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The Haryana Story | केयू में आयोजित हुई तीन दिवसीय कृषि-तकनीकी प्रदर्शनी एवं स्टार्टअप कॉन्क्लेव, कृषि मंत्री ने किसानों को दिए कई सुझाव

केयू में आयोजित हुई तीन दिवसीय कृषि-तकनीकी प्रदर्शनी एवं स्टार्टअप कॉन्क्लेव, कृषि मंत्री ने किसानों को दिए कई सुझाव

युद्ध कितना भी लंबा चले खेती कम नहीं होनी चाहिए, इस समय देश में अन्न भंडार भरे हुए, किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि किसी भी देश के लिए किसान व जवान सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। युद्ध कितना भी लंबा चले खेती कम नहीं होनी चाहिए। इस समय देश में अन्न भंडार भरे हुए हैं। किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं है। किसानों द्वारा खेती को राष्ट्र के लिए करनी होगी। ऐसा सोचकर किसान यदि कृषि के क्षेत्र में आए तो राष्ट्र की तरक्की होगी। जो व्यक्ति जिस रास्ते पर चलेगा वो उसी राह पर चलते हुए विकास करवाकर विकसित भारत में सहयोग करेगा। वैश्विक तरीके से खेती करने से अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।

सबसे अच्छी भूमि हमारे देश की मिलेगी

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा शनिवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के सभागार में नवीन जिंदल फाउंडेशन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कृषि-तकनीकी प्रदर्शनी एवं स्टार्टअप कॉन्क्लेव में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। उन्होंने ने कहा कि जहां हम बैठे हैं ये कुरुक्षेत्र है। यहां पर सृष्टि के लिए सबसे पहले खेती का क्षेत्र ब्रह्माजी ने तय किया था। यहीं से दूसरे क्षेत्र के लोगों को खेती करनी की सीख मिली थी। भारत कृषि प्रधान देश है। पूरी दुनिया से यदि 100 एकड़ का चयन करें तो सबसे अच्छी भूमि हमारे देश की मिलेगी। 

किसान की आमदनी बढ़ाई जाए, खर्च कम किया जाए

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि खेती तीन प्रकार की होती है। इसमें रासायनिक खेती, ऑर्गेनिक खेती और प्राकृतिक खेती शामिल है। हमने प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ना है। इसके लिए केंद्र और प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए अपनी अपनी योजनाएं बनाकर लागू की हुई है। उन्होंने कहा कि किसान की आमदनी बढ़ाई जाए, खर्च कम किया जाए। पानी का कम प्रयोग हो। समय कम लगे और पैसा बने। इसके लिए सरकार ने प्रति एकड़ की खेती के लिए प्रति देशी गाय पर सब्सिडी दी जा रही है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक लाख एकड़ का लक्ष्य तय किया है। सरकार पूरी तरह से किसानों के साथ खड़ी है। 

गाय के गोबर से जीवामृत तैयार किया जाएगा

उन्होंने कहा कि घर पर गाय आने से सबसे पहले परिवार के सदस्यों के लिए दूध हो जाता है। गाय के गोबर से जीवामृत तैयार किया जाएगा। देशी गाय के गोबर से जैविक खेती होनी संभव है। गोबर  एंटीबायोटिक का काम करती है। इससे बीमारियां भी दूर रहती है। गाय के दूध में राष्ट्र को एकत्रित रखने का गुण है। हमारे वैज्ञानिकों ने अब नस्ल सुधार पर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गायों के लिए गौशालाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की हुई है। उन्होंने बताया कि आगजनी के दौरान किसानों की गेहूं की फसल का जो नुकसान हुआ था।

धान की सीधी बिजाई के लिए 15 मई के बाद कर सकते

इसके लिए नुकसान भुगतान कर दिया गया। ढेंचा, मूंग व खाद की फसल का उत्पादन करने पर अनुदान दिया जा रहा है। धान की सीधी बिजाई के लिए 15 मई के बाद कर सकते हैं। किसानों ने रिपोर्ट दी कि अब उनकी पहले से ज्यादा उत्पादन होना शुरू हो गया है। इस मौके पर एमएसपी कमेटी के सदस्य विनोद आनंद, प्रो. रमेश सिहमार, विशाल वर्धन, रणधीर सिंह, गुरनाम सिंह चढूनी, राहुल ढींगड़ा, राजकुमार सैनी, पद्मश्री भारत भूषण त्यागी, रविन्द्र सांगवान, रमेश सिंह, कर्मचंद सहित अन्य गणमान्य मौजूद रहे। 

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