
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने जातिगत जनगणना करवाने का एलान कर दिया है। यह जनगणना मूल जनगणना के साथ ही करवाई जाएगी। कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्रिमंडल के फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।
2021 में कोरोना महामारी के कारण जनगणना टल गई थी
बता दें कि जनगणना 1951 से प्रत्येक 10 साल के अंतराल पर की जाती थी लेकिन 2021 में कोरोना महामारी के कारण जनगणना टल गई थी। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को भी अपडेट करने का काम बाकी है। अभी तक जनगणना की नई तारीख का आधिकारिक तौर पर ऐलान भी नहीं किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, जनगणना के आंकड़े 2026 में जारी किए जाएंगे। इससे भविष्य में जनगणना का चक्र बदल जाएगा। जैसे 2025 से 2035 और फिर 2035 से 2045। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों ने हमेशा से ही जातिगत जनगणना का विरोध किया है।
आजादी के बाद से ही जाति को जनगणना की किसी भी प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जातिगत जनगणना को कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। इसके बाद मंत्रिमंडल समूह का गठन किया गया। इसमें ज्यादातर राजनीतिक दलों ने जातिगत जनगणना की संस्तुति की। इसके बावजूद कांग्रेस ने महज खानापूर्ति का ही काम किया।
कुछ राज्यों ने जातियों की गणना के लिए सर्वेक्षण सुचारू रूप से किया
उसने महज सर्वे करवाना ही उचित समझा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि कांग्रेस और उसके इंडी गठबंधन के सहयोगियों ने जाति जनगणना को केवल राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया है। जनगणना का विषय संविधान के अनुच्छेद 246 की केंद्रीय सूची की क्रम संख्या 69 पर अंकित है। यह केंद्र का विषय है। हालांकि, कुछ राज्यों ने जातियों की गणना के लिए सर्वेक्षण सुचारू रूप से किया है, जबकि राजनीतिक दृष्टिकोण से गैर-पारदर्शी तरीके से ऐसे सर्वेक्षण किए हैं। ऐसे सर्वेक्षणों से समाज में भ्रांति फैली है।
मोदी कैबिनेट में कई अहम फैसले
केंद्र सरकार की कैबिनेट की बैठक में बुधवार को कई अहम फैसले लिए गए हैं। सरकार ने असम और मेघालय के बीच नए हाईवे के निर्माण को मंजूरी दी है। यह हाईवे सिलचर से शिलांग तक बनेगा। इसका निर्माण नॉर्थ-ईस्ट कॉरिडोर के तहत किया जा रहा है। इसके अलावा गन्ने के एफआरपी को बढ़ाने का एलान किया गया है। गन्ने की नई एफआरपी 355 रुपए प्रति क्विंटल की गई है। मोदी सरकार आगामी मूल जनगणना के साथ जाति जनगणना करवाने का भी ऐलान किया है।
बुधवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मेघालय के मावलिंगखुंग से असम के पंचग्राम तक 22,864 करोड़ की कुल लागत से 166.80 किलोमीटर लंबे राजमार्ग के निर्माण की बुधवार को मंजूरी दे दी। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इस राजमार्ग परियोजना का 144.80 किलोमीटर लंबा हिस्सा मेघालय और 22 किलोमीटर लंबा हिस्सा असम में स्थित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में यह फैसला किया गया। इस परियोजना की कुल पूंजी लागत 22,864 करोड़ रुपए है।
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