
हरियाणा सरकार के द्वारा नील गायों को मारने का परमिट देने के निर्णय को लेकर बिश्नोई समाज के द्वारा रोष व्यक्त किया जा रहा है। आज अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के द्वारा फतेहाबाद के डीसी को मुख्यमंत्री के नाम मांग पत्र सौंपा गया। जीव रक्षा बिश्नोई सभा ने सरकार के इस निर्णय का विरोध किया है। बिश्नोई समाज का कहना है कि सर्व समाज इस निर्णय के खिलाफ है और अगर सरकार के द्वारा नील गायों को मारने का परमिट देने का निर्णय वापिस नहीं लिया गया तो वह धरना प्रदर्शन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
इस निर्णय को वापिस ले, नहीं तो बिश्नोई समाज आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेगा
इस बारे में जानकारी देते हुए अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के पदाधिकारी राधेश्याम ने बताया कि आज सर्व समाज सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रहा है। किसानों फसल की रक्षा के नाम पर सरकार के द्वारा नील गायों को मारने का परमिट देने का निर्णय लिया गया है, जो कि सरासर गलत है। किसानों के द्वारा सरकार से कभी भी यह मांग नहीं की गई कि नील गायों को मारा जाए या किसी भी जीव को मारा जाए। इसलिए बिश्नोई समाज सरकार से निवेदन करता है कि वह इस निर्णय को वापिस ले, नहीं तो बिश्नोई समाज आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेगा।
सरकार से मांग है कि इस फैसले पर पुनर्विचार करें
वहीं अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के पदाधिकारी एडवोकेट चन्द्र सिंह सहारण ने कहा कि सरकार को नील गाय मारने की अनुमति देने वाले फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए. यहां आए हुए सभी गणमान्य व्यक्ति किसानी से संबंध रखते हैं और किसी की भी ये मांग नहीं है कि नील गाय या अन्य वन्य प्राणियों को मारा जाए। उन्होंने कहा कि बिश्नोई समाज ने सदैव जीवों और पेड़ों की रक्षा के लिए संघर्ष किया और बलिदान तक देने से परहेज नहीं किया, ऐसे में हमारी सरकार से मांग है कि इस फैसले पर पुनर्विचार करें और बिश्नोई समाज व अन्य वन्य जीव प्रेमियों की भावनाओं का सम्मान करें।
जीव प्रेमियों और बिश्नोई समाज को समय देकर अन्य विकल्पों पर विचार-विमर्श करें
उपायुक्त को ज्ञापन देने के आए पदाधिकारियों ने कहा कि सभा के प्रतिनिधियों ने 17 दिसंबर 2024 को मुख्य वन्य अधिकारी और 4 जनवरी 2025 को वन मंत्री से मिलकर नीलगायों की समस्या के मामले में विशेष योजना बनाकर अन्य राज्यों के जंगलों में विस्थापित करने या विशेषज्ञों से राय लेकर नसबंदी करने तथा प्रभावित किसानों को मुआवजा देने जैसी नीति पर विचार करने के सुझाव दिए थे।
लेकिन फिर भी सरकार ने ऐसा आदेश जारी कर दिया है। जिससे पूरे सर्वसमाज में रोष है। सरकार वन्य प्राणी संरक्षण कानून 1972 की धाराओं में बदलाव करते हुए नीलगायों को मारने के परमिट की अनुमति पर रोक लगाई जाए और वन्य जीव प्रेमियों और बिश्नोई समाज के प्रतिनिधिमंडल को समय देकर अन्य विकल्पों पर विचार-विमर्श करें।
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