
भारत के ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने के लिए नामांकित किया गया है। इस प्रस्ताव का मूल्यांकन 6 से 16 जुलाई के बीच पेरिस में चल रहे यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 47वें सत्र में किया जा रहा है। इस सत्र में दुनिया भर से कुल 32 नए स्थलों के नामांकन पर चर्चा की जा रही है जिनमें भारत का यह ऐतिहासिक सैन्य तंत्र भी शामिल है। भारत की ओर से यह नामांकन 2024-25 चक्र के लिए प्रस्तुत किया गया है। मराठा मिलिट्री लैंडस्केप वो क्षेत्रीय ढांचा था जो मराठा साम्राज्य की सैन्य रणनीति का आधार बना। पहाड़, किले, नदियां और जंगल इनकी खासियत थे, जिनका मराठाओं ने युद्ध और रक्षा में कुशलता से इस्तेमाल किया।
32 स्थलों की समीक्षा की जा रही
उल्लेखनीय है कि विश्व धरोहर समिति की बैठक में 11 से 13 जुलाई के बीच 32 स्थलों की समीक्षा की जा रही है। भारत के इस नामांकन के साथ-साथ कैमरून का डीआईवाई-जीआईडी-बीआईवाई सांस्कृतिक क्षेत्र, मलावी का माउंट मुलंजे सांस्कृतिक परिदृश्य और यूएई का फाया पैलियो लैंडस्केप जैसे स्थलों पर भी चर्चा की जा रही है। इसके अलावा, 2 पहले से ही यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सीमाओं में संभावित बदलाव के प्रस्तावों पर भी विचार किया जा रहा है।
हर देश एक बार में केवल एक ही नामांकन कर सकता है जमा
यूनेस्को के ‘ऑपरेशनल गाइडलाइंस 2023’ के अनुसार हर देश एक बार में केवल एक ही नामांकन जमा कर सकता है। भारत ने इस चक्र के लिए ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को चुना है। अगर इस नामांकन को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज सूची में स्थान मिलता है तो यह भारत के लिए गर्व का विषय होगा। इससे इन ऐतिहासिक स्थलों की वैश्विक मान्यता बढ़ेगी, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और इनके संरक्षण के प्रयासों को और गति मिलेगी। गरुतलब है कि यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में मराठा किलों और दुर्ग का शामिल होना भारत के लिए गर्व की बात है, चूंकि इससे इन ऐतिहासिक स्थलों की वैश्विक मान्यता तो बढ़ेगी ही, साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और इनके संरक्षण के प्रयासों को और गति मिलेगी।
‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ की खासियत
‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ में 12 किले और किले बंद क्षेत्र शामिल हैं जोकि 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच विकसित किए गए थे। यह किले मराठा साम्राज्य की सैन्य शक्ति, रणनीति और निर्माण कला का अद्भुत उदाहरण माने जाते हैं। ये किले न केवल सुरक्षा के लिए, बल्कि रणनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण थे। महाराष्ट्र और तमिलनाडु के ये किले शामिल इन 12 स्थानों में महाराष्ट्र का साल्हेर किला, शिवनेरी किला, लोहगढ़, खांदेरी किला, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और तमिलनाडु का जिन्जी किला शामिल हैं। इन किलों को देश के कई भौगोलिक और प्राकृतिक क्षेत्रों में इस तरह से बनाया गया था कि वे मराठा शासन की सैन्य ताकत को दर्शाते हैं। इनमें पहाड़ी क्षेत्रों, समुद्र के किनारे और अंदरूनी मैदानों पर बने किलों का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
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