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The Haryana Story | छह लाख सालाना पैकेज छोड़ MBA पास युवक ने लगाया कोल्हू, हर महीने लाखों की कमाई, युवाओं को देते ट्रेनिंग

छह लाख सालाना पैकेज छोड़ MBA पास युवक ने लगाया कोल्हू, हर महीने लाखों की कमाई, युवाओं को देते ट्रेनिंग

तेल की क्वालिटी की वजह से इसकी मांग विदेशों में भी

प्रतीकात्मक तस्वीर

कहते हैं जीवन में कुछ करने की चाह हो तो रास्ते अपने आप बनते चले जाते हैं, तभी कहते हैं 'जहां चाह वहां राह' अच्छा पैसा कमाने के लिए ये जरूरी नहीं कि दो नंबर का या कोई अवैध तरीका अपनाकर ही मोती रकम कमाई जा सकती है। रास्ते बहुत हैं पर जरूरत है उस पर चलने की। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई बार युवाओं पर काम का दबाव ज्यादा होता है और उसकी तुलना में सैलेरी कम होती है, ऊपर से परिवार के साथ भी पर्याप्त समय नहीं बिता पाते, ऐसे में बहुत से युवा अपना खुद का कोई काम शुरू कर न केवल अच्छा पैसा कमा रहे हैं, बल्कि औरों को भी रोजगार दे रहे हैं।

तेल की क्वालिटी की वजह से इसकी मांग विदेशों में भी

आज हम आपको रूबरू कराते हैं हरियाणा के करनाल के रहने वाले एक ऐसे ही युवक की जिसका मेट्रो सिटीज की भागदौड़ वाली जिंदगी में मन नहीं लगा और उसने अपना काम शुरू करने की ठानी और आज अच्छा खासा पैसा कमा रहा है। जी हाँ, हरियाणा में करनाल के MBA पास युवक अपना कोल्हू लगाने की सोची और आज इस काम से घर बैठे 4 लाख महीने की कमाई कर रहा है।

इस एमबीए पास युवक ने करीब चार साल में ही उसने एक से 4 कोल्हू बना लिए। इन कोल्हू में सरसों के अलावा बादाम, तिल, मूंगफली, रामतिल, कुसुम तिल और अलसी समेत कई तरह के तेल निकाले जाते हैं। बताया जा रहा है कि एक महीने में वह 1 हजार लीटर तक तेल निकाल रहा है। तेल की क्वालिटी की वजह से इसकी मांग न केवल हरियाणा–दिल्ली ही बल्कि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, दुबई और अमेरिका जैसे देशों में भी है। जहां से NRI सीधे ऑर्डर करते हैं। 

बेसहारा घूमते देख पुष्पेंद्र उनके इस्तेमाल का आइडिया आया

6.50 लाख सालाना पैकेज की नौकरी छोड़ कोल्हू शुरू करने के पीछे की वजह बताते हुए पुष्पेंद्र ने बताया कि वह मेट्रो सिटी की भागदौड़ भरी ज़िंदगी से ऊब चुके थे और कुछ न्य करना चाहते थे, ऐसे में सड़क पर बैलों को बेसहारा घूमते देख पुष्पेंद्र उनके इस्तेमाल का आइडिया आया। अभी भी 3 बेसहारा बैल कोल्हू में इस्तेमाल करते हैं। पुष्पेंद्र ने कोल्हू शुरू करने पर आने वाले खर्च, कोल्हू से होने वाली कमाई के बारे में विस्तार से बातचीत की। पुष्पेंद्र ने बताया कि कैसे उसका नौकरी में मन नहीं लगा और उसने खुद का बिजनेस करने मन बनाया। 

भागदौड़ वाली जिंदगी में पुष्पेंद्र का मन नहीं लगा

पुष्पेंद्र ने बताया कि उसने एमबीए की डिग्री की और  इसके बाद उसने प्राइवेट कंपनियों में जॉब की तलाश शुरू की और गुरुग्राम में सैमसंग कंपनी में उसे एक अच्छी जॉब मिल भी गई। साल का 6. 50 लाख का पैकेज था। शुरुआत में सब अच्छा चला, लेकिन मेट्रो सिटीज की भागदौड़ वाली जिंदगी में पुष्पेंद्र का मन नहीं लगा और 2017 में पुष्पेंद्र ने जॉब छोड़ दी। घर आया तो मन बना लिया था कि अब नौकरी नहीं करनी। परिवार के पास 6 एकड़ जमीन थी। उसी में खेती करनी शुरू कर दी। हालांकि इससे अपने लिए तो अनाज हो जाता था, लेकिन मन कुछ और करने का था। बैल बेसहारा घूमते दिखे तो इनका इस्तेमाल करने की सोची पुष्पेंद्र ने कहा कि मैं किसी नए आइडिया की तलाश में था।

पहले ठंडी चक्की लगाने का प्लान बनाया

मैं अक्सर खेतों-सड़कों पर बेसहारा बैलों को घूमते हुए देखता था। जो बहुत कमज़ोर होते और उनकी हड्डियां निकली होती थी। कोई कुछ खाने को नहीं देता। ऐसे में सोचने लगा कि कोई ऐसा काम किया जाए, जिससे मेरा बिजनेस भी चले और बैलों को भी भरपेट अच्छा चारा मिल सके। पहले खेती, फिर ठंडी चक्की, कोल्हू का आइडिया आया पहले खेती के बारे में सोचा, लेकिन अब बैलों से खेत जोतना यानी हल लगाने का काम नहीं होता।

इसकी जगह ट्रैक्टर व अन्य मशीनें आ गई हैं। फिर मैंने सोचा कि पुराने जमाने में बैलों का इस्तेमाल ठंडी चक्की और कोल्हू में होता था। पहले मैंने ठंडी चक्की लगाने का प्लान बनाया। उसमें भी बैलों से ही गेहूं की पिसाई होती है। इसका आटा पूरी पोषक क्वालिटी वाला होता है, क्योंकि मशीन वाली चक्की में आटे के पिसाई के वक्त गर्म होने से सारे गुण खत्म हो जाते हैं। मैंने कई जगह ठंडी चक्की बनाने वाला ढूंढा, लेकिन कोई नहीं मिला।