पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल के परिवार को झटका लगने के बाद किरण चौधरी ने कल भिवानी में अपने समर्थकों की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। कांग्रेस ने भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से किरण की बेटी श्रुति चौधरी को टिकट नहीं दिया, जिससे पूरे परिवार और कार्यकर्ताओं में मायूसी है। इस बैठक में किरण चौधरी कोई बड़ा फैसला ले सकती हैं।
हरियाणा में लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा के बाद से ही चौधरी बंसीलाल के परिवार में रोष है। कांग्रेस ने भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी राव दान सिंह को टिकट दिया, जबकि श्रुति चौधरी को नजरअंदाज किया गया।
बताया जा रहा है कि इस बैठक में किरण चौधरी और श्रुति चौधरी अपने कार्यकर्ताओं से मिलेंगी और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगी। हालांकि, कयास लगाए जा रहे हैं कि किरण चौधरी इस मौके पर कोई बड़ा फैसला भी ले सकती हैं। चौधरी परिवार के साथ-साथ भाजपा के कुलदीप बिश्नोई को भी झटका लगा है। दोनों परिवारों के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है, क्योंकि पहली बार हरियाणा की सियासत में दो बड़े राजनीतिक परिवारों को लोकसभा चुनाव से दूर रखा गया है।
किरण चौधरी लगभग दो हफ्ते से दिल्ली में डेरा डाले बैठी थीं और बेटी को टिकट दिलाने की कोशिश कर रही थीं। लेकिन, उनकी मेहनत बेकार गई और अब वह भिवानी लौट रही हैं। शनिवार की बैठक में भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र के समर्थकों को बुलाया गया है। माना जा रहा है कि इस बैठक में भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर टिकट बंटवारे और बने सियासी समीकरणों पर चर्चा होगी। साथ ही, किरण चौधरी और श्रुति अपने समर्थकों से लोकसभा चुनाव को लेकर आगे की रणनीति पर भी विचार-विमर्श करेंगी।
हालांकि, अभी तक किरण चौधरी और उनके परिवार ने इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन दोनों के चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही है। चौधरी परिवार के कार्यकर्ता भी नाराज हैं, क्योंकि लंबे समय बाद उन्हें लोकसभा चुनाव से दूर रखा गया है। इस बीच, भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप बिश्नोई भी झटका लगा है। उन्हें भी पार्टी ने लोकसभा चुनाव से दूर रखा है, जबकि वह हिसार लोकसभा सीट से टिकट की उम्मीदवार थे। बिश्नोई भी अपने समर्थकों से मिलने की तैयारी कर रहे हैं।
इस तरह, हरियाणा की राजनीति में एक नया मोड़ आया है। दोनों बड़े राजनीतिक परिवारों के साथ-साथ कुलदीप बिश्नोई को भी झटका लगा है। अब देखना होगा कि किरण चौधरी और उनका परिवार क्या फैसला लेते हैं और आगे की रणनीति क्या बनाते हैं।
श्रुति चौधरी
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