावत ने बताया कि फिलहाल मिल में गुड़ शक्कर नहीं बनाया जा रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि लाखों रुपए खर्च कर जो जैगरी प्लांट लगाया गया था वह देखभाल न होने की वजह से कबाड़ में तब्दील हो गया है। साफ सफाई की वहां कमी बनी हुई है। बेवजह ही पैसा खर्च कर दिया गया। उन्होंने कहा कि शुगर मिल में जो प्लांट लगाया गया उसकी क्षमता 2 टन प्रतिदिन गुड़ शक्कर बनाने की है।
सामान धीरे-धीरे खराब होने लगा
मिल में कार्यरत कर्मचारियों ने बताया कि एक साल ही गुड़ शक्कर बनाने का कार्य किया गया। उसके बाद किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि गुड़ शक्कर बनाने के लिए बाहर से कारीगर आते थे। अब न कारीगर आ रहे और न ही जैगरी प्लांट को चलाने की कोई कोशिश कर रहा। गुड बनाने के लिए लगाया गया सामान धीरे-धीरे खराब होने लगा है।
गुड़ बनाने की लागत ज्यादा है जबकि बाहर से सस्ता मिलता
वहीं इस बारे में शुगर मिल एमडी दलबीर फौगाट का कहना है कि गुड़ बनाने की लागत ज्यादा है जबकि बाहर से सस्ता मिलता है। यहां बनने वाले गुड़ शक्कर टेस्ट में थोड़ा नमकीन बनते हैं इसलिए डिमांड भी कम है। इसी वजह से नहीं बनाए जा रहे।