
हरियाणा सरकार ने माना है कि रानियां क्षेत्र के अधिकतर गांवों में नहरी पेयजल आपूर्ति की अभी कोई व्यवस्था नहीं है साथ ही यह भी माना है कि इस क्षेत्र में भूमिगत जल पीने योग्य नहीं है क्योंकि इस पानी में फ्लोराइड, टीडीएस, टोटल हार्डनेस, केल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा निर्धारित मात्रा से कहीं अधिक है, ऐसी ही रिपोर्ट सिरसा शहर के विभिन्न वार्डों से लिये गए पानी के नमूनों की आई है। इस रिपोर्ट का खुलासा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा द्वारा मुख्यमंत्री नायब सैनी को लिखे पत्र के जवाब से हुआ है, हालांकि कुछ आंकड़ों को गोलमोल करके लिखा गया है।
लोग जल जनित रोगों और कुछ कैंसर रोग की चपेट में
मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि उन्होंने पिछले दिनों मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर कहा था कि घग्गर नदी क्षेत्र के रानियां ब्लॉक के गांवों में लोग भूमिगत दूषित और केमिकल युक्त पानी पीने को मजबूर है लोग जल जनित रोगों और कुछ कैंसर रोग की चपेट में आ चुके है। पहले कुछ गांवों में पानी की आपूर्ति भांखडा नहर से की जाती थी जिसे बाद में बंद कर दिया गया। अब हालात ये है कि प्रदूषित जल पीने से क्षेत्र में कैंसर रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। हालात ये है कि संत नगर में एक ही घर में तीन तीन कैंसर रोगी है।
सरकार की ओर से भेजे गए जवाब में माना है कि रानियां क्षेत्र में नहरी पानी की आपूर्ति नहीं
सांसद कुमारी सैलजा को सरकार की ओर से भेजे गए जवाब में माना है कि रानियां क्षेत्र में नहरी पानी की आपूर्ति नहीं है, इस पर विचार किया जा रहा है। सरकार ने ये भी माना है कि रानियां क्षेत्र में भूमिगत पानी योग्य नहीं है। विभाग की ओर से कुछ गांवों से पीने के पानी के नमूने लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए। विभागीय रिपोर्ट में कहा गया है कि बालासर रोड रानियां,बाजीगर थेहड़, ढाणी लहरावाली, फिरोजाबाद रोड, गोबिंदपुरा, हिम्मतपुरा, कोठासेन पाल, मेहणाखेडा, चक्का, मोहल्ला नाथोवाला, नगराना थेहड़, नकौडा, जज कॉलोनी, संत नगर आदि में फ्लोराइड, टीडीएस, टोटल हार्डनेस, कैल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा निर्धारित मात्रा से कहीं अधिक है, ऐसे में ये पानी पीने योग्य नहीं है।
अभी तक नहरी पानी की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो पाई
सरकार का कहना है कि 29 गांवों में पेयजल आपूर्ति सुधार के कार्य जारी है। उधर पूरे सिरसा शहर में अभी तक नहरी पानी की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो पाई है, यह कार्य धीमी गति से चल रहा है, नगर में आज भी 120 बोरवेल से पीने के पानी की आपूर्ति की जा रही है। सांसद ने कहा कि जब सरकार को पता है कि रानियां क्षेत्र के अधिकतर गांवों में भूमिगत जल पीने योग्य नहीं है तो सरकार को भाखड़ा नहर आधारित नहरी पानी की व्यवस्था करनी चाहिए थी जबकि इस क्षेत्र की जनता काफी समय से पीने के लिए नहरी आपूर्ति की मांग करती आ रही है।
फ्लोराइड की अत्यधिक मात्रा से जूझ रहे लोग
भूजल में अपशिष्ट पदार्थों का मिश्रण बढ़ने से ब्लड प्रेशर, पथरी, दिमागी कमजोरी, शरीर में दर्द, पेट के रोग, पीलिया की शिकायतें बढ़ी हैं। पेयजल में अशुद्ध पदार्थों के मिश्रण (टीडीएस) जैसे कि सोडियम, मैग्नीशियम, मरकरी, नाइट्रेट, पैरागान की मात्रा 1000 से 2000 के घातक स्तर पर पहुंच गई है, जबकि टीडीएस 200 से 300 प्रति लीटर मिलीग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।
भूमिगत जल में फ्लोराइड, टीडीएस, टोटल हार्डनेस, कैल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा निर्धारित मात्रा से कही अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार, 1.5 मिलीग्राम/लीटर से अधिक फ्लोराइड सांद्रता वाला पानी पीने योग्य नहीं होता। सिरसा और रानियां क्षेत्र के भूजल में फ्लोराइड की मात्रा अत्यधिक है।
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